प्रशांत क्षेत्र में चीन को चुपचाप जवाब देता जापान

Edited By ,Updated: 30 May, 2023 06:10 AM

japan quietly responds to china in the pacific region

चीन जिस तेजी के साथ पूरे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को अपने प्रभाव में ले रहा है उससे पूरी दुनिया उससे दूरी बनाने लगी है और क्षेत्र के देशों में चीन को लेकर एक डर का माहौल बना हुआ है। चीन हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के देशों में जिन आधारभूत संरचनाओं के विकास...

चीन जिस तेजी के साथ पूरे हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को अपने प्रभाव में ले रहा है उससे पूरी दुनिया उससे दूरी बनाने लगी है और क्षेत्र के देशों में चीन को लेकर एक डर का माहौल बना हुआ है। चीन हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के देशों में जिन आधारभूत संरचनाओं के विकास में जुटा हुआ है उनका वह दोहरा इस्तेमाल जरूर करेगा, खासकर युद्ध और किसी देश में तनाव के समय। लेकिन जापान ये सब चुपचाप होते हुए नहीं देख सकता इसलिए वह पूरे क्षेत्र में चीन के क्रियाकलापों के जवाब में अपने राजनयिक संबंधों को इस पूरे क्षेत्र के देशों के साथ बढ़ाने में जुट गया है, ताकि ड्रैगन के बढ़ते कदमों को रोका जा सके। 

प्रशांत सागरीय क्षेत्र के देशों के साथ जापान वर्ष 2019 से ही जुड़ा हुआ है। वर्ष 2021 में नौवीं प्रशांत द्वीपीय प्रमुख बैठक का आयोजन जुलाई में हुआ था जिसमें जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा ने पैसिफिक ब्रांड पॉलिसी की घोषणा की थी जिसके तहत जापान के संबंधों को प्रशांत सागरीय देशों के साथ और मजबूत बनाना और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र को खुले और मुक्त रूप में रखने पर सहमति बनी थी। दरअसल चीन न सिर्फ अपना प्रभुत्व दक्षिणी चीन सागर में बढ़ा रहा है बल्कि पूरे हिन्द-प्रशांत द्वीपीय देशों में भी बहुत तेजी से बढ़ा रहा है जिससे कि वह इस पूरे क्षेत्र के रणनीतिक महत्व का समय आने पर पूरा लाभ उठा सके। 

चीन के प्रभाव को और कम करने के लिए जापान ने अमरीका और आस्ट्रेलिया के साथ मिलकर पूरे प्रशांत क्षेत्र के देशों में बहुमुखी आधारभूत विकास परियोजनाओं की शुरूआत की है। इसके साथ ही जापान ने जून 2022 में आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूनाइटेड किंगडम और अमरीका के साथ मिलकर पांच देशों का एक मंच बनाया है जिसे ब्लू पैसिफिक कहा जाता है। इसके साथ ही जापान का रक्षा मंत्रालय भी बहुत सक्रिय हो उठा है। इस क्षेत्र में उसकी भागीदारी भी बढ़ती जा रही है। जापान ने वर्ष 2017 में ही हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ नौसेना आत्मसुरक्षा अभियान चलाया था जिसके तहत इन देशों के साथ सांझा अभ्यास किया जाता है, ताकि जब कोई तीसरा देश इन पर हमला करे तो ये अपना बचाव कैसे करें। 

सितम्बर 2021 में प्रशांत द्वीपीय सुरक्षा वार्ता के बाद से हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में होने वाले सांझा नौसेना अभ्यास का दायरा बढ़ाकर पूरे प्रशांत क्षेत्र में फैला दिया गया है जिससे चीन को सीधा संदेश जाए कि अगर वह इस क्षेत्र में अपना प्रभाव दूसरे देशों के विरुद्ध बढ़ाएगा तो उसे उसका जवाब दिया जाएगा। वर्ष 2022 में जापान की नौसेना आत्मसुरक्षा फोर्स ने टोंगा, फिजी, सोलोमोन आइलैंड्स और प्लाऊ के साथ सांझा सुरक्षा अभ्यास किया था, यह अभ्यास आपदा प्रबंधन के तौर पर भी किया गया था, खासकर टोंगा के लिए जब वहां समुद्र के नीचे 2022 में ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था। प्रशांत क्षेत्र रणनीतिक दृष्टिकोण से इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जापान और आस्ट्रेलिया को दक्षिणी चीन सागरीय समुद्री मार्ग से जोड़ता है। 

जापान, आस्ट्रेलिया, अमरीका और पश्चिमी देश मिलकर इस क्षेत्र को खुला और मुक्त रखना चाहते हैं ताकि आने वाले दिनों में चीन इस क्षेत्र पर हावी होकर दूसरे देशों के समुद्री यातायात और व्यापारिक मार्ग को बाधित न करे। जापान इस समय पश्चिमी देशों के साथ कुछ और सहयोगी देशों का साथ तलाश रहा है जिससे सामूहिक तौर पर हिन्द-प्रशांत समुद्री क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी को रोका जा सके। 

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