‘कोरोना के नाम पर चीन अपने व्यापारिक सांझेदारों को कर रहा परेशान’

Edited By Updated: 26 Nov, 2020 05:36 AM

china is harassing its trading partners in the name of corona

चीन अपने पड़ोसियों और दुनिया के दूसरे देशों को सिर्फ युद्ध की धमकी और सैन्य कार्रवाई से ही परेशान नहीं करता है बल्कि उसने कई दूसरे रास्ते भी ढूंढ लिए हैं। अपने व्यापारिक सांझेदारों को भी चीन आजकल परेशान कर रहा है और उसने बहाना ढूंढा है कोरोना बीमारी...

चीन अपने पड़ोसियों और दुनिया के दूसरे देशों को सिर्फ युद्ध की धमकी और सैन्य कार्रवाई से ही परेशान नहीं करता है बल्कि उसने कई दूसरे रास्ते भी ढूंढ लिए हैं। अपने व्यापारिक सांझेदारों को भी चीन आजकल परेशान कर रहा है और उसने बहाना ढूंढा है कोरोना बीमारी का। यानी चीन को जिस भी देश के आयात को रोकना होता है वो उसकी कोरोना टैस्टिंग कर उसे कोरोना संक्रमित दिखा देता है और अपने देश में एंट्री से रोक देता है। 

हालांकि इन सामानों की कोरोना जांच रिपोर्ट चीन के अधिकारी संबंधित देशों को मुहैया नहीं करवा रहे हैं जिससे एक तरफ इन देशों को आर्थिक नुक्सान हो रहा है, वहीं इन देशों की कम्पनियों के नाम पर बट्टा भी लग रहा है। अभी तक चीन ने 20 ऐसे देशों की सूची तैयार की है जिनके आयातित सामानों में चीन ने कोरोना वायरस होने का आरोप लगाया है। उनमें से कुछ हैं- जर्मनी से आयातित सुअर का मांस, ब्राजील का गोमांस और भारत की मछली। 

5-6 नवम्बर को हुई विश्व व्यापारिक संगठन की मीटिंग में कनाडा ने चीन द्वारा विदेशों से आयातित वस्तुओं की कोविड टैस्टिंग को गैर-न्यायसंगत और तर्कहीन बताया और चीन से इसे रोकने को कहा। इस पर अमरीका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्राजील और मैक्सिको की तरफ से विरोध जताया गया है जिसमें कहा गया है कि चीन ने कोरोना संक्रमित वस्तुओं के कोई सबूत भी अभी तक पेश नहीं किए हैं, और जिस वायरस को आधार बनाकर विदेशी वस्तुओं पर प्रतिबंध लगाया है वो वैज्ञानिक नहीं है और इससे इन देशों के चीन के साथ व्यापारिक सांझेदारी टूटने का अंदेशा भी है। 

चीन में विदेशी वस्तुओं की मांग बहुत ज्यादा है लेकिन चीन पहले तो किसी विदेशी वस्तु के चीन में प्रवेश पर दसियों तरह के प्रतिबंध लगाता है लेकिन जब उसे किसी वस्तु विशेष में मुनाफा दिखाई देता है तो चीन तुरंत उसकी नकल अपने देश में बनाकर सारा मुनाफा खुद कमा लेना चाहता है। बावजूद इसके बाकी वस्तुओं के आयात पर चीन इसलिए भी किसी न किसी बहाने से रोक लगाता है जिससे उसका विदेशी मुद्रा भंडार खाली न हो जाए और उसका विदेशी व्यापार मुनाफे के बजाय घाटे का सौदा न बने। 

चीन ने दावा किया कि विदेशों से जो खाद्य सामग्री चिनान, थ्येनचिन, श्यामन और छेंगछोऊ में आयात किया गया था उनमें कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए हैं जिस पर चीन इन खाद्य सामग्रियों को संक्रमण रहित बनाने के लिए तेज गति से काम करेगा। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि न तो खाद्य सामग्री और न ही पैकेजिंग में किसी तरह का कोई वायरस पाया गया है। चीन की इस परेशान करने वाली करतूतों से चीन के व्यापारिक सांझेदारों को कुंठा और हताशा दोनों हो रही है। क्योंकि चीन खाद्य सुरक्षा के नाम पर जिन तरीकों का इस्तेमाल कर रहा है वे वैश्विक नियमों के अनुरूप नहीं हैं, साथ ही चीन का यह नियम पारदर्शी भी नहीं है। कई विदेशी अधिकारियों ने बताया कि चीनी अधिकारियों ने उनसे टैस्ट रिपोर्ट सांझा नहीं की जो यह दिखाता है कि चीन जानबूझकर अपने व्यापारिक सांझेदारों को परेशान कर रहा है। 

जर्मनी के खाद्य और कृषि अधिकारियों ने चीनी अधिकारियों से जर्मन सुअर के मीट में वायरस होने की बात का सबूत मांगा, जिसे चीन जर्मन अधिकारियों को मुहैया कराने में विफल रहा। जर्मन अधिकारियों ने इस पर कहा कि जैसा चीन दावा कर रहा है कि जर्मनी से आयातित सुअर के मीट में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए हैं तो इस मीट को खाने वाले लोगों को कोरोना क्यों नहीं हुआ, इसका जवाब भी चीनी अधिकारी नहीं दे पाए। 

इसी तरह न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डेन ने दावा किया कि उनके देश से आयातित गोमांस में कोई भी वायरस नहीं है लेकिन चीन ने न्यूजीलैंड के गोमांस, जिसे चिनान में आयात किया गया था, पर कोरोना वायरस संक्रमित होने के आरोप तो जरूर लगाए लेकिन इन आरोपों का कोई वैज्ञानिक प्रमाण देने में विफल रहे। अगस्त के महीने में जब चीन ने ब्राजील से आयातित चिकन में कोरोना वायरस के लक्षण पाने की बात कही तो ब्राजील का एक शिष्टमंडल दक्षिण चीन के एक शहर पहुंचा जहां पर चीनी अधिकारी ब्राजीली शिष्टमंडल को ऐसा कोई भी सबूत देने में विफल रहे जैसा कि उन्होंने आरोप लगाया था। 

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