हरियाणा विधानसभा में ड्रैस लागू होने से बदला सदन का स्वरूप

Edited By ,Updated: 27 Feb, 2024 05:52 AM

form of house has changed from introduction of dress in haryana vidhan sabha

चालू बजट सत्र में हरियाणा विधानसभा की रंगत बदली नजर आ रही है। यह रंगत सिर्फ प्रकृति में छाए बसंत के यौवन के कारण नहीं बल्कि सदन में सेवारत कर्मचारियों की ड्रैस भी एक बड़ा संदेश देती नजर आ रही है।

चालू बजट सत्र में हरियाणा विधानसभा की रंगत बदली नजर आ रही है। यह रंगत सिर्फ प्रकृति में छाए बसंत के यौवन के कारण नहीं बल्कि सदन में सेवारत कर्मचारियों की ड्रैस भी एक बड़ा संदेश देती नजर आ रही है। यह संदेश है अनुशासन का, कत्र्तव्यपरायणता का, ड्यूटी के लिए सजगता का और इन सबसे बढ़कर टीम भावना का। अनुशासन के प्रति कड़ा आग्रह रखने वाले विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के विशेष प्रयास से यह सब संभव हो सका है। विधानसभा के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर प्रथम श्रेणी के अधिकारी तक के लिए ड्रैस निर्धारित की गई है। 

इससे पहले संसद में कार्यरत कर्मचारियों, अधिकारियों के लिए ड्रैस निर्धारित की गई थी लेकिन वहां पूरे स्टाफ  के लिए ड्रैस लागू नहीं है। सत्र के दौरान सदन में ड्यूटी देने वाले ऑफिस टेबल के अधिकारी, रिपोर्टर, स्टाफ, सुरक्षा कर्मियों और सदन में सेवारत सहायक स्टाफ के लिए ही ड्रैस लागू की गई है। हरियाणा विधानसभा में ड्रैस श्रेणी अनुसार निर्धारित की गई है। ग्रुप ए के अधिकारी गर्मियों में फार्मल पैंट-शर्ट के साथ टाई तथा सॢदयों में ब्लेजर भी डालेंगे। ये अधिकारी वर्दी का खर्च स्वयं वहन करते हैं। गु्रप बी के पुरुष अधिकारी गर्मियों में सफेद कमीज और ग्रे रंग की पैंट पहनेंगे जबकि सॢदयों में इसके साथ ग्रे रंग का ब्लेजर, प्लेन नेवी ब्लू रंग की टाई तय की गई है। इस श्रेणी समूह की महिला अधिकारी गर्मियों में लीफ ग्रीन रंग का पूरा सूट-दुपट्टा डालेंगी तथा सॢदयों में इसके साथ बेज रंग का ब्लेजर या कार्डिंगन डालेंगी। 

ग्रुप सी के पुरुष कर्मचारियों के लिए गर्मियों में ऑफव्हाइट रंग की कमीज व ग्रे ब्लू रंग की पैंट निर्धारित की गई है। सर्दियों में ये कर्मचारी ग्रे ब्लू रंग का ब्लेजर भी पहनेंगे। महिला कर्मचारी गर्मियों में स्काई ब्लू रंग का सूट-दुपट्टा तथा सॢदयों में इसके साथ बेज रंग का ब्लेजर-कार्डिगन डालेंगी। ग्रुप डी के कर्मचारी ब्लैक ग्रे रंग की पैंट-कमीज तथा सॢदयों में इसके साथ नेवी ब्लू रंग का स्वैटर डालेंगे।

पुरुष सीनियर प्रतिवेदक एवं प्रतिवेदक गर्मियों तथा सॢदयों में बंद गले वाला ब्लू रंग का सूट डालेंगे तथा महिला स्टाफ लाइट ब्लू रंग की साड़ी या सूट के साथ ब्लू रंग का ब्लेजर, काॢडगन डालेंगी। सभी अधिकारियों, कर्मचारियों के लिए फार्मल काले रंग के जूते तय किए गए हैं, जो वे अपने खर्च से खरीदेंगे। महिला स्टाफ को कुछ छूट देते हुए कहा गया है कि वे सूट और सलवार की जगह उसी रंग की साड़ी भी पहन सकती हैं। अगर कोई महिला साड़ी पहनना चाहेगी तो उसे अपने खर्च से खरीदनी होगी। जो भी अधिकारी, कर्मचारी पगड़ी पहनते हैं वे नेवी ब्लू रंग की पगड़ी पहनेंगे। ज्ञान चंद गुप्ता ने 4 नवम्बर, 2019 को हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने के बाद से अनेक अभिनव प्रयोग व नूतन परम्पराएं शुरू की हैं। इन प्रयोगों और परम्पराओं से विधानसभा के सचिवालय से लेकर सदन तक की कार्यप्रणाली में आमूल-चूल सुधार हुए हैं। 

डिजीटलाइजेशन के दौर में विधान सभा की कार्यप्रणाली को पेपरलैस किया जा चुका है। इससे न केवल कार्यप्रणाली त्वरित हुई, बल्कि उसमें पारदॢशता भी आई है। केंद्र सरकार के संसदीय कार्य मंत्रालय की नेवा ‘नैशनल ई-विधान एप्लिकेशन’ परियोजना का सफलतापूर्वक क्रियान्वयन किया गया है। यहां डिजीटल माध्यम से सदन की कार्यवाही चलाई जा रही है। इस डिजीटलाइजेशन के साथ ही सदन की कार्यवाही, कार्यसूची, नोटिस, बुलेटिन, विधेयक, तारांकित और अतारांकित प्रश्न तथा उनके जवाब, पटल पर रखे जाने वाले दस्तावेज, विभिन्न कमेटियों की रिपोर्ट इत्यादि सभी कार्य बिना कागज का प्रयोग किए प्रभावी ढंग से किए जा रहे हैं। इससे जहां विधायी कामकाज उत्कृष्टता से हुआ वहीं सरकारी धन की बचत भी हुई। यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम रही। क्योंकि नेवा के तहत चली कार्यवाही से 98 प्रतिशत तक कागज की बचत हुई है। ऐसा करने से विधानसभा को सालाना करीब 5 से 6 करोड़ की बचत हो रही है। विधानसभा में शून्यकाल की शुरूआत भी इसके संसदीय इतिहास में मील का पत्थर साबित हुई है। 

गुप्ता अक्सर कहते हैं कि विधायिका सीधे तौर पर जनता के प्रति जवाबदेह है इसलिए विधानपालिका की प्रत्येक गतिविधि के बारे में जनता को पता होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने विधानसभा के सत्रों का टैलीविजन चैनलों के माध्यम से सीधा प्रसारण शुरू करवाया। वर्तमान में विधानसभा की कार्यवाही का अनेक प्रतिष्ठित टी.वी. चैनल सीधा प्रसारण करते हैं। उनका मानना है कि इससे विधायक विधायी कार्य पर ध्यान केन्द्रित करते हैं और इसमें अधिक रुचि लेने लगे हैं। इससे जनता को भी पता चलता है कि उनके प्रतिनिधि सदन में बात सही तरीके से रख रहे हैं या नहीं। 

हरियाणा विधानसभा ने अपने गठन के 56 वर्ष बाद पूरा कामकाज हिन्दी में शुरू किया है। 3 फरवरी, 2023 को इस संबंध में आदेश जारी किए गए। इससे पहले विधानसभा का कामकाज अंग्रेजी भाषा में हो रहा था। गुप्ता का मानना है कि हिन्दी भाषी जनता के लिए अंग्रेजी में कानून बनाना संतोषजनक नहीं है। नए आदेशों के बाद विधानसभा सचिवालय में सभी प्रकार के फाइल कार्य, पत्राचार और विधायी कामकाज से संबंधित सभी प्रकार की कार्यवाही हिन्दी भाषा में करना अनिवार्य कर दिया गया है। 

हरियाणा विधानसभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक पुरस्कार पुन: शुरू किया गया है। एक सर्वदलीय समिति निर्धारित मानकों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ विधायक का चयन करती है। इसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि विधायक सदन और  समितियों में अपनी परफार्मैंस को लेकर कहीं ज्यादा गंभीर हुए हैं। ज्ञान चंद गुप्ता ऐसी सांगठनिक पृष्ठभूमि से आते हैं जहां व्यक्ति निर्माण पर विशेष जोर दिया जाता है। ऐसे में उन्होंने विधायकों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। हरियाणा की 14वीं विधानसभा में 50 प्रतिशत अर्थात 90 में से 45 विधायक पहली बार चुनकर आए हैं। गुप्ता के कार्यभार संभालने के बाद से ही इनके प्रशिक्षण का सिलसिला जारी है। यहां वर्ष 2019 से अब तक 5 प्रमुख प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हो चुके हैं। 

हरियाणा विधानसभा ने अपनी तरह का एक और अनूठा प्रयोग किया है। यहां सत्र की अवधि के अलावा प्रत्येक माननीय सदस्य द्वारा एक महीने में 3 प्रश्न देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस व्यवस्था का माननीय सदस्यों द्वारा भरपूर लाभ उठाया जा रहा है। विधानसभा सचिवालय में अनुशासन स्थापित करने के लिए ज्ञान चंद गुप्ता अनेक अभिनव प्रयोग कर चुके हैं। इनमें बायोमैट्रिक उपस्थिति, मूवमैंट रजिस्टर, सभी कर्मचारियों के लिए पहचानपत्र अनिवार्य करने जैसे प्रयोग प्रमुख हैं। सुरक्षा प्रहरी स्टाफ के लिए वह पहले ही ड्रैस अनिवार्य कर चुके हैं। वर्तमान में चल रहे बजट सत्र से उन्होंने जिस प्रकार सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए ड्रैस लागू की है उससे पूरी विधानसभा की आबोहवा बदली है। इससे कर्मचारियों में कत्र्तव्यपरायणता की भावना प्रगाढ़ हुई है। एक ओर जहां विधायी कामकाज की गरिमा बढ़ी है, वहीं स्टाफ में उत्साह का संचार हुआ है। (लेखक हरियाणा विधानसभा में मीडिया एवं संचार अधिकारी हैं।)-दिनेश कुमार

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