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चुनावों में फिजूलखर्ची, जनता से खिलवाड़

Edited By ,Updated: 29 Jan, 2022 07:31 AM

wasteful spending in elections playing with the public

ग्राम सभा से लेकर लोकसभा तक सभी पार्टियों के उम्मीदवार अपनी सफलता के लिए दिन-रात एक कर देते हैं। पंजाब में विधानसभा की 117 सीटें हैं। हम सभी को पता है कि विधानसभा में सिर्फ 117 विधायक ही

ग्राम सभा से लेकर लोकसभा तक सभी पार्टियों के उम्मीदवार अपनी सफलता के लिए दिन-रात एक कर देते हैं। पंजाब में विधानसभा की 117 सीटें हैं। हम सभी को पता है कि विधानसभा में सिर्फ 117 विधायक ही चिन्हित होने हैं। इन सीटों के लिए हजारों उम्मीदवार अपने-अपने दलों से नामांकन भरेंगे और पूरी ऐड़ी-चोटी का जोर लगाएंगे और मतदाताओं को चिकनी-चुपड़ी बातों के माध्यम से लुभाने का प्रयास करेंगे। ये बातें सभी लोग भली-भांति जानते हैं। एक विधानसभा सीट से एक ही उम्मीदवार विजयश्री को प्राप्त करेगा। 

आज प्रत्येक दल के नेता जनता के बीच जाकर उनसे वायदे कर रहे हैं। वह कहते हैं ‘‘यदि मैं जीत गया तो सभी की दुख-तकलीफों को पूरा करूंगा। जो आज तक किसी ने नहीं किया होगा वह मैं कर दिखाऊंगा। मुझमें भरोसा जताएं।’’ 

शहर-शहर, गांव-गांव तथा घर-घर जाकर सभी नेता लोगों को लुभा रहे हैं। उन्होंने लोगों के लिए लंगर लगा रखे हैं। शाम को थकने पर सभी को सोमरस (शराब) भी परोसी जा रही है। विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसे जा रहे हैं। उम्मीदवार दोनों हाथ जोड़कर लोगों के पांव छूते नजर आ रहे हैं। सभी लोगों को शॉल और सिरोपे भेंट हो रहे हैं। परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का प्रलोभन भी दिया जा रहा होगा। बूढ़ों से कहा जा रहा होगा कि बापू फिक्र मत कर तेरी पैंशन तेरे दरवाजे पर चढ़ते महीने पहुंचा दी जाएगी। 

नेता लोग अधिकारियों और पुलिस को भी धमकाते नजर आते होंगे। हमारे देश में चुनाव वैसे भी खर्चीले होते हैं। बाहुबली, पैसे वाला और गुंडा प्रवृत्ति का आदमी ही चुनाव लड़ता व जीतता है। योग्य उम्मीदवार के पास खाने को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती तो वह चुनाव क्या लड़ेगा। मैं ग्राम सभा से लेकर विधानसभा, लोकसभा से लेकर राष्ट्रपति तक का चुनाव लडऩे के लिए अति सक्षम हूं परन्तु घोर लाचारी पैसों की है। करोड़ों रुपए कैसे खर्च कर सकते हैं। ईमानदार आदमी राजनीति में नहीं जा पाता जिसका खामियाजा देश की भोली-भाली जनता को भोगना पड़ता है। अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम लिंकन ने कहा था, ‘‘जनता की सरकार जनता द्वारा, जनता के लिए।’’ उसी तर्ज पर हमारा देश भी अभी तक चल रहा है। 

मुझे यहां पर लिखने में कतई संकोच नहीं है कि एक बार एक सेठ ने अपने मुनीम से पूछा, ‘‘मुनीम जी हमारे पास कितना धन है?’’ मुनीम ने जवाब दिया, ‘‘सेठ जी 10 पीढिय़ों तक कोई भी काम न करे तब भी धन खत्म न होगा।’’ सेठ बोला, ‘‘11वीं पीढ़ी क्या करेगी?’’ इंसान को पल भर की खबर नहीं और सामान 100 बरस का। यही बात हमारे राजनेताओं की है। एक बार मंत्री या नेता बन जाओ सारी पीढिय़ां आराम से खाएंगी। आज हमारी भारतीय राजनीति व्यापार बन चुकी है। 

व्यापार में तो घाटा लग सकता है, राजनीति में नहीं। सारी जनता का पैसा नेताओं और मंत्रियों की झोली में जा पड़ता है। पहले कहते हैं ‘राज नहीं सेवा’ अब उलट है ‘सेवा नहीं मेवा चाहिए’। चुनावों में फिजूलखर्ची द्वारा जनता से खिलवाड़ किया जाता है।-रमेश गढ़वाली (बठिंडा)

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