नमो ड्रोन दीदियां : भारत में कृषि नवाचार की पथ प्रदर्शक

Edited By ,Updated: 12 Mar, 2024 05:22 AM

namo drone didiyan pioneer of agricultural innovation in india

भारत ने अपनी खाद्य प्रणाली को 1960 के दशक के मध्य में अत्यधिक कमी वाली प्रणाली को अब आत्मनिर्भर और अधिशेष वाली प्रणाली में बदल दिया है। भारत की बढ़ती आबादी को खिलाना भविष्य में एक बड़ी चुनौती बनी रह सकती है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां...

भारत ने अपनी खाद्य प्रणाली को 1960 के दशक के मध्य में अत्यधिक कमी वाली प्रणाली को अब आत्मनिर्भर और अधिशेष वाली प्रणाली में बदल दिया है। भारत की बढ़ती आबादी को खिलाना भविष्य में एक बड़ी चुनौती बनी रह सकती है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां भूमि, जल और वायु जैसे प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही हैं। भारत जहां ऐसी चुनौतियों से जूझ रहा है, वहीं कृषि क्षेत्र तकनीकी प्रगति से प्रेरित एक परिवर्तनकारी यात्रा से गुजर रहा है। दूसरी चुनौती किसानों की आय बढ़ाने की है और इसके लिए उन्नत कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाना ही आगे बढऩे का रास्ता है। इसमें खेती में क्रांति लाने, इसे अधिक कुशल, लाभकारी और टिकाऊ बनाने की क्षमता है। खेती में लागत कम करने और उत्पादकता बढ़ाने वाले कृषि मशीनीकरण ए.आई.-संचालित फसल निगरानी तक, डाटा-संचालित निर्णय लेना और फसल सलाहकार सेवाएं, खेती की दक्षता और उसकी स्थिरता को बढ़ाने की क्षमता रखती है। 

ड्रोन प्रौद्योगिकी - भारतीय कृषि में बदलाव की संभावनाएं : भारत में कृषि क्षेत्र में ड्रोन या मानव रहित हवाई वाहन (यू.ए.वी.) तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इसके अलावा, भारत सरकार कृषि में ड्रोन के उपयोग को विशेष रूप से फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण और कीटनाशकों तथा पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही है। 

नमो ड्रोन दीदी योजना : प्रधानमंत्री ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा था, ‘‘हम स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को ड्रोन उड़ाने और ड्रोन की मुरम्मत करने के लिए प्रशिक्षित करेंगे। सरकार हजारों महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन प्रदान करेगी।’’ तदनुसार, महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए एक नई केंद्रीय योजना ‘नमो ड्रोन दीदी’ की परिकल्पना की गई। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2024-25 से 2025-26 की अवधि के लिए 1261 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ इस योजना को मंजूरी दी। 

योजना के उद्देश्य : खेतों की बेहतर दक्षता, बढ़ी हुई फसल उपज और संचालन की कम लागत के लिए कृषि क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना।
डी.ए.वाई. एन.आर.एल.एम. के तहत प्रचारित महिला स्वयं सहायता समूहों (एस.एच.जी.) को ड्रोन सेवा प्रदाताओं के रूप में सशक्त बनाना, क्योंकि वे सामूहिक कामकाज के लिए  प्रभावी जमीनी स्तर के संस्थान के रूप में उभरे हैं।
डी.ए.वाई. एन.आर.एल.एम. के तहत प्रचारित महिला सी.एच.जी. को उनकी आय बढ़ाने के लिए व्यवसाय के अवसर प्रदान करना।
ग्रामीण रोजगार और वित्तीय समावेशन के अवसरों को बढ़ाना।
नैनो-उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित करना और कीटनाशकों तथा उर्वरकों के उपयोग को अनुकूलित करना। 

योजना की मुख्य विशेषताएं :
महिला सी.एच.जी. को ड्रोन का प्रावधान : चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को तीन वर्षों (2023-24 से 2025-26) में 15,000 ड्रोन प्रदान किए जाएंगे।
बड़ी उर्वरक कंपनियों के साथ सहयोग : वर्ष 2023-24 में बड़ी उर्वरक कंपनियों द्वारा अपने संसाधनों का उपयोग करते हुए 500 ड्रोन उपलब्ध कराए जाएंगे। वर्ष 2024-25 और 2025-26 के दौरान नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत 14,500 ड्रोन वितरित किए जाएंगे। 

पैकेज वितरण : महिला स्वयं सहायता समूहों को ड्रोन एक व्यापक पैकेज के रूप में प्रदान किया जाएगा। इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सी.एच.जी. के पास सभी आवश्यक सामान और सहायक उपकरण हों।
वित्तीय पैटर्न : केंद्रीय वित्तीय सहायता : केंद्रीय वित्तीय सहायता के तहत ड्रोन और संबंधित सहायक उपकरण या सहायक शुल्क की लागत का 80 प्रतिशत या अधिकतम 8 लाख रुपए तक प्रदान किए जाएंगे।
सी.एच.जी. के सी.एल.एफ. द्वारा ऋण व्यवस्था : सी.एच.जी. का क्लस्टर लैवल फैडरेशन कृषि अवसंरचना निधि के तहत ऋण के रूप में शेष राशि जुटा सकता है।
ब्याज छूट :सी.एच.जी. पर वित्तीय बोझ को कम करते हुए ए.आई.एफ. ऋण पर 3 प्रतिशत की दर से ब्याज छूट प्रदान की जाएगी।
कार्यान्वयन के लिए मुख्य रणनीतियां : 

1. संसाधनों और प्रयासों को एकजुट करना : कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, ग्रामीण विकास और उर्वरक विभाग के संसाधनों और प्रयासों को एकजुट करने वाला समग्र हस्तक्षेप।
2. कार्यान्वयन के लिए चयन मानदंड : डी.ए.वाई. एन.आर.एल.एम. के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में क्षेत्र/क्लस्टर और सी.एच.जी. समूहों का सही चयन।
3. संभावित समूहों की पहचान :उपयुक्त समूहों की पहचान की जाएगी जहां ड्रोन का उपयोग आर्थिक रूप से संभव है।
4. महिला एस.एच.जी. का चयन : ड्रोन उपलब्ध कराने के लिए चिन्हित समूहों में डी.ए.वाई. एन.आर.एल.एम.  के तहत प्रगतिशील महिला सी.एच.जी. का चयन किया जाएगा।
5. सी.एच.जी. सदस्यों के लिए प्रशिक्षण : महिला सी.एच.जी. के एक योग्य सदस्य को 15 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसमें अनिवार्य 5-दिवसीय ड्रोन पायलट प्रशिक्षण और पोषक तत्व तथा कीटनाशक अनुप्रयोग जैसे कृषि उद्देश्यों के लिए अतिरिक्त 10 दिनों का प्रशिक्षण शामिल है। 

ये प्रशिक्षण एक पैकेज के रूप में (ड्रोन की आपूर्ति के साथ) प्रदान किया जाएगा। यह प्रशिक्षण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय के अनुमोदित रिमोट पायलट प्रशिक्षण संगठन में दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण में ड्रोन उड़ान, ड्रोन नियमों के प्रावधानों को समझना, पोषक तत्वों तथा कीटनाशकों के अनुप्रयोग के लिए एस.ओ.पीज, ड्रोन उड़ान अभ्यास और ड्रोन की छोटी-मोटी मुरम्मत और रखरखाव शामिल होगा।
कृषि उद्देश्य के लिए यह प्रशिक्षण एक टीम आयोजित करेगी, जिसमें ड्रोन निर्माता, स््रह्य, ्यङ्क्यह्य, ढ्ढष्ट्रक्र संस्थानों आदि, जैसे केंद्रीय/र्राज्य संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल होंगे।
6. वित्तीय सहायता और ऋण प्रावधान : ड्रोन की खरीद के लिए डी.ए.वाई. एन.आर.एल.एम. के तहत पहचाने गए सी.एच.जी. को वित्तीय सहायता और ऋण प्रदान किया जाएगा।
7. बड़ी उर्वरक कंपनियों द्वारा सुविधा : एल.एफ.सीज ड्रोन निर्माण कंपनियों और सी.एच.जी. के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करेंगे। वे क्लस्टर लैवल फैडरेशन के साथ समझौता ज्ञापन के माध्यम से ड्रोन खरीदेंगे और सी.एच.जी. को स्वामित्व हस्तांतरित करेंगे।
8. ड्रोन आपूर्तिकत्र्ता कंपनियों के साथ सहयोग: प्रमुख उर्वरक कंपनियां मुरम्मत और रखरखाव सेवाओं के लिए ड्रोन आपूर्तिकत्र्ता कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगी।
9. नैनो उर्वरकों को बढ़ावा : बड़ी उर्वरक कंपनियों के साथ ड्रोन द्वारा नैनो उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा देना। 

आगे की राह : ड्रोन प्रौद्योगिकी के भविष्य की संभावनाएं विशाल और आशाजनक हैं, खासकर कृषि, बुनियादी ढांचे, लॉजिस्टिक्स और सार्वजनिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में। कृषि के अलावा, ड्रोन पशुधन निगरानी, आपदा प्रतिक्रिया एवं राहत, चिकित्सा आपूर्ति वितरण, विशेष रूप से दूरदराज या दुर्गम क्षेत्रों, वन क्षेत्र, वन्यजीव आवास तथा जल निकायों की निगरानी, जैव विविधता संरक्षण और ईकोसिस्टम प्रबंधन में मददगार के रूप में उपयोगी हो सकते हैं। ड्रोन तकनीक अपनाकर और विभिन्न कार्यों में इसका लाभ उठाकर, ग्रामीण भारत में महिलाएं अपनी आजीविका बढ़ा सकती हैं, सामुदायिक विकास में योगदान दे सकती हैं और अपने क्षेत्रों के सामाजिक-आॢथक विकास में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले सकती हैं। महिलाओं को अपने और अपने समुदायों के लाभ के लिए ड्रोन की पूरी क्षमता का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण, संसाधनों और सहायक नीतियों तक पहुंच महत्वपूर्ण होगी।-चरणजीत सिंह(अतिरिक्त सचिव, ग्रामीण विकास मंत्रालय)

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