खुफिया एजैंसियों के प्रमुख लंबे समय तक के लिए टिकने चाहिएं

Edited By Pardeep,Updated: 06 Aug, 2018 04:45 AM

head of intelligence agencies should last for long

यह समझना काफी आसान है कि देश की प्रमुख खुफिया एजैंसी का खबरों में रहना उचित नहीं है, लेकिन काफी समय के बाद रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (आर. एंड ए. डब्ल्यू.) ने बीते दिनों सुर्खियां हासिल की हैं। वर्तमान में पूर्व आर. एंड ए. डब्ल्यू. प्रमुख विक्रम सूद...

यह समझना काफी आसान है कि देश की प्रमुख खुफिया एजैंसी का खबरों में रहना उचित नहीं है, लेकिन काफी समय के बाद रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (आर. एंड ए. डब्ल्यू.) ने बीते दिनों सुर्खियां हासिल की हैं। वर्तमान में पूर्व आर. एंड ए. डब्ल्यू. प्रमुख विक्रम सूद द्वारा लिखित एक पुस्तक के रिलीज के बाद से चाय की प्याली में तूफान उठा हुआ है। उन्होंने सत्ता प्रतिष्ठानों को सलाह दी है कि कैसे आर. एंड ए. डब्ल्यू. के कामकाज में सुधार किया जाए। अपने सुझावों में सूद प्रमुख तौर पर खुफिया एजैंसियों के प्रमुखों के लिए निश्चित कार्यकाल पर विशेष जोर डालते हुए दिखते हैं। 

सूद के अनुसार 1990 और 1999 के बीच आर. एंड ए. डब्ल्यू. की प्रमुखता 7 अधिकारी कर चुके हैं जोकि कोई बेहतर रुझान नहीं है, जबकि इस एजैंसी के प्रमुख पद पर निरंतरता और सावधानी बरतने की जरूरत है। इंटेल प्रमुखों को बड़ी सावधानी के साथ चुना जाना चाहिए, न कि भारतीय नौकरशाही में वरिष्ठता को तय करते हुए चयन किया जाना चाहिए। उनके अनुसार इंटेल प्रमुखों को कम से कम पांच वर्ष की अवधि के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए। यह निश्चित रूप से सरकार के भीतर बात करने वाले कुछ प्रमुख लोगों के ध्यान में भी आनी चाहिए, क्योंकि इन पदों पर अन्य समर्पित कैडर की बजाय आई.पी.एस. अधिकारियों को प्रमुखता से लाया जाता है। आर. एंड ए. डब्ल्यू. के वर्तमान प्रमुख अनिल धस्माना भी मध्य प्रदेश कैडर से 1981 बैच के आई.पी.एस. अधिकारी हैं। 

इससे पहले भी पूर्व आर. एंड  ए. डब्ल्यू. प्रमुख ए.एस. दुलट द्वारा एक पुस्तक अपने आई.एस.आई. समकक्ष असद दुर्रानी के साथ मिलकर लिखी गई थी जिसको लेकर काफी चर्चाएं रही हैं और राजधानी में भी इसको लेकर हलचल रही। दुलट ने कई ज्वलंत एवं विवादास्पद मुद्दों पर अपने अनुभव, दृष्टि और धारणाओं के बारे में भी लिखा है। उसी तरह का ध्यान एक बार फिर से सूद की किताब ने खींचा है और लगता है कि सरकार हमारी खुफिया एजैंसियों के प्रदर्शन में सुधार करने के लिए कदम उठा रही है। सूत्रों का कहना है कि पिछले एक साल में आर. एंड ए. डब्ल्यू. ने ‘नॉन-परफार्मैंस’ के चलते चार संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया है। सूत्रों का कहना है कि यह निर्णय कार्मिकऔर प्रशिक्षण विभाग (डी.ओ.पी.टी.) के एक नियम पर आधारित था जो सरकार को 50 वर्ष या 30 साल की सेवा के बाद नॉन-परफार्मिंग अधिकारियों को जब्री सेवानिवृत्त करने की अनुमति देता है। 

मोदी सरकार इस नियम को और अधिक जोरदार ढंग से लागू करने की कोशिश कर रही है, हालांकि मामूली सफलता ही मिल रही है। सितम्बर 2015 में डी.ओ.पी.टी. ने एक आदेश भेजा था कि कर्मचारियों की सेवाओं को सार्वजनिक हित में और अधिकारी के पूरे सेवा रिकार्ड पर विचार करने के बाद समय-समय पर समाप्त किया जा सकता है। विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अनिवार्य सेवानिवृत्ति को बरकरार रखने का हवाला देते हुए कहा कि इस नियम का इस्तेमाल संदिग्ध अखंडता वाले अधिकारियों को बर्खास्त करने के लिए तब भी किया जा सकता है यदि सेवा से हटाने के लिए दंडनीय अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। जाहिर है जुलाई 2014 से अक्तूबर 2017 के बीच सरकार ने 53 ग्रुप ‘ए’ अधिकारियों और केन्द्रीय सिविल सेवाओं के 123 ग्रुप ‘बी’ अधिकारियों के मामले में इस नियम का आह्वान किया है। 

केरल के नए मुख्य सचिव को मिले दो साल : केरल सरकार ने हाल ही में टॉम जोस को राज्य के अगले मुख्य सचिव के रूप में नामित किया है जो पिछले महीने सेवानिवृत्त हुए पॉल एंथनी के उत्तराधिकारी हैं। 1984 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी जोस के पास दो साल का कार्यकाल होगा। उनकी पदोन्नति से पहले जोस श्रम और कौशल, जल संसाधन व कर (केवल उत्पाद शुल्क) विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव थे। इससे पहले उन्हें केरल राज्य औद्योगिक विकास निगम तथा कोच्चि मैट्रो रेल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक के रूप में तैनात किया गया था। 

सूत्रों के मुताबिक जोस को अरुणा सुंदरराज, ए.के. दुबे और आनंद कुमार की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए प्रमुख पद के लिए चुना गया है क्योंकि वे सभी केरल कैडर के तो हैं लेकिन वे केन्द्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। टीका राम मीणा को जोस की जगह पर प्रिंसीपल सचिव एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया है। इससे पहले पिछले साल अप्रैल में 1981 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी नलिनी नेटो, जो अतिरिक्त मुख्य सचिव-गृह और सतर्कता तथा मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में सेवा कर रहे थे, को मुख्य सचिव के पद पर ले जाया गया। नेटो चार महीने बाद अगस्त में सेवानिवृत्त हुए जिसके बाद के.एम. इब्राहीम को उनके पद पर लाया गया। 1983 बैच के आई.ए.एस. अधिकारी पॉल एंटनी ने बाद में उसी वर्ष दिसम्बर में इब्राहीम के सेवानिवृत्त होने के बाद प्रमुख सचिव का पद संभाला। लेकिन जोस एक लंबी अवधि का आनंद लेने के लिए तैयार हैं क्योंकि वह दो साल बाद 2020 में सेवानिवृत्त होंगे।-दिलीप चेरियन

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