Edited By ,Updated: 10 Jan, 2024 07:02 AM
नव वर्ष 2024 हमारे देश के लिए अलग-अलग मामलों में महत्वपूर्ण है। इस साल के जनवरी माह में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला विराजमान हो जाएंगे, तो अप्रैल-मई में आम चुनाव में देश की जनता एक नई सरकार चुनेगी, जिसके आधार पर ही देश की दशा और दिशा...
नव वर्ष 2024 हमारे देश के लिए अलग-अलग मामलों में महत्वपूर्ण है। इस साल के जनवरी माह में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर में रामलला विराजमान हो जाएंगे, तो अप्रैल-मई में आम चुनाव में देश की जनता एक नई सरकार चुनेगी, जिसके आधार पर ही देश की दशा और दिशा निर्भर रहेगी।
रामलला की स्थापना और आम चुनाव अलग-अलग मामले हैं। एक तरफ आस्था है, तो दूसरी तरफ विश्वास है। दोनों मामलों का इस आलेख में जिक्र करना इसी उद्देश्य से है, कि हम आस्था के सैलाब में, आने वाले 5 वर्ष जो देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं उन 5 सालों के लिए नई सरकार चुनने में भटक न जाएं। निश्चित रूप से श्री राम अपने आप में सच्ची आस्था के प्रतीक हैं। दुर्भाग्य से उनके जन्म स्थान को एक भव्य रूप लेने में अनेक कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। एक लम्बी और निरर्थक लड़ाई लड़ी गई जिसकी कोई जरूरत ही नहीं थी। खैर, क्या हुआ किसने क्या किया? और क्या कहा? इन सब बातों को भूलने की आवश्यकता है।
श्री राम के आदर्शों पर टिके रहकर किसी एक को दोष देने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए क्योंकि श्रीराम एक धर्म या पंथ के नहीं, सारे संसार के आदर्श हैं जिसकी पुण्य आत्मा ने लोगों को जीने की, साथ रहने की, बिना भेदभाव की दुनिया की, हमें अपने कर्मों और वचनों से शिक्षा दी, वे सभी के लिए आदर्श हैं। भले ही वे किसी धर्म या पंथ से आते हों। इसलिए मेरी सभी लोगों से प्रार्थना है कि इस शुभ अवसर पर किसी धर्म या पंथ के विरुद्ध न समझें न दर्शाएं। मेरी मुसलमानों सहित अन्य सभी लोगों से यह भी प्रार्थना है कि इस शुभ अवसर को आपसी भाईचारे के साथ महसूस करें।
किसी प्रकार की चिड़-चिड़ से बचें, ताकि आने वाली पीढ़ियां सुकून और प्यार से रह सकें। इस संबंध में तो जितना कहा जाए कम होगा। क्यों न श्रीराम के आदर्शों पर चलकर आने वाली 22 जनवरी को सौहार्द दिवस के रूप में मनाया जाए, जिसका पूरे विश्व में एक बेहतर संदेश पहुंचे। अब बात आती है अगले पांच सालों के लिए अपनी सरकार चुनने की। तो इस बारे में अपनी समद्ध और सोच के साथ उन लोगों को प्राथमिकता दें जो देश के विकास के साथ-साथ समाज में कट्टरपंथ को खत्म करने के लिए काम करें। ऐसी ताकतों को पूरी शिद्दत से कुचलें, जो देश की मानवता के विरुद्ध कार्य कर रही है।
ऐसी संवेदनशील सरकार चुनें, जो आम लोगों को कष्टदायी नहीं अपितु सार्थक जीवन दे। निश्चित रूप से देश उन्नति की राह पर है लेकिन ऐसा न हो कि चंद लोगों को इसका लाभ मिले जो सरकार सभी की उन्नति का बराबर फायदा दे, उसकी और देखें। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि इस घोर कलयुग में हमारे महापुरुषों, जिनमें से एक श्री राम भी हैं, उनके बताए मार्ग पर जो थोड़ा भी चलने का प्रयास करें, ऐसे लोगों को चुनें। धर्म और जाति के विवाद में उलझा कर बेवकूफ बनाने वाली राजनीति से हमें बचना है।
मैं समझता हूं कि 22 जनवरी को रामलला अपने घर में भव्य रूप में पहुंच जाएंगे और अप्रैल-मई में होने वाले चुनावों में हमारे कुछ बेतुके बचकाने बयान देने वाले राजनेताओं से हमें बचाएंगे। हमारे बीच नफरत की दीवार खड़ी करने वालों को, ओछी मानसिकता वालों को हमें हर हाल में खारिज करना ही होगा। यही हम सबकी श्रीराम के प्रति सच्ची और पूर्ण श्रद्धा होगी। हमें नहीं भूलना चाहिए कि श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम थे।-वकील अहमद