इंदिरा गांधी ने भी रखे थे करवा चौथ के व्रत

Edited By Updated: 12 Oct, 2025 04:29 AM

indira gandhi also observed the fast of karva chauth

नेहरू परिवार में हिंदू धर्म के सभी व्रत रखे जाते थे। इंदिरा गांधी ने भी इसे अपनाया, वह करवा चौथ का व्रत रखती थीं, पानी भी नहीं पीती थीं, चांद देखकर व्रत खत्म करती थीं। इंदिरा गांधी भारत की लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं। वह ‘आयरन लेडी’ कही जाती थीं।...

नेहरू परिवार में हिंदू धर्म के सभी व्रत रखे जाते थे। इंदिरा गांधी ने भी इसे अपनाया, वह करवा चौथ का व्रत रखती थीं, पानी भी नहीं पीती थीं, चांद देखकर व्रत खत्म करती थीं। इंदिरा गांधी भारत की लंबे समय तक प्रधानमंत्री रहीं। वह ‘आयरन लेडी’ कही जाती थीं। उनकी जीवनी कहती है कि शादी के बाद उन्होंने भी करवा चौथ का कठिन व्रत रखा। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इंदिरा गांधी ने व्यक्तिगत रूप से कुछ अवसरों पर उपवास रखे लेकिन इसे कभी सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं बनाया।

इंदिरा गांधी के करवा चौथ रखने की बात शायद ही कभी अखबारों में आई हो। वह भारत की उस नई महिला का प्रतीक थीं जो अपनी जड़ों से जुड़ी रही पर आधुनिकीकरण में नहीं बंधी। इंदिरा बहुत संयमित और निजी थीं। धार्मिक कर्मकांडों को सार्वजनिक रूप से प्रदॢशत नहीं करती थीं। इंदिरा गांधी भारतीय राजनीति की वह शख्सियत थीं, जिनके व्यक्तित्व में आधुनिकता और परंपरा का अनोखा संगम था। वह ऑक्सफोर्ड पढऩे गईं, गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर के शांति निकेतन में पढ़ीं लेकिन उनमें गहरी भारतीयता समाई हुई थी। ‘पुपुल जयकर’ समेत कई लेखकों ने जब उनकी बॉयोग्राफी लिखी तो इसका जिक्र किया। ‘पुपुल जयकर’ ने उनकी ‘इंदिरा गांधी- ए बॉयोग्राफी’ में लिखा ‘‘वह अपने भीतर दो दुनियाओं को समेटे थीं। पिता की ताॢककता और मां की भक्ति। वह दोनों से कुछ न कुछ लेकर आगे बढ़ीं।’’   
उनकी माता कमला नेहरू बहुत धार्मिक थीं। तीज, हरितालिका और करवा चौथ जैसे व्रत नेहरू परिवार में सामान्य थे। इंदिरा ने भी यह परंपरा अपनी मां से सीखी। शादी के बाद अपने तरीके से यह परंपरा निभाई। 

फिरोज गांधी के लिए रखा व्रत: 1942 की वसंत ऋतु में इंदिरा ने फिरोज गांधी से विवाह किया। शादी इलाहाबाद और बाराबंकी के बीच हुई। साधारण समारोह लेकिन गहरा भावनात्मक बंधन। विवाह के शुरुआती वर्षों में, जब वे दोनों दिल्ली और इलाहाबाद के बीच किसी स्थान पर रहते थे, इंदिरा ने कई बार करवा चौथ का व्रत रखा। उन दिनों न तो मीडिया था न सोशल प्लेटफॉर्म। वह व्रत बस उनके लिए था। अपने पति की दीर्घायु की कामना में नहीं बल्कि उस बंधन की स्मृति में था जो उन्होंने नेहरू परिवार के विरोध के बावजूद चुना था। कैथरीना फ्रैंक अपनी जीवनी -‘द लाइफ  ऑफ  इंदिरा नेहरू गांधी’ में लिखती हैं, ‘‘इंदिरा ने परंपरा को कभी बोझ नहीं माना, उनके लिए व्रत किसी धार्मिक अनुशासन से ज्यादा आत्म-नियंत्रण का प्रतीक था।’’

दिनभर पानी नहीं पीती थीं : प्रधानमंत्री बनने के बाद भी इंदिरा गांधी अपनी निजी रूटीन में कुछ दिन पूरी तरह मौन और संयम में बिताती थीं। नवरात्रि के दिनों में फलाहार करतीं और करवा चौथ पर दिनभर पानी तक नहीं पीती थीं। उनकी परिचारिका सरला मिश्रा ने एक संस्मरण में लिखा था, ‘‘मेम साहब उस दिन पूरे दिन किसी से ज्यादा बात नहीं करती थीं। शाम को जब आसमान में चांद दिखने का समय होता तो वह अपने कमरे की खिड़की से देखकर दीपक से अघ्र्य देतीं, फिर एक गिलास पानी पीकर मुस्कुरा देती थीं।’’

उनके स्टाफ  ने बताया था कि 1970 के दशक में भी वह कभी-कभी करवा चौथ पर दिनभर जल नहीं पीती थीं, पर मीडिया को इसकी भनक नहीं लगने देती थीं। उनके व्रत का अंदाज बहुत सादा था, न साड़ी पर भारी गहने, न सोलह शृंगार। बस एक हल्की खादी की साड़ी, बालों में फूल और एक दीपक। इंदिरा गांधी ने हमेशा कहा कि श्रद्धा तभी सुंदर होती है जब उसमें आडंबर न हो उनके लिए करवा चौथ किसी पति की लंबी उम्र की प्रार्थना नहीं थी, बल्कि एक आत्मानुशासन का अभ्यास था।  उनके निजी सचिव यशपाल कपूर ने एक बार कहा, ‘‘इंदिरा जी मानती थीं कि व्रत रखने से शरीर और मन पर नियंत्रण आता है, करवा चौथ का दिन उनके लिए उपवास से ज्यादा आत्मनियंत्रण का प्रतीक था। मेमसाहब उपवास को अनुशासन मानती थीं, चाहे नवरात्रि हो या करवा चौथ, वह उसका पालन शांतिपूर्वक करती थीं।’’

यह बात उनके पूरे जीवन में झलकती थी, चाहे राजनीति हो या निजी जीवन, वह हर कठिन निर्णय में पहले खुद को भीतर से तैयार करती थीं, मानो किसी ‘व्रत’ की तरह संकल्प ले रही हों। कई लोग मानते हैं कि इंदिरा गांधी ने खुद को ‘आयरन लेडी’ बना लिया। कठोर, अनुशासित और बिना भावनाओं वाली लेकिन उनके करीब रहने वालों का कहना था कि उनके भीतर की स्त्री हमेशा जीवित रही।

चांद देखने के बाद बाहर चलिए : 1974 की एक करवा चौथ की शाम को जब वह प्रधानमंत्री थीं उन्होंने अपने स्टाफ  से कहा था, ‘‘चांद देखने के बाद थोड़ी देर बाहर चलिए, हवा बहुत अच्छी है। कभी-कभी लगता है कि यह चांद दिल्ली के ऊपर भी उतना ही शांत है, जितना इलाहाबाद के ऊपर हुआ करता था’’ इंदिरा गांधी के बाद यह परंपरा सोनिया गांधी तक पहुंची। 1980 के दशक में, जब सोनिया दिल्ली आईं तो उन्होंने इंदिरा जी की प्रेरणा से करवा चौथ रखना शुरू किया। सोनिया गांधी ने बाद में कहा, ‘‘इंदिरा जी ने कभी मुझे यह नहीं कहा कि व्रत रखो,पर जिस संयम से वह खुद इसे निभाती थीं, वही प्रेरणा काफी थी।’’ अब प्रियंका गांधी भी करवा चौथ रखती हैं। एम.जे. अकबर की किताब में भी यह उल्लेख मिलता है कि सोनिया ने 1980 के बाद करवा चौथ का व्रत रखना शुरू किया जो ‘इंदिरा जी की परंपरा’ से प्रेरित था।-संजय श्रीवास्तव

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