अंत में सत्य की जीत होती है

Edited By ,Updated: 23 Jan, 2024 05:43 AM

in the end truth prevails

अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के बाद अब हर्षोल्लास से गणतंत्र दिवस का पर्व मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने राम को सुशासन का प्रतीक बताया है। महात्मा गांधी भी रामराज्य की बात करते थे, जहां सरकार का धर्म जनता की सेवा करना है। संसद, सरकार और...

अयोध्या में राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के बाद अब हर्षोल्लास से गणतंत्र दिवस का पर्व मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने राम को सुशासन का प्रतीक बताया है। महात्मा गांधी भी रामराज्य की बात करते थे, जहां सरकार का धर्म जनता की सेवा करना है। संसद, सरकार और सुप्रीमकोर्ट जैसी सभी संस्थाओं का संविधान के प्रावधानों से निर्माण हुआ है। 

सुप्रीमकोर्ट ने कानूनी प्रमाणों के साथ आस्था के आधार पर रामलला को न्यायिक व्यक्ति मानते हुए अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के पक्ष में फै सला दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी संविधान में रेखांकन के आधार पर राम की न्यायिक और संवैधानिक मान्यता को माना था। मूल संविधान में राम, कृष्ण और शिव समेत अनेक देवताओं के चित्र हैं। गणतंत्र दिवस के पूर्व उन चित्रों के सही अर्थ को समझकर राष्ट्र निर्माण करना जरूरी है। 

गणतंत्र और सत्यमेव जयते : भारत सरकार का ध्येय वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ है। इसका अर्थ है-अंत में सत्य की ही जीत होती है। इसी तरीके से पुराने संसद भवन में ‘धर्मचक्र प्रवर्तनाय’ अंकित है। बुद्ध ने सारनाथ में जो पहला उपदेश दिया था उसे धर्मचक्र प्रवर्तन कहते हैं। इसका अर्थ है शासक धर्म के रास्ते का अनुसरण करें। सुप्रीम कोर्ट का ध्येय वाक्य महाभारत से लिया गया ‘यतो धर्मस्ततो जय:’ है। इसका अर्थ है, जहां धर्म है, वहीं विजय है। संविधान में स्वतंत्रता, समानता और न्याय के आधुनिक विचारों के पीछे उदात्त भारतीय संस्कृति की परम्परा का इन चित्रों में दर्शन है। 

संविधान को कलात्मक और अर्थपूर्ण बनाने के लिए शांति निकेतन के प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस ने मूल संविधान के 22 अध्यायों के लिए चित्रकारी की। अंग्रेजी और हिन्दी की मूल पांडुलिपियों में हस्तनिर्मित ये चित्र भारत की समृद्ध संस्कृति, विविधतापूर्ण विरासत और गौरवशाली अतीत की झलक दिखाते हैं। संविधान की शुरूआत सत्यमेव जयते से होती है। इसे मौर्य सम्राट अशोक के प्रसिद्ध सिंह से लिया गया है जो सारनाथ में स्थापित था। कवर पेज में त्रिभुजाकार आकृति को अजंता की गुफाओं से लिया गया है। इसमें खिलते हुए कमल भी समाहित हैं। खिलते हुए कमल का अर्थ है कि मध्यकालीन सामंती प्रथाओं से मुक्त होकर लोकतांत्रिक देश का निर्माण होना। खिला हुआ फूल सार्वभौमिकता के साथ कानून के शासन के महत्व को दर्शाता है। 

धर्मचक्र प्रवर्तन और सबको न्याय : केंद्र और राज्यों के अध्याय को सिंधु घाटी के बैल वाली मुहर से रेखांकित किया गया है। नंदी बैल हिन्दू धर्म में भगवान शंकर और बेबीलोन की सभ्यता में सृजन का पर्याय था। यह भारत के कृषिपरक समाज और सभ्यता को भी दर्शाता है। नागरिकता के अध्याय में आश्रम और गुरुकुल के माध्यम से शिक्षा, विचार और चिंतन के महत्व को दर्शाया गया है। 

मौलिक अधिकारों के अध्याय में रावण को पराजित करने के बाद लौट रहे राम-लक्ष्मण और सीता के चित्रण से अधर्म पर धर्म की जीत का जयघोष होता है। मार्गदर्शक सिद्धांत के अध्याय में कुरुक्षेत्र में अर्जुन को कृष्ण के उपदेश के माध्यम से कर्म की प्रेरणा है। केन्द्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के अध्याय में गौतमबुद्ध के धर्मचक्र प्रवर्तन का चित्रण है। राज्य सरकार और हाईकोर्ट के अध्याय में महावीर स्वामी के सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा है। 

राज्यों के अध्याय में बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए सम्राट अशोक के मिशन और प्रयासों को दिखाया गया है। केंद्र्र शासित प्रदेशों के अध्याय में गुप्त काल के स्वर्णयुग का चित्रण है। पंचायती राज के अध्याय में राजा विक्रमादित्य के भव्य दरबार की कलात्मक छाप का चित्रण है। इसके अनुसार पंचायती राज को सशक्त करके ही सरकारें राजा विक्रमादित्य की तरह अमर यश हासिल कर सकती हैं। अनुसूचित जनजातियों के अध्याय में नालन्दा विश्वविद्यालय से शिक्षा के महत्व को दर्शाया गया है। सरकारों के अध्याय में उड़ीसा की कला के अनुसार केंद्र और राज्यों के बीच अच्छे सम्बन्ध होने पर देश घोड़े-सी तेज रफ्तार से तरक्की कर सकता है। वित्त के अध्याय में चोलकालीन नटराज की कांस्य मूर्ति के माध्यम से देश की समृद्धि को दर्शाया गया है। 

व्यापार और उद्योग के अध्याय में महाबलीपुरम में अर्जुन की तपस्या और गंगा अवतरण के चित्र को दर्शाया गया है। लोकसेवा और आई.ए.एस. के अध्याय में अकबर के दरबार और मुगल वास्तुकला से निष्पक्ष नौकरशाही का चित्रण है। चुनाव आयोग के अध्याय में छत्रपति शिवाजी महाराज और गुरु गोबिन्द सिंह के शौर्य और वीरता के माध्यम से चुनावों के महत्व को दर्शाया गया है। आरक्षण से जुड़े अध्याय को रानी लक्ष्मीबाई और टीपू सुल्तान के चित्रों से दर्शाया गया है। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के खिलाफ वंचित प्रजा के हक में युद्ध लड़ा था। राजभाषा हिन्दी और राष्ट्रपति शासन से जुड़े अध्यायों में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी गई है। 

देशी राज्यों, पोर्ट और एयरपोर्ट के अध्याय में वीर नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के माध्यम से क्रांतिकारियों को सलामी दी गई है। बाद के 3 अन्य अध्यायों में प्राकृतिक विरासत के साथ सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा के भाव को साकार किया गया है। संविधान में कानून के शासन के लिखित विवरण के साथ धर्म साहित्य, संस्कृति, कला और परम्पराओं का चित्रण है। उन पर अमल करने से राम के सुशासन और कृष्ण के कर्मयोग के समागम से आधुनिक और विकसित भारत का सपना साकार किया जाना चाहिए।-विराग गुप्ता(एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट)
 

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