पाकिस्तानी सेना ने अब सोचा कि इमरान एक ‘गलत विकल्प’ हैं

Edited By ,Updated: 10 Aug, 2020 03:46 AM

pakistani army now thinks imran is a  wrong choice

14 अगस्त को पाकिस्तान अपना 73वां जन्मदिन मना रहा है। कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री इमरान खां अपने कार्यालय में 2 वर्ष पूरे करने जा रहे हैं। 2 वर्ष पूर्व जब क्रिकेट से राजनेता बने इमरान

14 अगस्त को पाकिस्तान अपना 73वां जन्मदिन मना रहा है। कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री इमरान खां अपने कार्यालय में 2 वर्ष पूरे करने जा रहे हैं। 2 वर्ष पूर्व जब क्रिकेट से राजनेता बने इमरान खान पाकिस्तान के 22वें प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने कहा कि यह उनका 20 वर्षों पुराना सपना आज सत्य हुआ है और वह एक नया पाकिस्तान बनाने जा रहे हैं। चयनकत्र्ताओं (पाकिस्तानी आर्मी) के लिए यह एक ‘परफैक्ट ब्वॉय’ था, जो देश का नेतृत्व कर सकता था। चयनकत्र्ताओं ने यह यकीनी बनाया कि इमरान चुनावों को अवश्य जीतेंगे। 

क्योंकि प्रधानमंत्री ने ऐसे लम्बे वायदे किए उसके बाद कुछ नकारात्मक गतिविधियां उजागर हुईं। कोविड-19 तथा पाकिस्तानी स्टॉक एक्सचेंज में पिछले 15 वर्षों के दौरान एक बड़ी गिरावट देखी गई। अमरीकी डालर कूद कर 150 रुपए हो गया। इसके साथ खाद्य मंदी भी बढ़ गई। मगर खान टस से मस नहीं हुए। वह यह कहते गए कि, ‘‘आपने घबराना नहीं है। मैं आपको एक नया पाकिस्तान देने का वायदा करता हूं।’’

उन्होंने पाकिस्तान के एक नए राजनीतिक नक्शे को रंगीन पैंसिलों का इस्तेमाल कर बनाया जिसमें भारत का कश्मीर तथा गुजरात इत्यादि भी शामिल थे। वह बंगलादेश तक नहीं जा सकते थे। इसकी केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्वभर में जग हंसाई हुई। हालांकि उनके अपने देश पाकिस्तान में नए पाकिस्तान को लेकर हंसी उड़ाई गई।  इमरान खान की सरकार में विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने एक कदम आगे जाते हुए सऊदी अरब को धमका दिया। 

पाकिस्तानी मीडिया नया दौर के अनुसार शाह महमूद कुरैशी ने सऊदी अरब का कश्मीर में समर्थन को लेकर चेताया। उन्होंने कहा कि कश्मीर पर हम ओ.आई.सी. से बाहर दूसरे देशों का समर्थन प्राप्त करेंगे। मुझे यकीन है कि सऊदी अरब में इससे कंपकंपी छिड़ जाएगी। पिछले 24 महीनों के दौरान पाकिस्तान में परेशानियों के लिए पाकिस्तान के पूर्व नेताओं पर आरोप डाले गए। मगर वास्तविकता यह है कि इमरान खान के नए पाकिस्तान की बात को बार-बार दोहराना अब धुंधला पड़ रहा है और इसका कोई समर्थन नहीं कर रहा। 

इमरान का नक्शा पाकिस्तान के बड़े भाई चीन के साथ रिश्तों के बारे में कहानी कह रहा है कि चीन भारत के साथ संघर्ष में है जोकि पूर्वी लद्दाख से पिछले 3 माह से चल रहा है। प्रधानमंत्री इमरान खान जो ज्यादातर शी जिनपिंग के चीन के ऊपर पाकिस्तान को कम करने के आरोप लगाते रहे हैं, ने शक्सघाटी तथा अक्साईचिन को चीन की विस्तार नीति से परे रखा बल्कि चीन को नक्शे पर एक ओर लाइन खींचने को कहा। 

यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान ने नेपाल का अनुसरण किया। काठमांडू ने नक्शा जारी कर लिपुलेख, ङ्क्षलपियाधुरा तथा काला पानी पर अपना दावा ठोका। पाकिस्तान तथा नेपाल पेइङ्क्षचग के निकटम सहयोगी हैं और चीन यहां पर मूलभूत ढांचों के रूप में पैसा लगा रहा है। शपथ ग्रहण के तुरन्त बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने नई दिल्ली को शांति संदेश भेजा और कहा कि यदि भारत हमारी ओर एक कदम बढ़ाता है तो हम उनकी ओर दो कदम बढ़ाएंगे। वास्तव में दोनों देशों के बीच संबंध दो कदम पीछे की ओर बढ़े हैं और ऐसा पुलवामा हमले, कुलभूषण जाधव केस और जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को कम करने के बाद हुआ है। 

हालांकि भारत की अपने क्षेत्रों को विस्तृत करने की कोई मंशा नहीं। पाकिस्तानी नक्शा एक कुंठा में रह कर बनाया गया है क्योंकि इमरान खान सरकार कश्मीर मसले को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदायों को इस्लामाबाद के साथ जोडऩे में नाकामयाब हुई है। पाकिस्तानी सेना ने एक साल के बाद महसूस किया कि इमरान खान को लेकर उन्होंने एक गलत विकल्प चुना है। पूर्व कूटनीतिक तथा स्तम्भकार हुसैन हक्कानी के अनुसार इमरान खान की सरकार पाकिस्तानी इतिहास में सबसे ज्यादा निराशाजनक सरकार रही है। शायद यह पहली सिविलियन सरकार है जो पाकिस्तानी सेना पर ज्यादा निर्भर है। पाकिस्तान में यह मंत्र है कि सिविलियन सरकार तथा पाकिस्तानी सेना एक ही पन्ने पर रहती है मगर वास्तविकता यह है कि इमरान खान तथा उनकी सरकार पाकिस्तानी सेना की चापलूसी करती है। 

यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान पहले से ही सिविलियन लोकतांत्रिक शासन का दिखावा है। यहां पर यह टुकड़े-टुकड़े हो चुका है। प्रमुख विपक्षी पाॢटयों के नेता अब जेल में हैं। राष्ट्रीय मीडिया पूरी तरह से इंटरसॢवसेज पब्लिक रिलेशन्ज (आई.एस.पी.आर.) के नियंत्रण में है। इसके साथ-साथ आई.एस.आई.एस. का भी मीडिया विंग है। इमरान खान का फायदा यह है कि उनके 2 विपक्षी दल पी.एम.एल. -एन. नवाज तथा पी.पी.पी. पाकिस्तानी सेना द्वारा भगा दी गई हैं। एक वरिष्ठ पत्रकार खालिद महमूद के अनुसार लगभग 2 वर्ष बाद इमरान  का विपक्ष दौड़ चुका है मगर उनकी अपनी पार्टी कोविड-19 तथा टिड्डियों के दबाव से दो-फाड़ हो चुकी है। इमरान ने अपनी बेलगाम भाषा से पूरे सिस्टम को क्षति पहुंचाई है जिसके चलते उनकी पार्टी को क्षति पहुंची है। दबाव के अधीन इमरान की पार्टी अपना चरित्र खो बैठी है। 

इमरान की सरकार प्रत्येक फ्रंट पर नाकाम रही। कीमतें आसमान को छू रही हैं। अमरीका में पूर्व राजदूत तथा पी.पी.पी. नेता शैरी रहमान का कहना है कि बैलेट के माध्यम से अस्तित्व में एक असफल सरकार आई जो सैन्य प्रशासन की गिरफ्त में है। यह वह पाकिस्तानी सेना है जिसने देश की आजादी के लिए कोई भूमिका अदा नहीं की तथा भारत के खिलाफ 4 युद्ध खो दिए। इमरान खान जल्द ही किसी दूसरे पी.टी.आई. दिग्गज के साथ बदले जा सकते हैं। इस दौरान 14 अगस्त को इमरान खान फिर से ‘नया पाकिस्तान’ का वायदा करेंगे। मगर मुझे इस नए पाकिस्तान का विचार जुल्फिकार अली भुट्टो की याद दिलाता है जो 50 वर्ष पूर्व इसी नारे के साथ आए थे।

इसका नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान 2 देशों में बंट गया। भुट्टो पर पाकिस्तान को तोड़ने का आरोप लगा। 1970 में इलैक्शन के बाद भुट्टो ने अपने पूर्वी पाकिस्तानी समकक्ष जिन्होंने संसद में बहुमत सीटें जीतीं, से कहा कि ‘‘वो हिस्सा तुम्हारा, यह हमारा है’’ (उसके बाद भुट्टो को जनरल जिया ऊल हक के शासनकाल के दौरान फांसी पर लटका दिया।) क्या इमरान खान ऐसे ही कोई ‘नया पाकिस्तान’ का विचार रखते हैं?-मृत्युंजय कुमार झा

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