भारत परिवहन के शून्य उत्सर्जन वाले साधनों को आगे बढ़ा रहा

Edited By ,Updated: 28 Jun, 2021 12:45 PM

india pursues zero emission modes of transport

चेतक, स्पैक्ट्रा, बुलेट, यज्दी, लूना, राजदूत-ये नाम दशकों से भारतीय परिवारों का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से लेकर केरल के हरे-भरे मेड़ तक, सर्व-उद्देश्यीय दोपहिया वाहन एक सर्वव्यापी संस्कृति का प्रतीक रहा है। आवागमन के...

चेतक, स्पैक्ट्रा, बुलेट, यज्दी, लूना, राजदूत-ये नाम दशकों से भारतीय परिवारों का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों से लेकर केरल के हरे-भरे मेड़ तक, सर्व-उद्देश्यीय दोपहिया वाहन एक सर्वव्यापी संस्कृति का प्रतीक रहा है। आवागमन के एक आसान और द्रुतगामी साधन के रूप में इसने सामाजिक संपर्क को सुविधाजनक बनाया। यह 80 और 90 के दशक के दौरान भारत का सर्वोत्कृष्ट पारिवारिक वाहन रहा है।


सहस्राब्दी के मोड़ पर धीरे-धीरे दोपहिया वाहन लड़कियों और लड़कों द्वारा समान रूप से व्यक्तिगत स्वतंत्रता को व्यक्त करने का एक साधन बन गए जो एक उज्ज्वल, समझदार और आगे की ओर बढ़ते हुए देश की छवि को दर्शाता है। ओला द्वारा हाल ही में तमिलनाडु के कृष्णागिरी जिले में दुनिया के सबसे बड़े ई-स्कूटर विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन करने की घोषणा पिछले कुछ वर्षों के दौरान दोपहिया वाहनों के प्रति भारत की भावना को दर्शाती है। भारतीय मोबिलिटी क्षेत्र में दोपहिया वाहनों का वर्चस्व रहा है जो वाहनों की कुल बिक्री में लगभग 80 प्रतिशत का योगदान करते हैं। साथ ही, भारत दुनिया में दोपहिया वाहनों का सबसे बड़ा विनिर्माता और दोपहिया वाहनों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है।

 

तेजी से बदल रही इस दुनिया में परिवहन एवं मोबिलिटी परिवेश में भी बदलाव आवश्यक है। भारत मोबिलिटी क्षेत्र में वैश्विक बदलाव को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। धुआं छोडऩे वाले पारंपरिक मोटर वाहनों ने शेयर्ड, कनैक्टेड और शून्य उत्सर्जन वाली इलैक्ट्रिक मोबिलिटी के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। भारत की एक सबसे अच्छी रैपिड ट्रांजिट प्रणालीअहमदाबाद बी.आर.टी.एस. पर यात्री अब शून्य उत्सर्जन वाली बसों में सवारी का लाभ उठा सकते हैं जिसे ईको लाइफ बस नाम दिया गया है। हाल में इस शहर ने ग्रीन ट्रांजिट को समर्थ बनाने के लिए अत्याधुनिक चाॄजग बुनियादी ढांचे के साथ जे.बी.एम. ऑटो से 50 नई इलैक्ट्रिक बसें हासिल की हैं।

 

अहमदाबाद से महज तीन घंटे की दूरी पर केवडिय़ा में केवल इलैक्ट्रिक वाहन वाले भारत के पहले शहर का विकास किया जा रहा है। गुजरात की ही तरह करीब 18 राज्य इस परिवर्तनकारी मोबिलिटी को रफ्तार देने के लिए अगले मोर्चे पर तैनात हैं। इन राज्यों ने ई-मोबिलिटी परिवेश की मदद के लिए राज्यस्तरीय ई-वाहन नीतियां तैयार की हैं। साइकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, छोटी-बड़ी बसें आदि सभी भारत की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के बहुउपयोगी एवं जीवंत परिदृश्य का निर्माण करती हैं। इनका विद्युतीकरण आवागमन के इन स्थायी साधनों को चुनने वाले लोगों को इलैक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर अग्रसर करने में बुनियादी तौर पर समर्थ करेगा। एनर्जी एफिशिएंसी सॢवसेज लिमिटेड (ई.ई.एस.एल.) की पहचान ई-मोबिलिटी को रफ्तार देने के लिए एक प्रमुख वाहक के रूप में की गई है। यह विभिन्न उपयोगकत्र्ता श्रेणियों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले 3 लाख इलैक्ट्रिक तिपहिया वाहन खरीदेगी और 9 शहरों में 40 लाख सार्वजनिक परिवहन उपयोगकत्र्ताओं को लक्षित करेगी।

 

भारत में शेयर्ड मोबिलिटी और सार्वजनिक परिवहन का समृद्ध इतिहास रहा है। इनमें से कई परिवहन साधन तो लोकप्रिय संस्कृति की पहचान बन गए हैं, जैसे-कोलकाता में ट्राम, मुंबई में लोकल ट्रेन और हाल में दिल्ली मैट्रो रेल।  सार्वजनिक परिवहन एवं शेयर्ड मोबिलिटी के लिए भारतीय यात्रियों की व्यवहार संबंधी प्राथमिकता इलैक्ट्रिक वाहनों को रफ्तार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। संशोधित फेम 2 के तहत मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरू, हैदराबाद, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, सूरत और पुणे जैसे भारतीय शहरों में अधिकतम विद्युतीकरण हासिल करने पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। इससे न केवल बड़े पैमाने पर ई-बसों का विद्युतीकरण होगा बल्कि अन्य शहरों में उसे दोहराने के लिए एक खाका भी तैयार होगा।


भारतीय शहरों में तिपहिया वाहनों का व्यापक प्रसार देखा गया है क्योंकि ये दूर-दराज के इलाकों के लिए किफायती और प्वाइंट-टु-प्वाइंट कनैक्टिविटी प्रदान करते हैं। इसके अलावा ये कई लोगों के लिए आजीविका के अवसर पैदा भी करते हैं। भारतीय सड़कों पर 20 लाख से अधिक इलैक्ट्रिक रिक्शा चल रहे हैं जो प्रतिदिन 6 करोड़ से अधिक लोगों को परिवहन सुविधा प्रदान करते हैं। ई-3 डब्ल्यू की बड़े पैमाने पर खरीद से कीमतों में भारी कमी आएगी और इसका लाभ भारत के दूर-दराज के इलाकों तक भी पहुंचेगा।

इलैक्ट्रिक वाहनों के विकास का अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा जिसमें बैटरी भंडारण प्रमुख क्षेत्रों में से एक होगा। बैटरी इलैक्ट्रिक वाहन की रीढ़ है जो उसकी लागत का 40-50 प्रतिशत हिस्सा है। भारत को इलैक्ट्रिक वाहनों, उपभोक्ता इलैक्ट्रॉनिक्स और भंडारण में उपयोग के लिए लगभग 1,200 जी.डब्ल्यू.एच. बैटरी की आवश्यकता है। कोविड-19 वैश्विक महामारी ने दुनिया को शून्य अपशिष्ट वाली स्थायी जीवन शैली के प्रति बढ़ती जागरूकता के साथ एक क्रांति के शिखर पर ला दिया है। भारत परिवहन के शून्य उत्सर्जन वाले साधनों को आगे बढ़ाने और उस बदलाव का नेतृत्व करने के लिए अच्छी स्थिति में है। (ये लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं।)


 

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