पंजाब के प्रमुख राजनीतिक दलों में हलचल

Edited By Updated: 17 Oct, 2025 05:06 AM

stir in major political parties of punjab

अगले महीने होने वाले तरनतारन उपचुनाव के मद्देनजर पंजाब की 5 प्रमुख पाॢटयों ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है  लेकिन अकाली दल के गुटों, जिनमें  अकाली दल पुनर सुरजीत की शाखा ‘पंथक परिषद’ और दमदमी टकसाल आदि शामिल हैं, ने अकाली दल ‘वारिस...

अगले महीने होने वाले तरनतारन उपचुनाव के मद्देनजर पंजाब की 5 प्रमुख पाॢटयों ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है  लेकिन अकाली दल के गुटों, जिनमें  अकाली दल पुनर सुरजीत की शाखा ‘पंथक परिषद’ और दमदमी टकसाल आदि शामिल हैं, ने अकाली दल ‘वारिस पंजाब दे’ के उम्मीदवार को अपना समर्थन देने की घोषणा की है। इससे इस चुनाव में लोगों की रुचि और सक्रियता और भी बढ़ गई है। उपचुनाव की सक्रियता बढऩे के साथ-साथ कई दलों की अंदरूनी गतिविधियां भी कई कारणों से चरम की ओर बढ़ रही हैं, खासकर कांग्रेस, अकाली दल पुनर सुरजीत और आम आदमी पार्टी में हलचल राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई है।

हालांकि अकाली दल पुनर सुरजीत ने इस उपचुनाव में अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था और अकाली दल ‘वारिस पंजाब दे’ के उम्मीदवार को समर्थन दिया है  लेकिन जिस तरह से इस उपचुनाव से ठीक पहले उम्मीदवारों की सूचियां जारी हुई हैं और अकाली दल ‘वारिस पंजाब दे’ के उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया है, उससे पार्टी में हलचल मच गई है। अकाली दल पुनर सुरजीत के अध्यक्ष ज्ञानी हरप्रीत सिंह द्वारा घोषित उम्मीदवारों की सूची ने राजनीतिक हलकों को चौंका दिया है क्योंकि जारी की गई सूची में कई बड़े नेताओं के नाम शामिल नहीं किए गए हैं, खासकर बीबी जगीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत सिंह रखड़ा आदि।

हालांकि ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने इन नेताओं के करीबियों और कुछ रिश्तेदारों को ऊंचे पद दिए हैं। इसके बावजूद पार्टी के कई नेताओं को यह आभास हो रहा है कि ज्ञानी हरप्रीत सिंह 5 सदस्यीय समिति के एक नेता और सुधार आंदोलन के एक बड़े नेता के प्रभाव में काम कर रहे हैं। जिससे पार्टी में अंदर ही अंदर एक नया गुट अस्तित्व में आने की संभावना है। इसके अलावा चर्चा यह भी है कि अकाली दल पुनर सुरजीत के कुछ नेता फिलहाल अकाली दल ‘वारिस पंजाब दे’ के उम्मीदवार को अपनाने से हिचकिचा रहे हैं और खुद को एक उदार अकाली दल के रूप में पेश करना चाहते हैं। 

यही वजह है कि अकाली दल पुनर सुरजीत के अध्यक्ष और अन्य बड़े नेता अभी तक अकाली दल ‘वारिस पंजाब दे’ के उम्मीदवार के समर्थन में खुलकर सामने नहीं आए हैं। हालांकि गुरुवार या शुक्रवार को अकाली दल हो जाने और अकाली दल ‘वारिस पंजाब दे’ के नेताओं के बीच एकता हो जाने की चर्चा है। हालांकि, यह गठबंधन तरनतारन उपचुनाव के दौरान सामने आ सकता है जब अकाली दल पुनर सुरजीत अकाली दल ‘वारिस पंजाब दे’ के उम्मीदवार के लिए प्रचार करेगा।

पंजाब में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका निभा रही कांग्रेस पार्टी पहले से ही कई गुटों में बंटी हुई है, जिसमें प्रताप सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, चरणजीत सिंह चन्नी और राणा गुरजीत सिंह का गुट तथा राजा अमरिंदर सिंह वडि़ंग का गुट शामिल हैं और लुधियाना उपचुनाव के दौरान यह गुटबाजी खुलकर सामने आई थी। लेकिन अब नवजोत सिंह सिद्धू की प्रियंका गांधी से मुलाकात ने कांग्रेस के इन गुटों के नेताओं के लिए नई हलचल पैदा कर दी है क्योंकि कांग्रेस के हर बड़े फैसले लेने का अधिकार प्रियंका गांधी के पास है, जिसके चलते इस मुलाकात को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। 

कांग्रेसी खेमों को यह डर सताने लगा है कि कहीं नवजोत सिद्धू को फिर से कांग्रेस में अहम भूमिका निभाने के लिए तैयार तो नहीं किया जा रहा है। सिद्धू की प्रियंका से मुलाकात के बाद कांग्रेस आलाकमान ने राजा वडि़ंग, चरणजीत सिंह चन्नी और अन्य नेताओं को दिल्ली बुला लिया, जिससे कांग्रेस नेताओं में असमंजस और बढ़ गया है। इसी वजह से सिद्धू की यह मुलाकात अगले विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद लगाए बैठे कई नेताओं के लिए खतरे की घंटी है। 

 हालांकि अब तक आम आदमी पार्टी में पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को सबसे अहम व्यक्ति माना जाता था और पार्टी के सभी फैसले केजरीवाल और उनके करीबी ही लेते थे और किसी नेता की कभी कुछ कहने की हिम्मत नहीं होती थी, लेकिन अब इस पार्टी में भी हलचल मच गई है और पार्टी में 2 गुट नजर आने लगे हैं जिसमें एक गुट सुप्रीमो केजरीवाल के संरक्षण में बताया जा रहा है। यह गुट पार्टी की पंजाब इकाई के अध्यक्ष और मंत्री अमन अरोड़ा और स्पीकर कुलतार सिंह संधवां के नेतृत्व में चल रहा बताया जा रहा है और दूसरा गुट खुद मुख्यमंत्री का बताया जा रहा है। 

इस गुटबाजी की अफवाहों को तब और बल मिला जब एक-दो मौकों पर जैसे एक समारोह के दौरान मंच पर एक-दूसरे की बगल में बैठे होने के बावजूद मुख्यमंत्री द्वारा पार्टी की पंजाब इकाई के अध्यक्ष और मंत्री का नाम तक नहीं लेना और मुख्यमंत्री आवास पर कैबिनेट मीटिंग के दौरान अमन अरोड़ा की गाड़ी को मुख्यमंत्री आवास में घुसने से रोकने की कोशिश करना। लेकिन फिलहाल, पिछले कई बड़े उलटफेरों का सामना कर चुका अकाली दल बादल शांत नजर आ रहा है  क्योंकि जो नेता जरा भी फूट डालने वाले थे,वे या तो पार्टी छोड़ चुके हैं या उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी में भी अन्य दलों की तरह गुटबाजी मौजूद है।

फिर भी, केंद्रीय आलाकमान की मजबूती के कारण नेता अनुशासन में रहते हैं जिससे पार्टी एकजुट दिखाई देती है। अकाली दल ‘वारिस पंजाब दे’ एक नई पार्टी है और इसके दो नेता पार्टी के गठन से पहले ही निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लोकसभा चुनाव जीत चुके थे और अब इस पार्टी के उम्मीदवार को कई अकाली दलों और पंथक संगठनों का समर्थन प्राप्त है, जिससे कार्यकत्र्ताओं और नेताओं को गठबंधन बनाने के बजाय चुनाव जीतने पर ध्यान केंद्रित करने का प्रोत्साहन मिला है।-इकबाल सिंह चन्नी

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!