भाजपा कर रही लोकसभा चुनाव की तैयारी, कांग्रेसी पड़ रहे एक-दूसरे पर भारी

Edited By Pardeep,Updated: 02 Aug, 2018 04:13 AM

bjp is preparing for lok sabha elections congressmen are on one another

आनेवाले लोकसभा चुनावों को लेकर हिमाचल प्रदेश भाजपा द्वारा पूरा रोडमैप तैयार कर लिया गया है। वहीं भाजपा संगठन में आवश्यक फेरबदल को लेकर पार्टी प्रभारी मंगल पांडेय अपनी विस्तृत रिपोर्ट भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आने वाले दिनों में देंगे क्योंकि...

आनेवाले लोकसभा चुनावों को लेकर हिमाचल प्रदेश भाजपा द्वारा पूरा रोडमैप तैयार कर लिया गया है। वहीं भाजपा संगठन में आवश्यक फेरबदल को लेकर पार्टी प्रभारी मंगल पांडेय अपनी विस्तृत रिपोर्ट भी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आने वाले दिनों में देंगे क्योंकि हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आने के बाद पार्टी में आवश्यक फेरबदल की जरूरत हाईकमान ने महसूस की है। पार्टी चुनाव हार चुके और जीतकर विधायक बने कुछ वरिष्ठ नेताओं की सेवाएं अब संगठन में लेना चाहती है। वहीं लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल के जन प्रभाव को आंकते हुए हाईकमान उनकी भूमिका भी तय करना चाहता है। 

भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती का कार्यकाल कुछ समय बाद समाप्त होने जा रहा है, जिससे ये कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रो. प्रेम कुमार धूमल की वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाया जा सकता है लेकिन प्रो. धूमल की हार के बाद प्रदेश के अंदर बदले सियासी समीकरणों के चलते संगठन और सरकार में आर.एस.एस. से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का ही बोलबाला है। ऐसे में प्रो. प्रेम कुमार धूमल के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की ओर बढ़ रहे कदमों को रोकने की कोशिशें भी हो सकती हैं। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार और केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा के साथ उनके रिश्तों में खटास अभी तक कायम है। संगठन की पसंद से मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर के नेतृत्व को हाईकमान अगले 20 साल तक खड़ा करने की कोशिश में है। 

आर.एस.एस. और भाजपा हाईकमान यह भी नहीं चाहेंगे कि प्रो. प्रेम कुमार धूमल को भाजपा अध्यक्ष बनाकर उनकी छाया में जयराम ठाकुर का अपना प्रभाव कम हो लेकिन लोकसभा चुनावों को लेकर मिशन 4 के लिए प्रो. धूमल की अनदेखी भी पार्टी को भारी पड़ सकती है। भाजपा के सियासी गलियारों में यह चर्चा भी है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह धूमल खेमे से संबंधित किसी बड़े कद के नेता को भी हिमाचल भाजपा का नया अध्यक्ष बना सकते हैं लेकिन नए भाजपा अध्यक्ष के लिए केंद्रीय मंत्री जे.पी. नड्डा की राय को भी अमित शाह अहमियत देंगे। आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा कि भाजपा पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल की संगठन में क्या भूमिका तय करती है? 

दूसरी ओर कांग्रेस लोकसभा चुनावों की तैयारी के बजाय अभी तक आपसी लड़ाई से ही बाहर नहीं निकल पा रही है। नवनियुक्त हिमाचल कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल ने 9 जिलों के दौरे कर संगठन को लोकसभा चुनावों के लिए तैयार करने की कोशिश जरूर की है लेकिन इन दौरों पर भी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्द्र सिंह सुक्खू की आपसी लड़ाई की छाया पड़ी रही। वहीं अखिल भारतीय कांग्रेस वर्किंग कमेटी की स्थायी सदस्य व विधायक आशा कुमारी ने निजी व्यस्तता के चलते इन दौरों से दूरी बनाए रखी। वीरभद्र सिंह ने भी केवल शिमला संसदीय क्षेत्र की बैठकों में ही भाग लिया। बड़े नेताओं की लड़ाई का असर अब दूसरी पंक्ति की लीडरशिप के ऊपर भी दिखने लगा है। कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में दो पूर्व मंत्रियों जी.एस. बाली और सुधीर शर्मा के बीच लोकसभा टिकट पाने को लेकर चल रही लड़ाई से भी कांग्रेस इस संसदीय क्षेत्र में 2 धड़ों में बंटती दिख रही है। 

हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह के बाद कांग्रेस लीडरशिप फिलहाल मुकेश अग्रिहोत्री के इर्द-गिर्द घूमने लगी है लेकिन 2022 में होने वाले विधानसभा चुनावों के वक्त अपने दमदार क्लेम के लिए बाली और सुधीर किसी भी तरह लोकसभा के रास्ते से होकर हिमाचल लौटने की योजना में हैं लेकिन पूर्व मंत्री हर्ष महाजन भी कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से टिकट हासिल कर कुछ ऐसी ही मंशा पाले हुए हैं। पिछले दिनों सुधीर शर्मा कांग्रेस के कुछ नेताओं का समर्थन हासिल कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर टिकट पर अपना दावा जता आए हैं। 

ओ.बी.सी. वर्ग के बड़े कांग्रेसी नेता चौधरी चंद्र कुमार के बेटे पूर्व विधायक नीरज भारती ने सुधीर शर्मा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पहले जी.एस. बाली के धुर विरोधी रहे नीरज भारती ने अब उनसे हाथ मिला लिया है। इसी तरह से हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से प्रो. प्रेम कुमार धूमल को हराकर चर्चा में आए सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा को भी ऊना के विधायक सतपाल रायजादा से चुनौती मिलने लगी है। 

गौरतलब है कि राजेंद्र राणा पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर भाजपा प्रत्याशी अनुराग ठाकुर के खिलाफ चुनाव में उतरे थे। इस बार राजेंद्र राणा अपने पुत्र अभिषेक राणा को लोकसभा का टिकट दिलवाने के लिए लॉङ्क्षबग कर रहे हैं। उनकी इस लॉबिंग को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुखविन्द्र सिंह सुक्खू के गुट से खुली चुनौती मिल रही है। मंडी संसदीय क्षेत्र का जिक्र करें तो मंडी के अधिकांश कांग्रेसी लोकसभा चुनावों के लिए अभी भी वीरभद्र सिंह को ही उपयुक्त प्रत्याशी मानते हुए उनकी राह देख रहे हैं जबकि पूर्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर को भी पार्टी मजबूत प्रत्याशी के रूप में देख रही है। शिमला (आरक्षित) संसदीय क्षेत्र से पूर्व में आजमाए व सोलन के मौजूदा विधायक धनीराम शांडिल्य के अलावा युवा नेता विनोद सुल्तानपुरी के नामों की चर्चा चल रही है। 

कांग्रेस में लोकसभा चुनावों के लिए टिकट हेतु लॉबिंग का यह माहौल जरूर है लेकिन चुनाव लडऩे के लिए संगठन को तैयार करने का काम बिल्कुल नहीं हो रहा है। लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी अभी तक अपनी रणनीति भी नहीं बना पाई है। वीरभद्र सिंह और उनका खेमा सुखविन्द्र सिंह सुक्खू को हटवाकर नए अध्यक्ष के साथ लोकसभा चुनावों में उतरना चाहता है। वीरभद्र सिंह हिमाचल कांग्रेस प्रभारी रजनी पाटिल को भी कांग्रेस संगठन में बदलाव करने की बात कह चुके हैं। वहीं पिछले साढ़े 5 वर्षों से हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर काबिज सुक्खू लोकसभा चुनावों तक इस पद पर बने रहने की कोशिश कर रहे हैं जिसके लिए उन्हें दिल्ली से पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा सहित प्रदेश के कुछेक बड़े नेताओं का समर्थन मिल रहा है। अगर कांग्रेस के अंदर परिस्थितियां ऐसी ही रहीं तो भाजपा का मिशन 4 सफल हो सकता है क्योंकि वर्तमान में प्रदेश की चारों लोकसभा सीटों पर भाजपा के सांसद हैं।-डा. राजीव पत्थरिया

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