मनोज कुमार को श्रद्धा के दो फूल

Edited By Updated: 12 Apr, 2025 06:03 AM

two flowers of respect for manoj kumar

इससे पहले कि हम मनोज कुमार के प्रति श्रद्धांजलि अॢपत करें सिने प्रेमियों को मनोज के पहले के चार दौरों को देख लेना चाहिए। वह दौर जिनका   मैं साक्षी रहा हूं। पहला दौर मेरे बचपन में फिल्म देखने का था जब सोहराब मोदी, पृथ्वी राज कपूर, दादा मुनि अशोक...

इससे पहले कि हम मनोज कुमार के प्रति श्रद्धांजलि अॢपत करें सिने प्रेमियों को मनोज के पहले के चार दौरों को देख लेना चाहिए। वह दौर जिनका   मैं साक्षी रहा हूं। पहला दौर मेरे बचपन में फिल्म देखने का था जब सोहराब मोदी, पृथ्वी राज कपूर, दादा मुनि अशोक कुमार, प्रेम अदीब और खूंखार आंखों वाले चंद्र मोहन का। इस दौर में ऐतिहासिक फिल्मों का चलन था परन्तु दादा मुनि अशोक कुमार ने तब सिनेमा को ‘पारसी अभिनय शैली’ से बाहर निकालने का अभिनय दुनिया के सामने रखा। इससे पहले के.एल. सहगल का दौर मैंने देखा नहीं। सुना है कि के.एल. सहगल शराब के नशे में चूर होकर गाया और अभिनय किया करते थे? सुना तो यह भी है कि के.एल. सहगल और इस समय की गायिका एक्ट्रैस नूरजहां और सुरेंद्र जोशी की बड़ी चर्चाएं रही हैं। 

दूसरे फिल्मी दौर में दिलीप कुमार, राजकपूर और देवानंद की ‘त्रिमूॢत’ ने सिनेमा को यथार्थ के सुनहरे दौर में ला दिया। सिने दर्शकों को इस अभिनय की ‘त्रिमूर्ति’ ने रुलाया भी, हंसाया भी। अपने अभिनय की परिपक्वता से सामाजिक समस्याओं का हल भी जनता के सामने रखा। गजब का दौर था जिसमें संगीत और अभिनय से सिने प्रेमी गद्गद् हो उठे। इस अभिनय की ‘त्रिमूर्ति’ के समानांतर कुछ और प्रकार की शैली लेकर भारत भूषण, प्रेम नाथ, महिपाल, साहू मोदक और रंजन जैसे एक्टर्ज चलते रहे। अभिनय के तीसरे दौर में एक नई पीढ़ी शम्मी कपूर, धर्मेंद्र, जतिन्द्र, संजीव कुमार और मनोज कुमार जैसे कलाकारों ने खूब नाम कमाया। इसी दौर में दो अभिनेता राजेंद्र कुमार जिन्हें ‘जुबली स्टार’ कहा जाता था, पर्दे पर शोहरत हासिल कर गए। 1969 से 1975 तक राजेश खन्ना ने अभिनय की नई शैली को लेकर मुम्बई सिने उद्योग को अचंभित कर दिया। चौथे दौर में सलमान खान, आमिर खान और शाहरुख खान ने मुम्बई सिने उद्योग को अपने नाम कर लिया। हैरानी है कि एक्टर अक्षय कुमार कैसे खड़े रहे। चारों दौरों में मनोज कुमार उर्फ ‘भारत कुमार’ उर्फ हरि कृष्ण गोस्वामी एक विलक्षण प्रतिभा के धनी साबित हुए। इस पटकथा लेखक, निर्देशक, निर्माता ने सिने प्रेमियों को मोहित किया। अभिनय से देशभक्ति का जज्बा जन-जन में भर दिया। 

अभिनय की एक नई और अद्भुत शैली के जन्मदाता स्वयं मनोज कुमार दिलीप कुमार जैसे ‘ट्रैजेडी किंग’ से प्रभावित थे। उन्होंने हरि कृष्ण गोस्वामी से अपना फिल्मी नाम भी दिलीप कुमार की फिल्म ‘शबनम’ से मनोज कुमार रख लिया।  उनकी प्रारंभिक फिल्में ‘शादी’, ‘फैशन’, ‘हनीमून’, ‘चांद’, ‘सहारा’, ‘पिया मिलन की रात’, ‘सुहाग सिंदूर’, ‘रेशमी रूमाल’ फ्लॉप के बाद फ्लॉप होती चली गईं।  मेरे जैसे सिनेमा प्रेमी ने कसम तक खा ली कि आज के बाद मनोज कुमार की कोई फिल्म नहीं देखूंगा। परन्तु 1962 में विजय भट्ट की फिल्म ‘हरियाली और रास्ता’ को देखने के बाद लगा कि इस खूबसूरत युवा कलाकार में अभिनय की प्रतिभा है। 1962 में ही मनोज कुमार की फिल्म आई ‘डाक्टर विद्या’ जिसमें उनके ऑपोजिट थीं प्रख्यात अभिनेत्री वैजयंती माला। फिल्म चल निकली और मनोज कुमार भी धीरे-धीरे अभिनय क्षेत्र में पैर जमाते गए।  राज खोसला के साथ मनोज ने ‘मेरा साया’ और ‘अनीता’ जैसी फिल्में बनाईं।

1965 में आई देशभक्ति से परिपूर्ण फिल्म ‘शहीद’ जो स. भगत सिंह की देशभक्ति पर आधारित थी। इसमें प्राण, प्रेम चोपड़ा और दारा सिंह ने भावपूर्ण अभिनय से सिने दर्शकों को सम्मोहित कर दिया था। फिल्म ‘शहीद’ में मनोज कुमार वास्तव में ही स. भगत सिंह लगते थे। इसके भावपूर्ण और देशभक्ति से भरे गीतों ने जन-जन के मन को मोह लिया। स्वर्गीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने स्वयं ‘शहीद’ फिल्म को देखकर मनोज कुमार को शाबाशी दी। शास्त्री जी ने मनोज कुमार और उनकी टीम को दिल्ली बुलाया और उन्हें ‘जय जवान-जय किसान’ के स्लोगन को लेकर फिल्म बनाने का आग्रह किया। मनोज कुमार ने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के अनुग्रह पर दिल्ली से मुम्बई ट्रेन में सफर के दौरान फिल्म ‘उपकार’ की पटकथा लिख दी। याद रहे मनोज कुमार को जहाज पर चढऩे से बहुत डर लगता था। मेरे एक परम मित्र अमृतसर के रमेश कपूर ने मुझे यह बताया तो मैं हैरान रह गया। मनोज कुमार की फिल्म ‘उपकार’ ने कई राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किए। इसी तरह मनोज कुमार की फिल्म ‘गुमनाम’ ने सिल्वर जुबली मनाई। ‘गुमनाम’ भी फिल्म ‘वो कौन थी’ की तरह एक थ्रिलर फिल्म थी।

1968 में फिल्म ‘आदमी’ में मनोज कुमार के फेवरेट एक्टर दिलीप कुमार से अभिनय में मुकाबला हुआ और मनोज कुमार, दिलीप कुमार से कम नजर नहीं आए। सन् 1970 में आई फिल्म ‘पूर्व और पश्चिम’ में मनोज कुमार ने सायरा बानो को पश्चिमी सभ्यता में रंगी हुई दर्शाया और भारत की सभ्यता को श्रेष्ठ ठहराया था। राज कपूर की फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में सिम्मी ग्रेवाल के साथ मनोज कुमार ने अभिनय क्षेत्र में खूब नाम कमाया। 1971 में मनोज कुमार ने ‘बलिदान’, ‘बेईमान’ और ‘शोर’ जैसी फिल्मों द्वारा अपने नाम का सिक्का जमा दिया। फिल्म ‘बेईमान’ से मनोज कुमार को ‘बैस्ट एक्टर’ फिल्म फेयर अवार्ड प्राप्त हुआ। 1970 में मनोज कुमार की फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ आई।

दोस्तो, मनोज कुमार जहां फिल्मों में हरफन मौला थे वहीं उनकी भारतीय जनता पार्टी से भी खूब बनती थी। उन्हें 1992 में  ‘पद्मश्री’ और 2015 में भारत सरकार के सर्वोच्च कला अवार्ड ‘दादा साहिब फाल्के’ अवार्ड से नवाजा गया। कई फिल्म फेयर अवार्ड उन्हें ‘बैस्ट एक्टर’ के रूप में प्राप्त हुए। 2012 में उन्हें ‘भारत गौरव’ पद का सम्मान मिला। 24 जुलाई, 1937 को जन्मे मनोज कुमार की मृत्यु 4 अप्रैल, 2025 को हुई। हिंद समाचार परिवार के सभी सदस्यों की ओर से मनोज कुमार को भावभीनी श्रद्धांजलि। प्रभु उन्हें शांति प्रदान करे।-मा. मोहन लाल (पूर्व परिवहन मंत्री, पंजाब)

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!