मणिपुर में महिलाओं के साथ दरिंदगी ‘भयावह, निंदनीय और लज्जाजनक’

Edited By ,Updated: 21 Jul, 2023 04:51 AM

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पूर्वोत्तर का सीमावर्ती राज्य मणिपुर गत 78 दिनों से गैर जनजातीय हिन्दू मैतेई समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद 3 मई से मैतेई तथा जनजातीय कुकी व अन्य समुदायों में भारी विवाद के कारण हिंसा की आग में झुलस रहा है, जिसमें अब तक लगभग...

पूर्वोत्तर का सीमावर्ती राज्य मणिपुर गत 78 दिनों से गैर जनजातीय हिन्दू मैतेई समुदाय को जनजातीय दर्जा देने के हाईकोर्ट के आदेश के बाद 3 मई से मैतेई तथा जनजातीय कुकी व अन्य समुदायों में भारी विवाद के कारण हिंसा की आग में झुलस रहा है, जिसमें अब तक लगभग 160 लोग मारे जा चुके हैं। विवाद का मुख्य कारण जनजातीय समूहों में व्याप्त यह डर है कि मैतेई समुदाय को जनजातीय का दर्जा मिल जाने से उनकी समस्याएं बढ़ जाएंगी। हिंसा शुरू होने के अगले ही दिन 4 मई को दोपहर 3 बजे 800 से 1000 तक अज्ञात लोगों ने ‘सेनापति’ जिले के गांव ‘बी फैनोम’ पर हमला करके अनेक घरों में आग लगा दी और नकदी तथा गहनों सहित कीमती सामान लूट लिया। हमले के दौरान 5 ग्रामीण, जिनमें 2 पुरुष और 3 महिलाएं थीं, जंगल की ओर भाग गए। ‘नोंगपोक सेकमाई’ पुलिस ने उन्हें उपद्रवी भीड़ से बचाया और पुलिस स्टेशन ले आई। 

यहां से भीड़ ने उन्हें अगवा कर लिया और उसके तुरंत बाद एक पुरुष की हत्या तथा एक समुदाय की रोती-गिड़गिड़ाती 2 महिलाओं को कपड़े उतारने पर मजबूर करके उन्हें निर्वस्त्र सड़क पर घुमाने के अलावा उनमें से एक 21 वर्षीय युवती का सामूहिक बलात्कार किया गया और उसे बचाने के लिए आगे आए उसके 19 वर्षीय भाई की हत्या कर दी गई। 19 जुलाई को उक्त घटना का वीडियो वायरल होते ही देश भर में जन आक्रोश और भी भड़क उठा तथा इसे देखते हुए मणिपुर के 5 जिलों में 19 जुलाई को फिर से पूर्ण कफ्र्यू लगा दिया गया। 

सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राज्य के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह से त्यागपत्र तक की मांग की जाने लगी। यही नहीं, अढ़ाई महीने की खामोशी के बाद अंतत: 19-20 जुलाई की दरम्यानी रात को 1.30 बजे इस कांड के मुख्य आरोपी ‘खुयरूम हेरादास’ को तथा बाद में 3 अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस घटना के विरोध में 20 जुलाई को ‘चुराचांदपुर’ तथा राज्य के अनेक हिस्सों में प्रदर्शन शुरू हो गए और इसी मुद्दे पर संसद के मानसून सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में मणिपुर के मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कार्रवाई बाधित रही। 20 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद जाते समय पहली बार इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया और कहा : 

‘‘मणिपुर की बेटियों के साथ जो हुआ उसे कभी माफ नहीं किया जा सकता। किसी को भी नहीं छोड़ा जाएगा और कानून उचित कार्रवाई करेगा। मणिपुर पर मेरा हृदय पीड़ा और क्रोध से भरा हुआ है।’’
‘‘यह घटना किसी भी सभ्य समाज के लिए शर्मसार करने वाली है जिससे 140 करोड़ देशवासियों को लज्जित होना पड़ रहा है। ऐसी घटनाएं पूरे देश और हर देशवासी के लिए कलंक हैं।’’ इस बीच सुप्रीमकोर्ट ने भी इस घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में केंद्र और मणिपुर सरकार से रिपोर्ट मांग ली है, जिस पर 28 जुलाई को सुनवाई की जाएगी। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने इस बारे कहा : 

‘‘हम दुखी हैं। संवैधानिक लोकतंत्र में यह पूर्णत: अस्वीकार्य और मानवाधिकारों का उल्लंघन है। अब समय आ गया है कि सरकार वास्तव में कदम उठाए और कार्रवाई करे। यदि वह कार्रवाई नहीं करेगी तो हम करेंगे।’’  इस मामले में जब पत्रकारों ने राज्य के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह से इतने लम्बे समय तक इस मामले में कोई कार्रवाई न होने का कारण पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया, ‘‘मणिपुर में ऐसे सैंकड़ों केस हुए हैं पर मैं इस केस की निंदा करता हूं। हम आरोपियों को मृत्युदंड दिलाने का प्रयास करेंगे।’’ 

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने घटना को अमानवीय बताते हुए इसकी ङ्क्षनदा की तथा कहा,‘‘मैंने इस बारे मुख्यमंत्री बीरेन सिंह से बात की है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि अपराधियों को कठघरे में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।’’ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, ‘‘मणिपुर में मानवता मर गई है।’’  प्रियंका गांधी के अनुसार, ‘‘मणिपुर में महिलाओं के विरुद्ध भयावह यौन ङ्क्षहसा के चित्र दिल दहला देने वाले हैं। केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री जी मणिपुर की हिंसक घटनाओं पर आंख मूंद कर क्यों बैठे हैं?’’ 

बहरहाल, 78 दिनों से मणिपुर में हिंसा का जारी रहना और महिलाओं पर इस तरह का अत्याचार घोर अमानवीय, भयावह तथा निंदनीय है जो कहीं न कहीं राज्य और केंद्र सरकार द्वारा इस संवेदनशील मामले की गंभीरता और राज्य में हो रही हिंसा के प्रति उदासीनता बरतने का परिणाम है। यदि राज्य इसी प्रकार हिंसा की आग में झुलसता रहा तो न सिर्फ जान-माल तबाह होने के साथ-साथ इस संवेदनशील सीमावर्ती राज्य की सुरक्षा खतरे में पड़ी रहेगी बल्कि इससे केंद्र व राज्य सरकार दोनों को राजनीतिक हानि होगी।—विजय कुमार

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