बजट में दिशा, विचार और नीतियों का दिग्दर्शन

Edited By ,Updated: 02 Feb, 2024 02:29 AM

direction ideas and policies in the budget

यह स्वीकार करना होगा कि परंपराओं से अलग वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चुनाव के पूर्व के बजट को अंतिम बजट ही रखा है। लोकसभा चुनाव के पूर्व का बजट वोट ऑन अकाऊंट होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल संसद सत्र की शुरूआत के समय कहा था कि बजट में नई...

यह स्वीकार करना होगा कि परंपराओं से अलग वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने चुनाव के पूर्व के बजट को अंतिम बजट ही रखा है। लोकसभा चुनाव के पूर्व का बजट वोट ऑन अकाऊंट होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल संसद सत्र की शुरूआत के समय कहा था कि बजट में नई घोषणाएं नहीं होंगी, भविष्य के लिए दिशा-निर्देश होंगे। हालांकि यह भी नहीं कह सकते कि बजट में नई घोषणाएं नहीं हैं। 

शेयर बाजार से लेकर विश्व भर के निवेशकों, व्यापारियों-सबकी नजर इस पर होती है। नई सरकार बनने तक अर्थव्यवस्था के प्रति सबका विश्वास बना रहे, भारतीय आर्थिक स्थिति की साख कायम रहे तथा विकास की गति बाधित न हो इन दृष्टियों से कुछ न कुछ घोषणाएं आवश्यक थीं और वही हुई हैं। ये ऐसी नहीं हैं जिन्हें आप चुनावी दृष्टि से लोगों को लुभाने वाली कहें। वित्त वर्ष 2024-25 में उधारी के अलावा कुल प्राप्तियां तथा कुल व्यय लक्ष्य क्रमश : 30.80 लाख करोड़ रुपए और 47.66 लाख करोड़ रुपए रहने तथा कर प्राप्तियां 26.02 लाख करोड़ रुपए रहने की संभावना है। भारत के अलावा इतने बड़े बजट आकार वाले विश्व में 2 ही देश हैं अमरीका और चीन। बात मूल बजट के सिद्धांतों और दिशा की है। बजट से देश के वर्तमान और भविष्य की दिशा का पता चलता है। तो क्या हैं सिद्धांत और दिशा? 

इसमें भारत के धर्म क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों को पर्यटन की दृष्टि से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित करना और उसके अनुसार पुनॢनर्माण की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों लक्षद्वीप के समुद्र और तटों की तस्वीरें जारी कीं और वित्त मंत्री के भाषण में भी लक्षद्वीप का उल्लेख है। इसमें धार्मिक एवं अन्य पर्यटन स्थलों के लिए राज्यों को भी आधारभूत संरचना में सहयोग करने की घोषणा है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी, अयोध्या, उज्जैन से लेकर उत्तराखंड के चारों धाम-द्वारका, दक्षिण के कुछ प्रमुख धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण करके इसे साबित किया है। तो यह नीति आगे भी जारी रहेगी। निर्मला सीतारमण ने सबसे पहले सामाजिक न्याय की परिभाषा दी और कहा कि यह सबके लिए है, सर्व समावेशी है और यही काय रूप में वास्तविक सैकुलरवाद है। यानी पंथ, जाति, ङ्क्षलग से परे जब हम सामाजिक न्याय यानी सबके विकास के लिए काम करते हैं तो राज्य की यही नीति सैकुलरवादी हो सकती है। 

इसके राजनीतिक मायने यही हैं कि यू.पी.ए. सरकार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसाधनों पर सबसे पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का घोषित किया तथा सरकार ने सच्चर आयोग के गठन से लेकर आगे अनेक कदम अल्पसंख्यक कल्याण के नाम पर उठाए। मोदी सरकार ने अपने बजट भाषण से यही बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना, प्रधानमंत्री सड़क योजना, किसान सम्मान निधि, उज्ज्वला योजना, मुद्रा योजना, जन-धन योजना जब सभी के पास पहुंचा और सैकुलर नीतियों का इससे अलग प्रमाण नहीं हो सकता। वास्तव में इस बजट के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने पूर्व की सरकारों से स्वयं को बिल्कुल अलग साबित करने की कोशिश की और बताया कि जब हम सत्ता में आए थे तब और आज में गुणात्मक मूलभूत अंतर आ गया है।

यानी सत्ता में आने के पूर्व की आर्थिक स्थिति पर एक श्वेत पत्र लाने की घोषणा इसी दिशा का अब तक का शायद सबसे बड़ा कदम होगा। तो सुनने में ही बजट भाषण भले छोटा हो और प्रावधान भी न्यूनतम हो किंतु यह देखने में ‘छोटा लगे घाव करे गंभीर’ वाला बजट है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए वाकई अगर यू.पी.ए. सरकार के दौरान की आॢथक स्थिति पर श्वेत पत्र आता है तो यह बड़े राजनीतिक हंगामे और बहस का कारण बनेगा। इसी तरह जनसंख्या वृद्धि एवं जनसांख्यकीय असंतुलन के लिए एक अधिकार प्राप्त समिति की घोषणा भी भाजपा विरोधियों को नागवार गुजरेगा। जनसांख्यकीय असंतुलन का मतलब किसी एक समुदाय की जनसंख्या का बढऩा तथा दूसरे समुदाय का घटना या बराबर रहना होता है। 

संपूर्ण देश में जनसंख्या पर कठोर कानून लाने की मांग होती रही है जो भारत के लोकतांत्रिक, सामाजिक व सांस्कृतिक ढांचे में न संभव है और न ही वांछनीय। हां इसके लिए कदम उठाने की आवश्यकता है और कई राज्यों ने अपने-अपने तरीके से इसे बदलने के लिए कदम उठाए हैं। ऐसा लगता है कि उन अनुभवों के आधार पर राष्ट्रीय समिति राष्ट्रीय नीति लेकर आएगी जिसके पास क्रियान्वयन करने का भी अधिकार होगा। इसमें महिलाओं को अधिकार की दृष्टि से 3 तलाक खत्म करने की भी बात है। इस तरह बजट में ऐसी कई बातें हैं जो सिद्धांतों और भारत की दिशा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण हैं। दिशा और सिद्धांतों की दृष्टि से वित्त मंत्री की कुछ घोषणाओं का और उल्लेख आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अमृतकाल के लिए सरकार ऐसी आर्थिक नीतियों को अपनाएगी जो टिकाऊ विकास, सभी के लिए अवसरों, क्षमता विकास पर केंद्रित रहेगी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सन 2047 तक देश को विकसित भारत बनाने का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री ने लोगों की क्षमता बढ़ाने, उनका अधिकार देने तथा आबंटन के साथ उचित विचरण पर फोकस करने की बात की। मिनिमम गवर्नमैंट एंड 2 मैक्सिमम गवर्नैंस की चर्चा भी बजट में इसी संदर्भ में है। बजट की एक मुख्य विशेषता लोगों के अंदर भारत के विकसित  होने के प्रति आत्मविश्वास कम करना भी है। तीन स्तंभों लोकतंत्र,जनसंख्या और सबके प्रयास को सबकी उम्मीदों और आकांक्षाओं को पूरा करने वाला तिगड़ी बताने का अर्थ भी स्पष्ट है। 

प्रधानमंत्री ने जिन चार जातियों की बात की उनका उल्लेख करते हुए निर्मला सीतारमण ने गरीब, महिला, युवा और किसान की चर्चा करते हुए कहा कि उनको चुनौतियों और परेशानियों को खत्म करते हुए भलाई  सरकार की प्राथमिकता है। निश्चित रूप से कोई सरकार अगर समाज के  आम आदमी के जीवन स्तर को उठाती है तो उसका लाभ संपूर्ण अर्थव्यवस्था को होता है। आम आदमी किसानों, महिलाओं आदि सभी वर्ग के लिए मोदी सरकार की अब तक की नीतियों, उनके परिणामों संबंधी आंकड़ों को देखें तो संदेह की गुंजाइश अत्यंत कम हो जाएगी। सरकार का यह दावा अंतर्राष्ट्रीय आंकड़ों से भी सत्यापित होता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में 25 करोड़ लोगों को बहुआयामी गरीबी से बाहर लाया गया है। 

कुल मिलाकर यह पिछले 10 वर्षों की सिद्धांतों, नीतियों और व्यवहारों में स्थिरता तथा उसे सशक्त करते हुए उसके आगे बढ़ाने के लिए नए पहलुओं को जोड़े जाने की दिशा का संकेत है। अभी तक के  कदमों संबंधी आंकड़ों से अपने दावों की पुष्टि करते हुए वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया है कि मोदी सरकार की भारत की कल्पना स्पष्ट है, उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं, वह साकार भी हो रहा है और आगे संपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्थायी ठोस आधार देने की प्रक्रिया जारी रहेगी।-अवधेश कुमार
 

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