शराब की बुराई के विरुद्ध महिलाएं उतरीं मैदान में

Edited By ,Updated: 25 Mar, 2023 04:09 AM

women came to the field against the evil of alcohol

देश में शराब का सेवन लगातार बढ़ता जा रहा है और उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। शराब एक नशा रूपी जहर है जिसके सेवन से अनेक बीमारियां होती हैं तथा व्यक्ति विवेकहीन होकर अनेक गम्भीर अपराध कर बैठता है।

देश में शराब का सेवन लगातार बढ़ता जा रहा है और उसी अनुपात में अपराध भी बढ़ रहे हैं। शराब एक नशा रूपी जहर है जिसके सेवन से अनेक बीमारियां होती हैं तथा व्यक्ति विवेकहीन होकर अनेक गम्भीर अपराध कर बैठता है। 

शराब भारतीय मार्कीट में सबसे तेजी से बढऩे वाले व्यापारों में से एक है तथा पिछले 2 वर्षों में इसकी वार्षिक बिक्री में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत में भांग, हैरोइन, कोकीन तथा अन्य रासायनिक नशों की तुलना में सर्वाधिक किया जाने वाला नशा शराब ही है। शराब के दुष्प्रभावों को देखते हुए ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने पराधीनता के युग में यह घोषणा की थी कि यदि भारत का शासन आधे घंटे के लिए भी उनके हाथ में आ जाए तो वह शराब की सभी डिस्टिलरियों और दुकानों को बिना मुआवजा दिए ही बंद कर देंगे। यही नहीं, गांधी जी ने महिलाओं को भी स्वाधीनता आंदोलन से जोड़ा और देश के कोने-कोने में महिलाओं ने दूध पीते बच्चों तक को गोद में लेकर शराबबंदी की मांग के साथ-साथ विदेशी कपड़ों की होली भी

जलाई और अनेक महिलाओं ने 2-2, 3-3 वर्ष की कैद भी काटी थी। चूंकि पुरुषों के शराब सेवन से सर्वाधिक प्रभावित महिलाएं ही होती हैं, अत: अब अनेक स्थानों पर वे इसके विरुद्ध मैदान में उतर आई हैं :  

* 22 नवम्बर, 2022 को जबलपुर (मध्य प्रदेश) के गांव ‘गंगई बरखेड़ा’ में महिलाओं ने लाठी-डंडों से लैस होकर शराब की दुकानों के बाहर प्रदर्शन करके ठेकेदार को अपना धंधा बंद करने की चेतावनी दी। 
* 8 फरवरी, 2023 को जबलपुर (मध्य प्रदेश) के ‘बिजूरी’ गांव में सैंकड़ों महिलाओं ने शराब की दुकानों का घेराव करके धरना दिया। उन्होंने कहा कि शराब उनके घरों में कलह का मुख्य कारण है। 
महिलाओं के अनुसार इसके लिए पैसे न देने पर पुरुष जबरदस्ती घर की वस्तुएं ले जाकर बेच देते हैं और उनकी पिटाई तक कर डालते हैं। 
* 22 फरवरी, 2023 को चंदौली (उत्तर प्रदेश) के अली नगर थाना क्षेत्र के ‘पटपरा’ गांव में स्थित शराब की दुकान पर महिलाओं और युवाओं ने प्रदर्शन करके वहां रखी अंग्रेजी और देसी शराब की बोतलें तोडऩे के अलावा सड़क पर अवरोध रख कर रास्ता जाम कर दिया। 

* 12 मार्च, 2023 को वाराणसी के ‘कांखभारा बाजार’ में अंग्रेजी शराब की दुकान खोले जाने की आहट मिलते ही महिलाएं उसका विरोध करने के लिए सड़क पर उतर आईं। उनका कहना था कि इलाके में देसी शराब की दुकान के कारण वे पहले ही शराबियों के उत्पात से तंग हैं तथा अंग्रेजी शराब का ठेका खुल जाने से उनकी समस्याएं और बढ़ जाएंगी।
* 14 मार्च, 2023 को एटा (उत्तर प्रदेश) जिले के अलीगंज थाना के ‘अमरौली रत्न’ गांव के शराब के ठेके पर आबकारी टीम के पहुंचने पर अपने पतियों की शराब की लत से परेशान महिलाओं, बच्चों व युवाओं ने नारेबाजी की और कहा कि यहां शराब बेची तो वे आत्महत्या कर लेंगे।

* 21 मार्च को ठाणे (महाराष्ट्र) जिले के उल्हास नगर कस्बे में महिलाओं ने जुए और शराब के अड्डों पर तोडफ़ोड़ की। उल्लेखनीय है कि 8 मार्च को महिलाओं ने इसी ठेके पर शराब पीकर निकले कुछ पुरुषों को न सिर्फ पीटा बल्कि ठेके से शराब निकाल कर आग भी लगा दी। 

हालांकि शराब के दुष्प्रभावों को लेकर महिलाओं में रोष बढ़ रहा है और वे इस तरह की कार्रवाइयों के माध्यम से इसे व्यक्त भी कर रही हैं परंतु हमें नहीं लगता कि हमारी सरकारें इस बुराई को समाप्त करने की दिशा में कोई कदम उठाएंगी क्योंकि सरकारें तो शराब को नशा ही नहीं मानतीं और इसकी बिक्री से होने वाली भारी-भरकम आय के सहारे ही चलती हैं तथा इसी कारण उन्होंने इस ओर से आंखें मूंद रखी हैं। 

अत: हम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और संत समाज से आग्रह करेंगे कि वे उक्त घटनाओं का संज्ञान लेकर शराब की लानत पर प्रतिबंध लगाने की दिशा में प्रयास शीघ्र शुरू करें ताकि महिलाओं के सुहाग उजडऩे और बच्चों के अनाथ होने के परिणामस्वरूप परिवारों को तबाह होने से बचाया जा सके।—विजय कुमार 

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