राजनीति में प्रतिस्पर्धी नकारात्मकता से कैसे निपटा जाए

Edited By ,Updated: 27 May, 2023 05:09 AM

how to deal with competitive negativity in politics

देश के मामलों के संचालन में हमारे नेता कहां चूक कर रहे हैं? राजनीतिक प्रबंधन में बहाव की यह निरंतर स्थिति कैसे आई?

देश के मामलों के संचालन में हमारे नेता कहां चूक कर रहे हैं? राजनीतिक प्रबंधन में बहाव की यह निरंतर स्थिति कैसे आई? बेशक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के सबसे कद्दावर नेता के रूप में शासन कर रहे हैं, लेकिन वह आम आदमी के सामने देश की बुनियादी समस्याओं को संबोधित करने की बजाय विदेशों में प्रवासी भारतीयों के बीच अपने स्वयं के महिमामंडन के प्रति अधिक जुनूनी होते जा रहे हैं। इस मामले में प्रत्येक नेता पार्टी और राष्ट्र से पहले स्वयं को रखता है। कुछ अपवादों को छोड़कर, हमें शासन के सभी स्तरों पर वास्तविक और सिद्धांतवादी नेता शायद ही देखने को मिलते हैं। यह अत्यंत खेदजनक है। 

मैं इन बिंदुओं को एक चिंतित भारतीय के रूप में उठा रहा हूं, जो किसी निश्चित राजनीतिक खांचे से संबंधित नहीं है। हालांकि, मैं अत्यधिक प्रदूषित राजनीतिक संस्कृति से परेशान हूं। मैं संसद और उसके बाहर जो कुछ भी देख रहा हूं, उसके लिए किसी व्यक्ति या राजनीतिक समूह को दोष नहीं देना चाहता। खेल में प्रतिस्पर्धी नकारात्मकता है। जैसा कि हम जानते हैं, नकारात्मकता के माहौल में एक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था स्वस्थ तरीके से आगे नहीं बढ़ सकती। आज जिस चीज की तत्काल आवश्यकता है, वह है विपक्षी एकता, जिस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसी समय जोर दिया था। उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में नौकरशाहों की नियुक्तियों और तबादलों को नियंत्रित करने वाले केंद्रीय अध्यादेश के खिलाफ आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल का पूरा समर्थन किया। यह निश्चित रूप से देश के बुनियादी संघीय संगठन के खिलाफ है। 

ममता बनर्जी ने ठीक ही कहा है कि अगर हम अध्यादेश के खिलाफ केंद्र के कदम के विरुद्ध अभी एकजुट नहीं हुए तो इस देश की जनता हमें माफ नहीं करेगी। उन्होंने यह भी बताया कि ‘केंद्र्र में सरकार, बुलडोजर की, बुलडोजर द्वारा और बुलडोजर के लिए है’। वह ठीक ही कहती हैं कि  देश का अस्तित्व तभी रहेगा जब लोकतंत्र रहेगा। अरविंद केजरीवाल, जो पार्टी नेताओं के साथ केंद्र के कदम के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए देशव्यापी दौरे पर हैं, ने कहा है कि जब हम दिल्ली में सत्ता में आए तो उन्होंने एक साधारण अधिसूचना जारी करके हमारी सारी शक्तियां छीन लीं। हमने उसके खिलाफ 8 साल तक अदालत में लड़ाई लड़ी। जब सुप्रीम कोर्ट ने हमारे पक्ष में आदेश दिया, तो जिस दिन कोर्ट छुट्टी पर था उस दिन उन्होंने अध्यादेश ला दिया। ‘वे लोकतंत्र का मजाक बना रहे हैं’ यह वाकई बेहद परेशान करने वाली बात है। 

यह सभी स्तरों पर महसूस करने की आवश्यकता है कि भारतीय लोकतंत्र की गुणवत्ता को तब तक उन्नत नहीं किया जा सकता, जब तक कि मंत्रिस्तरीय सोच और कार्य में दोहरे मापदंड, पाखंड और दोगलेपन का शासन है। आज हम देखते हैं कि सार्वजनिक जीवन में चौतरफा गिरावट है। विशेष रूप से ङ्क्षचताजनक बात यह है कि जब राजनेता अस्तित्व के लिए अपनी व्यक्तिगत लड़ाई लड़ते हैं, तो प्रमुख सार्वजनिक मुद्दों को या तो पीछे धकेल दिया जाता है या आसानी से अनदेखा कर दिया जाता है। इस स्थिति में अफसोस की बात यह है कि ईमानदार और विश्वसनीय भारतीय तेजी से हाशिए पर जा रहे हैं। 

स्वतंत्र विचारधारा वाले व्यक्ति निश्चित रूप से प्रचलित अत्यधिक राजनीतिक माहौल में नुक्सान में हैं। नए खेल का नाम भारतीयों को लैफ्ट, राइट, लैफ्ट ऑफ राइट, राइट ऑफ लैफ्ट के रूप में वर्गीकृत करना है और वैचारिक लिहाज से नहीं बल्कि सत्ताधारियों की पसंद के आधार पर। इस बात की सराहना की जानी चाहिए कि भारत की लोकतांत्रिक नींव को समय-परीक्षित धर्मनिरपेक्ष, बहुलवादी और संघीय सिद्धांतों पर मजबूत किया गया है। इसके अलावा, क्षेत्रीय और स्थानीय ताकतों की आशाओं और आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय दलों द्वारा सामंजस्यपूर्ण संरेखण पर काम करना होगा।

वास्तव में वर्तमान आत्मकेन्द्रित और संवेदनहीन व्यवस्था और पथभ्रष्ट नेतृत्व में सूक्ष्म गतियों और स्थानीय कारकों को पर्याप्त स्थान मिलना चाहिए। आज  राजनीतिक संस्कृति उचित सौदेबाजी, समायोजन और बदलती जमीनी हकीकतों की उचित समझ की मांग करती है। इसलिए, धार्मिक पहचान को खोए बिना संश्लेषण और आत्मसात करने पर जोर दिया जाना और साथ ही, भारतीय राष्ट्रवाद का एक अग्रगामी आधुनिक इकाई के रूप में विकास और फिर इस प्राचीन भूमि की मिट्टी और सभ्यतागत मूल्यों से जुड़ा होना चाहिए।

यह अफसोस की बात है कि शासक अभिजात वर्ग ने सही आचरण के उच्च मानक स्थापित नहीं किए। सत्ता का इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए और हमारी लोकतांत्रिक राजनीति की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए भी किया जाना चाहिए। चाहे दोषी व्यक्ति चेन्नई, चंडीगढ़, मुंबई या नई दिल्ली में हों, यह लोगों पर है कि वे दबाव बनाएं और बुरे को बुरा कहें। देश चौराहे पर है। राष्ट्रीय जीवन के प्रत्येक क्षेत्र की शक्ति की डोरियों को नियंत्रित करने के लिए आ गए संचालकों और जोड़-तोड़ के कुटिल मंसूबों से इसे बचाना होगा।-हरि जयसिंह

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!