नशों के पहाड़ तले दबता जा रहा देश तबाह हो रही युवा पीढ़ी

Edited By ,Updated: 01 Mar, 2024 05:17 AM

the country s young generation is being ruined due to drugs

आज देश में जिस कदर शराब एवं अन्य नशों का सेवन लगातार बढ़ रहा है, उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। शराब के इस्तेमाल से बड़ी संख्या में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं और देश की युवा पीढ़ी को नशों का घुन खोखला कर रहा है।

आज देश में जिस कदर शराब एवं अन्य नशों का सेवन लगातार बढ़ रहा है, उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। शराब के इस्तेमाल से बड़ी संख्या में महिलाओं के सुहाग उजड़ रहे हैं, बच्चे अनाथ हो रहे हैं और देश की युवा पीढ़ी को नशों का घुन खोखला कर रहा है। 

आमतौर पर लोगों को शराब से नशे की लत लगती थी और जब वे आर्थिक तंगी के कारण शराब नहीं खरीद पाते तो अन्य सस्ते नशों एवं नकली शराब का इस्तेमाल शुरू करके अपना जीवन तबाह कर बैठते हैं लेकिन आज की युवा पीढ़ी सिंथैटिक ड्रग और चिट्टे की शिकार होकर अपना जीवन ही नहीं बल्कि अपने परिवारों को भी बर्बाद कर रही है। इसके बावजूद सरकारों ने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं क्योंकि हमारे शासक तो शराब को नशा ही नहीं मानते और इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय को वे खोना नहीं चाहते। 

नेता चाहे कुछ भी कहें, यह अटल सत्य है कि शराब एक नशा एवं जहर  समान है तथा इसी कारण शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए महात्मा गांधी ने पराधीनता के युग में घोषणा की थी कि ‘‘यदि भारत का शासन आधे घंटे के लिए भी मेरे हाथ में आ जाए तो मैं शराब की सभी डिस्टिलरियों और दुकानों को बिना मुआवजा दिए ही बंद कर दूंगा।’’ परंतु राज्यों की सरकारें शराब की बिक्री से होने वाली आय से हाथ नहीं धोना चाहतीं तथा शराब की बिक्री से होने वाली आय से राजस्व जुटाने का लक्ष्य बढ़ाती रहती हैं। 

इसी सिलसिले में पंजाब सरकार ने वर्ष 2024-2025 के लिए बनाई जा रही नई एक्साइज पालिसी में 10,000 करोड़ रुपए राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा है। अन्य राज्यों की सरकारें भी इस मामले में पीछे नहीं हैं तथा प्रति वर्ष एक्साइज से प्राप्त होने वाले राजस्व का लक्ष्य बढ़ाती रहती हैं। एक ओर देश में लगातार शराब की खपत में वृद्धि हो रही है तो दूसरी ओर यहां जल एवं थल मार्ग से विभिन्न नशों की तस्करी जोरों पर है। 

* 27 फरवरी, 2024 को गुजरात ए.टी.एस., नौसेना तथा सैंट्रल एजैंसी के संयुक्त अभियान के अंतर्गत अरब सागर में ‘वेरावल’ बंदरगाह से 2 किलोमीटर दूर भारतीय सीमा के अंदर मछली पकडऩे वाली एक नाव से अनुमानित 2000 करोड़ रुपए मूल्य की 3300 किलो ड्रग्स तथा सैटेलाइट फोन के साथ 5 विदेशी नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया। 
बरामद की गई ड्रग्स में 3089 किलो चरस, 158 किलो ‘मेथामेफटामाइन’ तथा 25 किलो ‘माॢफन’ शामिल हैं। वजन के हिसाब से यह भारत में नशीले पदार्थों की अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी है। 

* 23 फरवरी, 2024 को पुलिस ने वेरावल शहर के घाट पर 350 करोड़ रुपए की 50 किलो हैरोइन जब्त की थी।
* 22 फरवरी, 2024 को ‘कुपवाड एम.आई.डी.सी. क्षेत्र’ (महाराष्ट्र) में एक कम्पनी पर छापे के दौरान 300 करोड़ रुपए मूल्य का 140 किलो नशीला पदार्थ ‘मेफेड्रोन’ (‘म्याऊं-म्याऊं’) जब्त करके 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इससे पूर्व देश के विभिन्न हिस्सों में पुणे पुलिस की कार्रवाई में 3700 करोड़ रुपए की ड्रग्स जब्त की गईं। 
हद तो यह है कि अब नशा तस्करों ने अवैध रूप से अपने घरों में ‘लैबोरेटरियां’ स्थापित करके नशा तैयार करना शुरू कर दिया है। 
* 1 फरवरी को दिल्ली-एन.सी.आर. में पुलिस ने छापा मार कर एक कोठी में ड्रग्स बनाने की फैक्टरी का पर्दाफाश करके इस मामले में केन्या के 1 तथा नाईजीरिया के 3 नागरिकों को गिरफ्तार किया। आरोपियों के कब्जे से प्रयोगशाला में इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न वस्तुओं के अलावा 445 ग्राम ‘एंफेटामाइन’ और 20 किलो से अधिक कच्चा माल बरामद किया गया। 

* 11 जनवरी को उत्तरी मुम्बई की पुलिस ने मालवणी-कांदीवली स्थित एक मकान में कायम की गई नशीले पदार्थों की लैबोरेटरी से 1.06 करोड़ रुपए मूल्य का 503 ग्राम हाई क्वालिटी नशीला पदार्थ ‘मेफेड्रोन’ बरामद किया। इस तरह के हालात में जब देश ‘नशे के पहाड़’ तले दबता जा रहा है, यहां से नशे की लानत समाप्त होने की संभावना कम ही प्रतीत होती है, क्योंकि एक ओर तो शराब की बिक्री से होने वाली आय से सरकारें चलाई जा रही हैं, जिसे वे खोना नहीं चाहतीं तथा दूसरी ओर नशों की तस्करी भी जोरों पर है।—विजय कुमार

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