सर्जिकल स्ट्राइक-2 से हो रही लोगों को भारी परेशानी

Edited By ,Updated: 11 Nov, 2016 02:21 AM

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काली कमाई करने वालों पर नकेल कसने के लिए सरकार द्वारा 500 और 1000 के करंसी नोटों

काली कमाई करने वालों पर नकेल कसने के लिए सरकार द्वारा 500 और 1000 के करंसी नोटों को बंद करने से पैदा हुई करंसी की किल्लत दो-तीन सप्ताह तक दूर होने वाली नहीं लगती। इससे जहां कारोबार में भारी कमी आ गई है वहीं लोगों को कई मुश्किलों का भी सामना करना पड़ रहा है। बड़े नोटों के कारण लोग सब्जी और राशन तक नहीं खरीद पा रहे। 

हालांकि सरकार ने घोषणा की थी कि अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों और आपात् सेवाओं में 11 नवम्बर तक ये नोट चलेंगे परंतु इस आदेश का पूरी तरह पालन न होने से कई जगहों पर लड़ाई-झगड़े भी हो रहे हैं तथा नोट बदलवाने के लिए बैंकों के आगे लोगों की लम्बी कतारें लगी हैं। 

अस्पतालों में मरीजों और उनके परिजनों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। देशभर में सैंकड़ों मरीजों के आप्रेशन, कैंसर पीड़ितों की कीमोथैरेपी व डायलिसिस नहीं हो पा रहा और हजारों अन्य मरीज अस्पतालों से बिना इलाज करवाए वापस लौटने को मजबूर हो रहे हैं। 

बुलंदशहर में एक गर्भवती महिला के परिजनों द्वारा बड़े नोटों में की जाने वाली अदायगी अस्पताल प्रबंधन द्वारा स्वीकार न करने से इलाज में हुए विलंब के चलते उसके गर्भस्थ बच्चे की मृत्यु हो गई। 

गोरखपुर में अपनी गंभीर बीमार बेटी को स्कूटर पर बिठा कर अस्पताल ले जा रहा एक व्यक्ति पैट्रोल भरवाने के लिए रुका परंतु पैट्रोल पम्प वाले द्वारा 100 रुपए की बजाय 500 रुपए का ही पैट्रोल भरने की जिद के कारण दोनों में बहस के दौरान बच्ची की मृत्यु हो गई। 

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में ‘कैप्टन गंज’ की एक महिला को जब अपनी छोटी-सी बचत 1000-1000 रुपए के 2 नोटों के रद्द होने का समाचार मिला तो सदमे से उसके प्राण चले गए। 

असम के गुवाहाटी तथा शिवसागर जिलों में 2 व्यक्तियों की दिल का दौरा पडऩे से मृत्यु हो गई जिन्होंने शादी के खर्च के लिए जमीन बेचकर तथा उधार लेकर अपने घर में कुछ लाख रुपए जमा करके रखे थे।

भटिंडा में भूख से बिलख रहे बच्चे को खाना दिलाने के लिए 500 रुपए का नोट लेकर एक गरीब महिला एक दुकान से दूसरी दुकान के चक्कर लगाती रही लेकिन किसी भी दुकानदार ने उसे सौदा नहीं दिया। 

इसी दिन मध्य प्रदेश के छतरपुर में एक महिला का अंतिम संस्कार करने के लिए उसके परिजनों ने चंदा मांग कर 50-50 और 100-100 रुपए के नोट इकट्ठे किए और अंत्येष्टि का सामान खरीद कर अंतिम संस्कार किया। 

वाहन चालकों की टोल प्लाजाओं के कर्मचारियों से  बाकी रकम लौटाने के प्रश्र पर झड़पें हुईं तथा मीलों लम्बे जाम लगे। इसे देखते हुए परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को 11 नवम्बर तक नैशनल हाईवे पर वाहनों को टोल टैक्स से मुक्त करने की घोषणा करनी पड़ी।  

लोगों में सोना खरीदने की होड़ सी लग गई और ज्यूलरों ने सोना  50,000 रुपए प्रति दस ग्राम तक  के भाव बेचा। घबराए लोगों ने 500 रुपए वाले नोट 400 रुपए में और 1000 रुपए वाले 900 रुपए में बेच डाले। 

इस ‘नोट बंदी’ से 10 और 11 नवम्बर को होने वाली अनेक शादियों की तैयारी को गहरा धक्का लगा और लोगों को सामान की खरीदारी तथा अन्य अदायगियां करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

हालांकि सरकार ने अपने इस कदम को ‘ईमानदारी का उत्सव’ बताया है परंतु कहीं-कहीं यह ईमानदारी लोगों की आस्था पर भारी भी पड़ रही है। अपने बड़े नोट तुड़वाने के लिए लोग धर्म स्थानों की शरण में भी जाने से नहीं चूके और धर्म स्थानों में अनेक व्यक्तियों ने छोटे नोटों के रूप में बकाया लेने के लिए कई-कई बार बड़े नोटों का चढ़ावा चढ़ाया।

अब तक अमीरों के विवाह समारोहों में 500 व 1000 रुपए वाले नोटों के हारों की मांग थी पर अब बड़े नोट रद्द हो जाने से 100-100 रुपए के छोटे नोटों के हारों तथा लिफाफे में शगुन डाल कर देने के लिए भी 100-100 रुपए के नए नोटों की मांग काफी बढ़ गई है। कुछ स्थानों पर 100-100 रुपए के 10 नोट जो 1000 रुपए बनते हैं, 2500 रुपए तक में बिके। 

इस बीच ‘पेटीएम’, ‘मोबीक्विक’ और ‘फ्री चार्ज’ जैसे ‘ऑनलाइन पेमैंट वालेट’ की चांदी हो गई है। बड़े नोट रद्द करने की घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर इनके व्यवसाय में 200 से 300 प्रतिशत तक उछाल आ गया। 

अत: यदि इस योजना को पूर्णत: गुप्त रखते हुए सरकार पुराने नोट रद्द करने से पूर्व 500 व 2000 रुपए के नए नोट जारी कर देती तो अच्छा होता। तब शायद लोगों को इतनी परेशानी न होती क्योंकि पुराने नोट तो नए नोट जारी करने के कुछ समय बाद भी रद्द किए जा सकते थे। 
 

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