जी.एस.टी. ने छोटे किसानों की पहुंच से दूर किए कृषि यंत्र

Edited By Updated: 20 Oct, 2021 03:34 AM

gst made agricultural machinery out of reach of small farmers

देश के कृषि क्षेत्र को संकटमुक्त किए जाने की दिशा में एक और अहम कदम जरूरी है। कृषि उपकरणों पर वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) की दर घटाई जानी दरकार है। वर्तमान में, कृषि-उपकरणों पर लागू जी.एस.टी. दरें तर्कहीन हैं। उदाहरण के लिए, मोबाइल फोन

देश के कृषि क्षेत्र को संकटमुक्त किए जाने की दिशा में एक और अहम कदम जरूरी है। कृषि उपकरणों पर वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) की दर घटाई जानी दरकार है। वर्तमान में, कृषि-उपकरणों पर लागू जी.एस.टी. दरें तर्कहीन हैं। उदाहरण के लिए, मोबाइल फोन और स्पेयर पार्ट्स पर जी.एस.टी. 12 प्रतिशत है, जबकि ट्रैक्टर जैसे अधिकांश कृषि उपकरणों के स्पेयर पार्ट्स पर सबसे अधिक 28 प्रतिशत तक टैक्स लगता है। ट्रैक्टर पर 12 प्रतिशत जी.एस.टी. लगने से 5 लाख रुपए तक की कीमत के ट्रैक्टर पर किसान को 60,000 रुपए जी.एस.टी. के रूप में चुकाने पड़ रहे हैं। 

ट्रैक्टर और उनके स्पेयर पार्ट्स के अलावा अन्य कृषि उपकरणों पर जी.एस.टी. दरें 12 प्रतिशत से 28 प्रतिशत के बीच हैं। अलग-अलग जी.एस.टी. दरों के कारण जहां स्पेयर पार्ट्स और कृषि-उपकरणों के डिस्ट्रीब्यूटर्स पर कई तरह की जी.एस.टी. रिटर्न की कागजी कार्रवाई का अनावश्यक दबाव है, वहीं किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। गौरतलब है कि 1 जुलाई, 2017 से जी.एस.टी. लागू होने से पहले कृषि उपकरण पूरी तरह से टैक्स मुक्त थे। 

खेती-किसानी को लेकर अभी तक सरकार के दृष्टिकोण में एक अजीबो-गरीब विरोधाभास है। इससे किसानों की आय में बढ़ौतरी के लिए किए जा रहे सरकार के तमाम प्रयासों और दावों पर सवाल खड़ा होता है। एक ओर सरकार राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आर.के.वी.वाई.) और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एन.एफ.एस.एम.) के तहत कस्टम हायरिंग सैंटर्स (सी.एच.सी.) स्थापित करने के लिए किसानों के समूह को ट्रैक्टर, कंबाइन हार्वेस्टर, गन्ना हार्वेस्टर, कपास बीनने वाली मशीनरी पर 50 प्रतिशत तक सबसिडी दे रही है, वहीं व्यक्तिगत किसानों को पंप सैट, ट्रैक्टर माऊंटेड स्प्रेयर, जीरो टिल और सीड ड्रिल खरीदने के लिए भी सबसिडी मिल रही है जबकि दूसरी ओर कृषि उपकरणों पर भारी जी.एस.टी. लागू है। जब सरकार किसानों को 50 प्रतिशत तक सबसिडी का लाभ दे रही है तो कृषि उपकरणों पर जी.एस.टी. की भारी दरें क्यों लागू की गई हैं? 

जैसे अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बायोगैस, सौर, पवन चक्की उपकरणों और इनके इलैक्ट्रॉनिक पुर्जों पर 5 प्रतिशत जी.एस.टी. दर लागू है, ऐसे ही छोटे और सीमांत किसानों के बीच मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए जी.एस.टी. दरें कम क्यों नहीं हो सकतीं? एक यूनीफाइड और सरल कर प्रक्रिया के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता के कारण, कृषि उपकरणों की विभिन्न श्रेणियों के लिए कई सामंजस्यपूर्ण प्रणाली (एच.एस.) कोड के पुनर्मूल्यांकन पर विचार करने और कृषि उपकरणों के उपयोग की सुविधा के लिए उन्हें एक ही टैक्स स्लैब के तहत लाने की आवश्यकता है। इसके लिए ट्रैक्टर और उनके पुर्जों के अलावा अन्य कृषि उपकरणों पर 5 प्रतिशत जी.एस.टी. दर कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण को बढ़ावा देने में मददगार होगी। 

जैसे-जैसे देश के कृषि क्षेत्र में प्रति व्यक्ति खेती जोत भूमि कम हो रही है, छोटे कृषि उपकरणों की आवश्यकता भी लगातार बढ़ रही है। अगर इसे भारतीय कृषि क्षेत्र के मशीनीकरण के साथ जोड़ा जाए तो ‘मेक इन इंडिया’ पहल की बहुत बड़ी गुंजाइश है। इसी तरह, वर्तमान में आयात किए जा रहे विशेष कृषि उपकरणों के घरेलू उत्पादन को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। भारत में कृषि मशीनीकरण की दर 40-45 प्रतिशत है, जबकि अमरीका में 95 प्रतिशत, ब्राजील में 75 प्रतिशत और चीन में 57 प्रतिशत कृषि का मशीनीकरण हो चुका है। तेजी से घटती खेती जोत भूमि,जल संसाधन और घटते खेती मजदूरों के बीच फसल के उत्पादन और कटाई के बाद के कार्यों के लिए मशीनीकरण को बढ़ावा जरूरी हो गया है। 

भारत के कृषि उपकरण बाजार में 80 प्रतिशत भागीदारी ट्रैक्टर की है जबकि बाकी कृषि उपकरणों की हिस्सेदारी 15 से 20 प्रतिशत है। जागरूकता एवं उपयोगिता की कमी के कारण बहुत से किसान पारंपरिक कृषि उपकरणों से आगे अति आधुनिक कृषि उपकरणों की ओर नहीं बढ़ पा रहे हैं। उम्मीद की जाती है कि मशीनीकरण की बढ़ती उपयोगिता, भारत सरकार और बहुपक्षीय एजैंसियों के मशीनीकरण-आधारित योजनाओं के प्रति प्रोत्साहन के परिणामस्वरूप आने वाले वर्षों में अतिरिक्त कृषि मशीनरी का उपयोग बढ़ेगा। इन सकारात्मक पहलों के अलावा कृषि उपकरणों पर न्यूनतम जी.एस.टी. दरें, आसान कर्ज और किसानों के सामूहिक संगठनों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। अगर हम खेती-किसानी से युवा पीढ़ी को जोड़े रखना चाहते हैं तो इसके लिए मशीनीकरण को बढ़ावा समय की मांग है। 

आगे का रास्ता : कृषि उपकरणों पर न्यूनतम जी.एस.टी. दर से जहां उपकरण निर्माताओं को बढ़ावा मिलेगा, वहीं किफायती उपकरण से छोटे किसानों को स्थायी मशीनीकृत समाधान मिलेगा। ऑस्ट्रेलिया और कनाडा की जी.एस.टी. काऊंसिल की तर्ज पर एक कृषि-विशेष जी.एस.टी.  काऊंसिल स्थापित करने की आवश्यकता है, जो कृषि उपकरणों समेत खरीद के लिए किसानों द्वारा किए गए जी.एस.टी. भुगतान की भरपाई का रास्ता निकाले। अभी भी किसानों को कृषि मशीनीकरण पर बड़ा निवेश करना पड़ रहा है। देश में जमीनी स्तर पर कृषि मशीनीकरण को बेहतर ढंग से आगे बढ़ाने के लिए जी.एस.टी. काऊंसिल द्वारा टैक्स दर कम से कम किए जाने का सामूहिक प्रयास होना चाहिए।(सोनालीका ग्रुप के वाइस चेयरमैन, कैबिनेट मंत्री रैंक में पंजाब प्लानिंग बोर्ड के वाइस चेयरमैन।)-अमृत सागर मित्तल
 

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