‘धीरे-धीरे’ और नीचे को ‘सरक रही कांग्रेस’

Edited By ,Updated: 30 Jul, 2020 02:10 AM

slowly and shifting congress to the bottom

जैसे -जैसे दिन बीतते जा रहे हैं वैसे-वैसे यह सवाल पैदा होता जा रहा है कि सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में कांग्रेस का आगे क्या होने जा रहा है? कांग्रेस पार्टी को वर्षों से हर राज्य में धीरे-धीरे और लगातार हो रही बड़ी गलतियों को समझना चाहिए मगर...

जैसे -जैसे दिन बीतते जा रहे हैं वैसे-वैसे यह सवाल पैदा होता जा रहा है कि सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में कांग्रेस का आगे क्या होने जा रहा है? कांग्रेस पार्टी को वर्षों से हर राज्य में धीरे-धीरे और लगातार हो रही बड़ी गलतियों को समझना चाहिए मगर इसकी गहराई को मापना असंभव है। यह सोचना असंभव है कि यह पार्टी भविष्य में वापसी करने के बारे में कैसे सोचती है। यह आज एक सपने जैसा है क्योंकि कांग्रेस एक के बाद एक राज्य को खो रही है क्योंकि हाईकमान का कुप्रबंधन और हस्तक्षेप बढ़ गया है। 

मुझे पता है कि जिस दिन मैं पैदा हुई थी, उसी दिन से मैं पार्टी को जानती हूं। यह धीरे-धीरे और नीचे को सरक रही है। जैसा कि पुराना कांग्रेसी परिवार पूरी तरह से पार्टी के लिए प्रतिबद्ध है। यह देखना मुश्किल है। पार्टी अब एक वास्तविक मेहनती  विश्वसनीय लोगों के गुणों को स्वीकार करने से इंकार करती है और इसकी बजाय नए लोगों का एक समूह बनाकर खुश है जो वास्तव में राजनेता नहीं है। यदि उनमें से कुछेक को उचित कामों पर लगा दिया जाए तो वे पार्टी के लिए एक सम्पत्ति हो सकते हैं। लेकिन जो गैर-राजनीतिक संस्थाएं  इसलिए शक्तिशाली हैं क्योंकि उन पर उच्च कमान का आशीर्वाद है। इसीलिए उनकी रिपोर्ट करना कई राज्यों के शक्तिशाली नेताओं के लिए यह बात अपमानजनक तथा नीचा दिखाने वाली है। यह बेहद परेशान करने वाली बात है कि इस पार्टी को जिताने के लिए जिन लोगों ने अपना जीवन बिताया है उन्हीं को आज नकारा जा रहा है। उच्च कमान द्वारा वितरित शक्ति का वितरण हमेशा एक प्रश्रचिन्ह होता है। 

राज्य के नेता अपने आत्मविश्वास और प्रयासों के कारण जीतते हैं और अपने गुणों में अहंकार हासिल करते हैं। वे ज्यादातर लॉबी करने के लिए केंद्र में आने से इंकार करते हैं। वह स्व:निर्मित हैं और भ्रमित रहते हैं कि शीर्ष पर वह किससे मिलेंगे। शायद ही कभी उन्हें कोई मिलने का कार्यक्रम मिलता है। यदि मिल भी जाए तो यह केवल औपचारिकता मानी जाती है। उनके किसी भी मुद्दे को संबोधित नहीं किया जाता। उनके राज्य पर विचार केंद्र के चम्मचों द्वारा लिए जाते हैं जो चुनाव हार गए होते हैं।

लेकिन सभी पुराने कांग्रेसी चिंता करते हैं कि भविष्य में राज्य या केंद्र में क्या होगा? वे भविष्य की योजनाओं के बारे में बहुत सावधान रहते हैं। फिर चाहे वह सी.डब्ल्यू.सी. या ए.आई.सी.सी. के इनपुट हों। आज आलाकमान कोई भी सुझाव लेना नहीं चाहता और न ही उसे प्रोत्साहित या उस पर प्रतिक्रिया दी जाती है। मैं समझती हूं कि कुछ युवा कांग्रेसी सांसद जल्दबाजी में नजर आ रहे हैं मगर उनको सुरंग की समाप्ति पर कोई रोशनी नजर नहीं आ रही। यह एक रिक्त स्थान है इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को लगता है कि उन्हें अपने भविष्य के लिए अच्छा करने का अधिकार है। 

मेरी इच्छा है कि अनुभवी वरिष्ठ, मध्यम आयु वर्ग के प्रबंधक और युवा कांग्रेस से बचे लोग तथा हाईकमान कुछ मुख्यमंत्रियों के साथ गंभीरता से बैठक करें और यह आत्ममंथन करें कि आखिर क्या गलत हो रहा है।  ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसे हल नहीं किया जा सकता है। यदि आप एक कमरे में बैठे हैं तो आप खुले तौर पर बात करें इसके विपरीत किसी व्यक्ति को बाहर न निकाला जाए जो आपको आईना दिखाता है। कांग्रेस में सभी सहकर्मी इस समय अपने आपको अधीर, ऊबे हुए और असहाय महसूस कर रहे हैं। वे आलाकमान के किसी भी व्यक्ति से नहीं मिल सकते।

मंडली उन्हें जब चाहे ब्लॉक कर देती है। यह बताने के लिए कहीं पर एक गंभीर संकट चल रहा है इसके लिए मिलने का समय लेना असंभव लगता है। मेरा सुझाव होगा कि हर राज्य में शीर्ष संगठन के लोगों को बुलाया जाए। सभी युवा कांग्रेस अध्यक्षों की उपस्थिति बनाई जाए और उन्हें डी.पी.सी.सी. अध्यक्ष चुनने की अनुमति दी जाए। विधायकों के साथ उन्हें केंद्रीय उच्च कमान के किसी भी हस्तक्षेप के बिना अपने टी.सी.सी. अध्यक्ष का चयन करने दें। 

कांग्रेस के पास प्रतिभा और अनुभव है। उसके पास कई ऊंचे कद के नेता हैं जिन्हें अपना काम स्वतंत्र रूप से संभालने और करने दिया गया है। कांग्रेस पार्टी के लिए सबसे बड़ा नुक्सान यह हुआ है कि चुनावी राजनीति के अनुभव के बिना कुछ लोग राज्यों पर शासन करते हैं और केवल बेईमान चम्मचों को प्रोत्साहित करते हैं ताकि वे जय-जय-जय करते रहें और दूसरों की गति को धीमा करते रहें। 

युवा कांग्रेस की गिरावट भी आज इस पार्टी की स्थिति का एक और कारण है। कोशिश करें कि प्रत्येक राज्य से राजीव गांधी के समय और आज के दौरान युवा कांग्रेस अध्यक्ष का मिलान किया जा सके। राज्यों को भेजे गए पर्यवेक्षकों को अवश्य सुनना चाहिए जिन्हें राज्यों में भेजा गया है। अगर उन्हें नहीं सुनना तो फिर उन्हें भेजने का क्या फायदा। जमीनी स्तर पर 4 से 5 योग्य उपाध्यक्षों जिनके आगे 5 सामान्य बुद्धि वाले डिप्टी हों, जिन्हें विभिन्न राज्यों से लिया गया हो।-देवी एम. चेरियन
 

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