Edited By ,Updated: 30 Jan, 2024 02:43 AM
लम्बे समय से लटकते आ रहे मराठा आरक्षण का मुद्दा 23 जुलाई, 2023 को औरंगाबाद में एक युवक द्वारा आत्महत्या के बाद अचानक ‘मनोज जरांगे’ के नेतृत्व में भड़क उठा, जो जल्दी ही समूचे राज्य में फैल गया और हिंसक प्रदर्शनों में कई पुलिस कर्मियों सहित अनेक लोगों...
लम्बे समय से लटकते आ रहे मराठा आरक्षण का मुद्दा 23 जुलाई, 2023 को औरंगाबाद में एक युवक द्वारा आत्महत्या के बाद अचानक ‘मनोज जरांगे’ के नेतृत्व में भड़क उठा, जो जल्दी ही समूचे राज्य में फैल गया और हिंसक प्रदर्शनों में कई पुलिस कर्मियों सहित अनेक लोगों की मौत हो गई।
शिंदे सरकार द्वारा 2 नवम्बर, 2023 को मराठा मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन देने के बाद ‘मनोज जरांगे’ ने अपनी 9 दिनों से जारी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल इस चेतावनी के साथ समाप्त कर दी कि यदि 24 दिसम्बर, 2023 तक मांगें पूरी न हुईं तो वह दोबारा आंदोलन शुरू कर देंगे।
शिंदे सरकार द्वारा ऐसा न करने पर ‘मनोज जरांगे’ अपने हजारों समर्थकों के साथ पदयात्रा करते हुए 20 जनवरी, 2024 को जालना शहर से निकल पड़े और 26 जनवरी, 2024 को वाशी शहर पहुंच कर फिर भूख हड़ताल शुरू कर दी। इस बीच उन्होंने कहा कि सरकार 27 जनवरी शाम तक उनकी मांगों पर निर्णय ले। वह आरक्षण के लिए अपनी जान तक देने को तैयार हैं और बिना आरक्षण के यहां से वापस नहीं जाएंगे।
उक्त चेतावनी के बाद महाराष्ट्र सरकार द्वारा उनकी मांगें स्वीकार कर मराठा आरक्षण बारे संशोधित अधिसूचना जारी करने के बाद हालांकि 27 जनवरी, 2024 को ‘मनोज जरांगे’ ने अपना आंदोलन समाप्त करने की घोषणा कर दी थी, परंतु जालना शहर वापस पहुंचने के बाद उन्होंने कहा है कि उनका आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ, बल्कि स्थगित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह अध्यादेश जब तक कानून में तबदील नहीं हो जाता और उस कानून के अंतर्गत मराठा आरक्षण का लाभ मिलना शुरू नहीं होता, तब तक मराठा आंदोलन इसी तरह जारी रहेगा। अत: सरकार को जल्द कानून बनाकर इस समस्या को पक्के तौर पर सुलझा देना चाहिए।—विजय कुमार