फटी जींस और फटी शर्ट

Edited By Updated: 14 Oct, 2025 05:24 AM

torn jeans and torn shirt

हाल ही में एक मशहूर अभिनेत्री का वीडियो देख रही थी। उन्होंने हर तरफ  से एक फटी शर्ट पहन रखी थी जिसे आम भाषा में चिथड़ा कहते हैं। अभिनेत्री बाकायदा शान से जा रही थीं। पता चला कि इस तरह की शटर््स आजकल फैशन में हैं। इससे पहले फटी जींस का फैशन भी हम देख...

हाल ही में एक मशहूर अभिनेत्री का वीडियो देख रही थी। उन्होंने हर तरफ  से एक फटी शर्ट पहन रखी थी जिसे आम भाषा में चिथड़ा कहते हैं। अभिनेत्री बाकायदा शान से जा रही थीं। पता चला कि इस तरह की शर्ट्स आजकल फैशन में हैं। इससे पहले फटी जींस का फैशन भी हम देख चुके हैं। इनके बारे में बताया जाता है कि बनाने के बाद इन्हें तेजी से पत्थरों पर मारा जाता है, जिससे कि ये फट जाएं। फैशन इंटस्ट्री किसी भी बात का फैशन चला देती है। उन्हें लोकप्रिय बनाने के लिए बड़े नामों का सहारा लिया जाता है। ये लोग ऐसे ही कपड़े पहने दिखते हैं। 

युवा चूंकि इन्हें ही अपना आदर्श मानते हैं  तो इस तरह की चीजें जल्दी से लोकप्रिय हो जाती हैं। क्या किसी आम स्त्री-पुरुष को आपने ऐसे कपड़े पहने देखा है? आम स्त्री-पुरुष तो कपड़े फट जाने पर उन्हें सिलकर ठीक करते हैं। कहीं आना-जाना हो तो ऐसे कपड़े पहनने की कोशिश करते हैं  जो कहीं से फटा न हो। लेकिन आज के वक्त के क्या कहने। इस वक्त को वे लोग चला रहे हैं, जिनके पास अपार दौलत है। वे ही तय कर रहे हैं कि कोई क्या पहने, कैसे पहने। इसीलिए अक्सर ये दंभ में भरकर कहते हैं कि वे किसी भी कपड़े को रिपीट नहीं करते। 

हेमामालिनी के बारे में कहा जाता है कि वह एक साड़ी को दोबारा नहीं पहनतीं। यानी कि साल के तीन सौ पैंसठ दिन, तो इतनी ही साडिय़ां। वे भी एक से एक महंगी। कारण यही कि जेब भरी है। उससे कोई भी शौक पूरा किया जा सकता है। यदि गाहे-बगाहे कोई एक कपड़े को दोबारा पहन ले तो उसे वार्ड रोब माल फंक्शनिंग कहा जाता है। मीडिया इसे बढ़-चढ़कर दिखाता है।  कुछ साल पहले इन्हीं अमीरों की जेब से पैसा निकालने के लिए एक कम्पनी ने फैशन ट्रैंड को चलाए रखने के लिए मात्र 15 दिन का समय तय किया था लेकिन उसे इस प्रयास में सफलता नहीं मिली। कहा जाता है कि दुनिया भर में सबसे ज्यादा कूड़ा कपड़ों का है। ऐसी ही बातें कूड़े को बढ़ाती हैं। यों रिसाइक्लिंग पर भी ज्ञान देने ऐसे बहुत से लोग आ ही जाते हैं जो एक कपड़े को दोबारा पहनना अपनी शान के खिलाफ  समझते हैं। 

कुछ दिन पहले अमरीका के एक बड़े उद्योगपति ने कहा था कि अगर कुछ कपड़ों में मेरा काम चल सकता है तो मैं बहुत से कपड़े क्यों खरीदूं। यदि जहाज की यात्रा करनी है  तो इकानामी क्लास में सफर करके भी वहीं पहुंचूंगा, जहां बिजनैस क्लास या फस्र्ट क्लास में सफर करके पहुंचता। कुछ डालर की घड़ी भी वही समय बताती है, जो लाखों डालर की। सस्ती कार भी वहीं पहुंचा देती है, जहां लग्जरी कारें पहुंचाती हैं। सस्ता मोबाइल भी उतनी ही बात करा सकता है ,जितना महंगा मोबाइल। लेकिन ऐसी बातें अक्सर कही जाती रहती हैं, लेकिन शायद ही कोई ध्यान देता है। अभी जब आई फोन 17 लांच किया गया था, तब मुम्बई में एक लड़का रात भर फोन बेचने वाले स्टोर के बाहर खड़ा रहा था, जिससे कि सबसे पहले वह फोन खरीद सके। ऐसी भी खबरें आई थीं कि पहले से अच्छे-भले फोन होने के बावजूद, ई.एम.आई. पर युवा इसे खरीदने को उतावले हैं। एक तरफ  ऐसे फटे कपड़े हैं जो बेहद महंगे हैं। अभिनेत्री की जिस फटी शर्ट का जिक्र ऊपर किया, उसकी कीमत पैंसठ हजार रुपए से अधिक बताई जा रही है। दूसरी तरफ  आज भी अपने  देश में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनके पास पहनने को दूसरा कपड़ा नहीं है।

जब से फटी शर्ट की तस्वीर देखी है, यादों में बसी एक ग्वालिन याद आती है। वह हमारे घर की गाय चराने ले जाती थी। उसके पास बस एक ही लहंगा था। उसका कहना था कि जिस दिन इसे धोती है, काम पर नहीं आ पाती। क्योंकि वह जल्दी सूखता नहीं है। तब मां ने उसे दूसरा लहंगा बनवाने के लिए पैसे दिए थे। ग्वालिन ने तब मां को ढेरों आशीर्वाद दिए थे। हालांकि हमारा परिवार भी गरीब था। बड़ा परिवार और साधन  न के बराबर। कुछ साल पहले देश के ही एक हिस्से से खबर आई कि चुनाव के वक्त एक राजनीतिक दल ने जब साडिय़ां बांटीं तो कई स्त्रियां इसलिए खुश हुईं कि उनके पास अब दूसरी साड़ी भी आ गई, वह भी नई। पैसे का जितना प्रदर्शन आज के वक्त में है, शायद इससे पहले कभी नहीं था। दशकों पहले लोग अपने पैसे को दिखाना नहीं चाहते थे। वे अपने बच्चों को भी यही सिखाते थे कि पैसे का  रौब किसी पर मत दिखाओ। वे इसे अच्छा नहीं मानते थे। इसीलिए अधिकांश बच्चे एक ही तरह के स्कूल में पढ़ते थे। एक जैसे ही कपड़े पहनते थे। 

खेलते, कूदते दोस्त बनते थे। एक-दूसरे के घर जाते थे। पैसे को दिखाकर श्रेष्ठ बनना ग्लोबलाइजेशन की कठोर सचाई है। इसे पेज थ्री कल्चर ने और बढ़ाया है। इस संस्कृति में चर्चा में रहने के लिए हरदम कुछ नया करना है।  इसीलिए नए के नाम पर कभी फटी जींस पहननी है, कभी फटी शर्ट। और इस बहाने सोशल मीडिया पर छा जाना है। ये एक तरह से उस साधनहीन का अपमान भी है, जिसके पास पहनने को बस फटे कपड़े ही हैं।-क्षमा शर्मा

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