हमारे लोकतंत्र में घर कर गईं कुरीतियां आखिर कब दूर होंगी

Edited By Updated: 07 Jul, 2021 04:41 AM

when will the evils that have gone home in our democracy finally go away

हम लिखते रहते हैं कि हमारे माननीयों को हर बयान सोच-समझ कर ही देना चाहिए परन्तु उलटे-पुलटे बयान देकर जहां ये देश में कटुता के बीज बो रहे हैं वहीं इन्होंने संसद और विधानसभाओं में भी

हम लिखते रहते हैं कि हमारे माननीयों को हर बयान सोच-समझ कर ही देना चाहिए परन्तु उलटे-पुलटे बयान देकर जहां ये देश में कटुता के बीज बो रहे हैं वहीं इन्होंने संसद और विधानसभाओं में भी अपने आचरण से अब स्थिति खराब करनी शुरू कर दी है, जिससे देश का माहौल खराब हो रहा है। 

5 जुलाई को महाराष्ट्र में विधानसभा में ओ.बी.सी. मुद्दे पर भाजपा के 12 विधायकों को सदन के अंदर हंगामा और कार्यवाहक अध्यक्ष भास्कर जाधव से बदसलूकी करने के कारण एक वर्ष के लिए निलंबित कर दिया गया। आरोप है कि इन्होंनेे पहले कार्यवाहक अध्यक्ष भास्कर जाधव के समक्ष सदन में हंगामा करके माइक हटाने का प्रयास किया और फिर सदन की कार्रवाई स्थगित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष नरहरि झिरवल के कक्ष में घुस कर भास्कर जाधव को पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडऩवीस की मौजूदगी में गालियां दीं। 

जन प्रतिनिधियों द्वारा सदन के भीतर गलत आचरण का पहला उदाहरण केरल विधानसभा में हुए हंगामे के सिलसिले में दर्ज एक आपराधिक मामले का है। उस समय वहां यू.डी.एफ. की सरकार थी और 13 मार्च, 2015 के दिन जब तत्कालीन वित्त मंत्री के.एम. मणि बजट पेश कर रहे थे तब उन्हें एल.डी.एफ. के सदस्यों ने ऐसा करने से रोका था। इस घटना से जुड़ी याचिकाओं पर 5 जुलाई को सुनवाई के दौरान सुप्रीमकोर्ट के माननीय न्यायाधीशों डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा : 

‘‘हमें ऐसा अस्वीकार्य व्यवहार करने वाले जन प्रतिनिधियों का कड़ा संज्ञान लेना होगा और उन पर ‘सार्वजनिक संपत्ति नुक्सान रोकथाम कानून’ के अंतर्गत मुकद्दमे चलाने चाहिएं। हमें यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि सदन में कुछ शिष्टाचार बना रहे। ऐसी घटनाएं दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं। संसद में भी यह हो रहा है, हमें इसके विरुद्ध कठोरता बरतनी होगी।’’
ये अपनी तरह की अकेली घटनाएं नहीं हैं, इससे पहले भी जन प्रतिनिधियों द्वारा आपत्तिजनक बयानबाजी और आचरण की अनेक घटनाएं हो चुकी हैं। 

3 मई को भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो ने ममता बनर्जी को एक क्रूर महिला बताया, वहीं 5 मई को भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ने ममता को ‘ताड़का’ कहा और 14 मई को भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने यह कह कर विवाद पैदा किया कि ‘‘राहुल गांधी चपड़ासी बनने की योग्यता रखते हैं।’’ 23 मार्च को बिहार विधानसभा में विपक्षी विधायकों ने भारी हंगामा किया। वे रिपोर्टर टेबल पर चढ़ गए। उन्होंने कुॢसयां उठाकर फैंक दीं और सदन में कागज के गोले बनाकर फैंकने लगे। विपक्ष के कुछ सदस्य विधानसभा अध्यक्ष की ओर भी कागज छीनने के लिए बढ़े पर मार्शलों ने उन्हें रोक दिया। 

3 अप्रैल को ओडिशा विधानसभा में भाजपा विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष सुरज्या नारायण पात्रो पर सदन में ओडिशा लोकायुक्त (संशोधन) विधेयक बिना बहस के पारित करवाने का आरोप लगाते हुए उनके पोडियम पर जूते, कागज के गोले, कलम और माइक्रोफोन फैंके जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भाजपा के 3 सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
जनता को राह दिखाने वाले जनप्रतिनिधियों द्वारा इस तरह का आचरण करना तथा सदन को इस तरह मछली बाजार या तमाशा बनाना कदापि उचित नहीं है क्योंकि लोकतंत्र में सभ्य तरीके से रोष अथवा असहमति व्यक्त करने के लिए जनप्रतिनिधि सदन से वाकआऊट कर सकते हैं। 

हालांकि समय-समय पर न्यायपालिका द्वारा गलत आचरण करने वाले जनप्रतिनिधियों को फटकार लगाई जाती है परन्तु जनप्रतिनिधि लगातार पहले की भांति गलत आचरण में संलिप्त पाए जा रहे हैं।

सभी विवाद अदालतों में जा रहे हैं और न्यायपालिका द्वारा इसे रोकने के प्रयासों के बावजूद यह दुष्चक्र बराबर जारी है। अत: यह सब देखते हुए मन में यह प्रश्र उठना स्वाभाविक ही है कि हमारा लोकतंत्र किधर जा रहा है और इसमें घर कर गई कुरीतियां आखिर कब दूर होंगी? निश्चय ही इस तरह का व्यवहार लोकतंत्र के हित में नहीं है और इन हालात को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि हमारे संविधान में कुछ संशोधनों की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार के अप्रिय आचरण से पैदा होने वाली स्थितियों को रोका जा सके।—विजय कुमार

Related Story

    Trending Topics

    IPL
    Royal Challengers Bengaluru

    190/9

    20.0

    Punjab Kings

    184/7

    20.0

    Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

    RR 9.50
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!