5जी : अब खामियाजा चीन को भुगतना पड़ेगा

Edited By ,Updated: 10 Aug, 2022 06:52 AM

5g now china will have to bear the brunt

भारत 5जी तकनीक में जल्दी ही अपना काम शुरू करना चाहता है, इसके लिए भारत सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं। एक तरफ जहां 5जी स्पैक्ट्रम की खरीदारी के लिए अंबानी और अडानी जैसी

भारत 5जी तकनीक में जल्दी ही अपना काम शुरू करना चाहता है, इसके लिए भारत सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं। एक तरफ जहां 5जी स्पैक्ट्रम की खरीदारी के लिए अंबानी और अडानी जैसी दिग्गज भारतीय कंपनियां मैदान में खड़ी हैं, तो दूसरी तरफ इसके इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों की खरीदारी को लेकर अभी थोड़ा संशय बना हुआ है क्योंकि अब भारत में 5जी तकनीक और उसके इलैक्ट्रिकल और इलैक्ट्रॉनिक पुर्जों को चीन से नहीं खरीदने पर एक तरह से मुहर लग चुकी है। अब भारत के सामने सवाल यह खड़ा होता है कि इलैक्ट्रॉनिकपुर्जे कहां से खरीदे जाएंगे?

अभी तक भारत में 3जी और 4जी के इलैक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स को लेकर जो भी खरीदारी हुई है वह चीन से हुई है, इसके साथ ही सैमसंग और एरिक्सन जैसी कंपनियों से भी पार्ट्स लिए गए थे लेकिन सबसे ज्यादा पार्ट्स चीन से ही खरीदे गए थे। पहले 5जी के इलैक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स की खरीदारी भी चीन से ही होना तय था लेकिन चीनी पार्ट्स में एक सबसे बड़ी बात ये है कि उसका डाटा चीन में जाता है जिससे देश की सारी संवेदनशील और गोपनीय जानकारी चीन के पास जाएगी, यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा खतरा है। 

इसके साथ ही वर्ष 2020 में गलवान घाटी में चीनी सैनिकों द्वारा धोखे से की गई ङ्क्षहसा के बाद भारत ने चीन से अपना व्यापार कम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। इसका नतीजा है कि अब भारत ने मन बना लिया है कि चीन से 5जी इलैक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स नहीं खरीदे जाएंगे।

सूत्रों की मानें तो भारतीय कम्पनियों ने 5जी के लिए विदेशी कम्पनियों से करार भी करना शुरू कर दिया है जिनमें स्वीडन की एरिक्सन, फिनलैंड की नोकिया और दक्षिण कोरिया की सैमसंग जैसी कम्पनियां शामिल हैं। इस दौड़ में चीन की जैड.टी.ई. और  ह्वावे कंपनियों ने  भी हिस्सा लिया था लेकिन उनको पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया। देश में चलने वाले आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम और चीन के बहिष्कार का यह बहुत बड़ा उदाहरण है। 

भारत की सारी परियोजनाओं में अब चीन का विकल्प तेजी के साथ ढूंढा जा रहा है। अगर हम बात करें 5जी स्पैक्ट्रम की तो इसमें भारत की तीन बड़ी और दिग्गज कंपनियां जुटी हुई हैं जिनमें एयरटैल के मित्तल, रिलायंस के मुकेश अंबानी और गौतम अडानी प्रमुख रूप से हैं। इलैक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स के लिए इन तीनों बड़ी कम्पनियों ने स्वीडन, फिनलैंड और कोरियाई कम्पनियों से बातचीत कर ली है। 

इसका मतलब यह है कि भारत में 5जी मोबाइल नैटवर्क की शुरूआत के लिए एक भी इलैक्ट्रॉनिक पार्ट चीन का इस्तेमाल नहीं होगा। 5जी डील में कान्ट्रैक्ट नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग जैसी कम्पनियों को दिए गए हैं। इस बिडिंग में चीन के हाथ कुछ भी नहीं लगा। तीनों बड़ी भारतीय कम्पनियों ने जानबूझ कर चीन की किसी भी कम्पनी के कोई इलैक्ट्रानिक्स पार्टस नहीं खरीदे। 

रिलायंस और एयरटैल के अलावा वोडाफोन-आइडिया कम्पनी ने अपने 5जी इलैक्ट्रॉनिक्स पार्ट्स के लिए यूरोपीय कंपनियों से करार किया है। हालांकि यहां भी चीनी कंपनियों ने इस आस में बिडिंग में हिस्सा लिया था कि शायद उनके हाथ कुछ लग जाए।लेकिन इस कंपनी ने भी चीन की दोनों कम्पनियों से इस बिडिंग में कोई भी समझौता नहीं किया। भारती एयरटैल ने अपनी डील के बारे में जानकारी दी है और बताया कि नोकिया, एरिक्सन और सैमसंग के साथ डील पूरी हो चुकी है। वहीं दूसरी तरफ रिलायंस जियो और वोडाफोन-आइडिया ने अभी डील को फाइनल नहीं किया है। 

जल्दी ही ये दोनों भारतीय कम्पनियां भी डील को फाइनल करेंगी। यह पहला अवसर होगा जब यूरोपीय वैंडर रिलायंस जियो को अपने मोबाइल नैटवर्क से जुड़े इलैक्ट्रॉनिक्स उपकरण सप्लाई करेंगे। रिलायंस जियो ने जहां पहले 4जी तकनीक में सैमसंग के साथ मिलकर काम किया था तो वहीं इस बार सैमसंग भारती एयरटैल को मोबाइल नैटवर्क गीयर सप्लाई करेगा। 

चीन एक तरफ भारत से व्यापार करना चाहता है तो वहीं दूसरी तरफ सीमा पर हमारे सैनिकों के साथ युद्ध कर हमारी सीमा का अतिक्रमण करना चाहता है। ऐसे में चीन को यह चुनना होगा कि वह व्यापार करेगा या दुश्मनी। चीन को अपनी आॢथक और सैन्य शक्ति पर इतना घमंड हो चला था कि उसने सोचा व्यापार में हमारा कोई विकल्प नहीं है दुनिया किसी भी हाल में हमसे व्यापार करेगी, ऐसी हालत में अपने मंसूबे पूरे करने में कोई गुरेज नहीं है। यही सोचकर चीन ने न सिर्फ भारत बल्कि दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के साथ भी सीमा हथियाने के मामले में उनसे दुश्मनी मोल ले ली है। 

अब इसका खामियाजा भी चीन को भुगतना पड़ेगा क्योंकि पूरी दुनिया ने यह तय कर लिया है कि अब वह चीन के साथ व्यापारिकरिश्ते आगे नहीं बढ़ाएगी। ऐसे में कोरोना महामारी के चलते चीन की आपूर्ति शृंखला बाधित होने के चलते दक्षिणी चीन से सारी विदेशी कम्पनियां बाहर निकल कर वियतनाम, भारत, इंडोनेशिया, थाइलैंड और फिलीपींस का रुख कर रही हैं। 

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!