महाराष्ट्र में धमाका शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ही असली विधानसभा अध्यक्ष का फैसला

Edited By ,Updated: 11 Jan, 2024 05:39 AM

shinde led shiv sena is the real decision of assembly speaker

23 जून, 2022 को महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री और शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के भरोसेमंद साथी एकनाथ शिंदे ने अपने साथ 35 विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए उद्धव ठाकरे की ‘महाविकास अघाड़ी’ सरकार, जिसमें कांग्रेस तथा राकांपा भी शामिल थीं,...

23 जून, 2022 को महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री और शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के भरोसेमंद साथी एकनाथ शिंदे ने अपने साथ 35 विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए उद्धव ठाकरे की ‘महाविकास अघाड़ी’ सरकार, जिसमें कांग्रेस तथा राकांपा भी शामिल थीं, के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। इससे शिवसेना दोफाड़ हो गई और एक गुट एकनाथ शिंदे के साथ तथा दूसरा गुट उद्धव ठाकरे के साथ चला गया। 

25 जून, 2022 को महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवल ने 16 बागी विधायकों को उनकी सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा। इसके विरुद्ध बागी विधायक सुप्रीमकोर्ट पहुंच गए और 26 जून को सुप्रीमकोर्ट द्वारा बागी विधायकों को राहत देने के बाद 28 जून को तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कहा। 29 जून को सुप्रीमकोर्ट द्वारा फ्लोर टैस्ट पर रोक लगाने से इंकार करने पर उद्धव ठाकरे द्वारा अपने पद से त्यागपत्र दे देने के कारण 30 जून को एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद एकनाथ शिंदे तथा उद्धव ठाकरे गुटों द्वारा दलबदल विरोधी कानूनों के अंतर्गत एक-दूसरे के विधायकों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गई थीं। 

उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीमकोर्ट में याचिका दाखिल करके जिन 16 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की, उनमें स्वयं एकनाथ शिंदे के अलावा महेश शिंदे, अनिल बाबरी, अब्दुल सत्तार, भरत गोगावले, संजय शिरसाट, यामिनी जाधव, तानाजी सावंत, लता सोनवणे, प्रकाश सुर्वे, बालाजी किनीकर, संदीपन भुमरे, बालाजी कल्याणकर, रमेश बोरनारे, चिमनराव पाटिल तथा संजय रायमुनकरी शामिल थे। सुप्रीमकोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर को इस मामले में फैसला लेने के लिए कहा था और 10 जनवरी, 2024 को राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे के गुट के पक्ष में अपना फैसला सुनाते हुए न सिर्फ विधायकों की सदस्यता बरकरार रखी बल्कि कहा कि : 

‘‘एकनाथ शिंदे गुट ही असली शिवसेना है। शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य है। चुनाव आयोग के रिकार्ड में सी.एम. शिंदे गुट ही असली पार्टी है। मैं इससे बाहर नहीं जा सकता। उद्धव गुट की दलील में दम नहीं है।’’ उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा फैसला सुनाने से पहले ही मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कह दिया था कि‘‘बहुमत हमारे साथ है तथा हम शिवसेना हैं। हमें चुनाव आयोग ने शिवसेना पार्टी नाम तथा चुनाव चिन्ह दिया है।’’ इससे पहले 10 जनवरी, 2024 को सुबह उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राऊत और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के बीच तीखी बहस हुई और संजय राऊत ने कहा, ‘‘फैसले पर मैच फिक्सिंग हुई है। स्पीकर 2 बार आरोपियों से मिल चुके हैं। आज का फैसला बस औपचारिकता है। विधायकों की अयोग्यता पर फैसला दिल्ली से हो चुका है।’’ 

इस बीच मंगलवार को उद्धव ठाकरे ने फैसला सुनाए जाने से पहले एकनाथ शिंदे और विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के बीच मुलाकात को लेकर सवाल उठाए और कहा था कि ‘‘जज ने आरोपियों से 2 बार मुलाकात की। इससे जनता समझ चुकी है कि बुधवार को फैसला क्या होगा!’’ फैसला आने के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा है कि ‘‘यह तो होना ही था।’’  उधर संजय राऊत ने इस फैसले पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि ‘‘विधानसभा के अध्यक्ष ने पीठ में खंजर घोंपा है।’’ 

इस बीच जहां विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले से एकनाथ शिंदे के कैम्प में जश्न का माहौल बन गया है, वहीं दूसरी ओर उद्धव ठाकरे गुट में निराशा की लहर दौड़ गई है और उद्धव ठाकरे गुट के कार्यकत्र्ता विरोध प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। इस बीच शिवसेना (ठाकरे गुट) के नेता संजय राऊत ने कहा है कि ‘‘हम विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे।’’ फैसला क्या होता है, यह तो समय ही बताएगा।—विजय कुमार  

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