गहलोत-पायलट के बीच ‘झगड़े’ के क्या मायने

Edited By ,Updated: 24 Jul, 2020 02:02 AM

what does  quarrel  mean between gehlot and pilot

राजस्थान के दो कांग्रेसी दिग्गजों अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट के बीच सत्ता के लिए तीव्र संघर्ष पार्टी उच्च कमान की घटिया कार्यप्रणाली बारे बहुत कुछ कहता है जिसमें इसकी कार्यवाहक अध्यक्षा सोनिया गांधी के साथ-साथ उनके गैर-कार्यकारी बेटे राहुल गांधी तथा...

राजस्थान के दो कांग्रेसी दिग्गजों अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट के बीच सत्ता के लिए तीव्र संघर्ष पार्टी उच्च कमान की घटिया कार्यप्रणाली बारे बहुत कुछ कहता है जिसमें इसकी कार्यवाहक अध्यक्षा सोनिया गांधी के साथ-साथ उनके गैर-कार्यकारी बेटे राहुल गांधी तथा बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल हैं। वही मुख्य रूप से आज कांग्रेस के राजवंश का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी समय एक भव्य पार्टी रही कांग्रेस का तीव्र पतन देखते हुए उन्हें शायद ही ठोस तथा नियमों वाले नेता के तौर पर देखा जा सकता है, सिवाय उनके वफादार समूहों के। 

जो भी हो, वे पार्टी के गौरवशाली अतीत के कारण अपनी चमक बनाने में सफल रहे हैं चाहे मद्धम ही सही। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी का कार्यकाल 10 अगस्त को समाप्त हो रहा है। कोई नहीं जानता कि क्या पार्टी उन्हीं की कमान में रहेगी या बागडोर राहुल गांधी के हाथों में सौंपने का विकल्प चुना जाएगा। राहुल इर्द-गिर्द ही दिखाई देते हैं लेकिन अभी भी कोई जिम्मेदारी उठाने में हिचकिचाते हैं। उनकी कार्यप्रणाली एक फ्रीलांस राजनीतिज्ञ की तरह है। उन्हें कई मुद्दों तथा गैर-मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी को घेरना अच्छा लगता है। भाजपा नेता उनकी टिप्पणियों को लेकर हमेशा उन पर जवाबी हमला करना पसंद करते हैं। क्या मैं यह मान लूं कि वे उनके ‘पप्पू’ को पसंद करते हैं? 

निश्चित तौर पर राहुल अब पप्पू नहीं रहे, जैसा कि किसी समय उन्हें दिखाया जाता था। उन्होंने कुछ प्रश्र उठाए हैं जिनका कोई मतलब है। यद्यपि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों की कोई विश्वसनीयता नहीं है क्योंकि उन्हें कांग्रेस के भीतर एक गैर-कार्यकारी व्यक्ति के तौर पर देखा जाता है, सिवाय इसके कि उन पर वंशवाद का ठप्पा लगा है। यदि वह कांग्रेस तथा देश को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें पार्टी की कमान संभालनी चाहिए। इससे उन्हें एक विपक्षी नेता के तौर पर वांछित विश्वसनीयता प्राप्त होगी। 

2019 के लोकसभा चुनावों में मिली पराजय के बाद पार्टी अध्यक्ष के तौर पर अपने पद से राहुल गांधी के इस्तीफे से मैं काफी प्रभावित हुआ था। उन्होंने इसके बाद तब और अधिक सम्मान हासिल किया जब उन्होंने घोषणा की कि गांधी परिवार से कोई भी व्यक्ति उस पद पर नहीं बैठेगा। मगर सोनिया गांधी को अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर गद्दी पर बिठा दिया गया जो एक अति महत्वाकांक्षी राजनीतिज्ञ का एक विशिष्ट मामला है। 

हालांकि कांग्रेस के भविष्य को लेकर मेरा अलग नजरिया है। मेरा मानना है कि पार्टी उच्च कमान को उच्च पदों के लिए अपने दरवाजे हर किसी के लिए खोलने और गुणवत्ता के आधार पर आलोचना की स्वीकृति देनी चाहिए। सोनिया गांधी को खुद को एक ‘मदर सुपरवाइजर’ के तौर पर पेश करना तथा वंशवाद के ठप्पे के बिना कांग्रेस को विकसित होने बिंदू साधारण है : लोकतांत्रिक कार्य प्रणाली और वंशवाद का शासन नहीं। यही इस पुरानी गौरवशाली पार्टी के लिए आज सही रहेगा। है कोई आगे आने वाला? 

यही समय है कि पार्टी अतीत में की गई अपनी गलतियों से सबक ले। मेरा मानना है कि कांग्रेस में भाजपा के मुकाबले अधिक युवा प्रतिभा है। मगर गत कुछ वर्षों से कुछ प्रतिभाशाली युवाओं ने पार्टी को छोड़ दिया है क्योंकि शीर्ष पर धीमी गति के नेतृत्व के कारण वे पार्टी में अपना दम घुटता महसूस कर रहे थे। हमने ऐसा मध्यप्रदेश कांग्रेस में संकट के दौरान देखा जब युवा ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए। इससे पहले प्रतिक्रियात्मक तथा गतिशील नेतृत्व के अभाव में विभिन्न राज्यों में कई प्रतिभाशाली युवा नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। 

यही कहानी अब राजस्थान में है।  मैं राजस्थान कांग्रेस प्रकरण को पार्टी के बिखराव की स्थिति के एक हिस्से और इसके शीर्ष नेताओं के बीच पारदर्शिता,जवाबदेही तथा अनुशासन के अभाव के तौर पर देखता हूं। अशोक गहलोत एक चतुर नेता हैं। उन्हें पैंतरेबाजी की कला तथा दिल्ली स्थित कांग्रेस उच्च कमान को अपने साथ रखने और अपने संभावित विरोधियों को सफलतापूर्वक दरकिनार करने की कला आती है। उनके शिकार लोगों की सूची काफी प्रभावशाली है। इसमें परस राम मदेरणा , सी.पी. जोशी, जनार्दन सिंह गहलोत और अब सचिन पायलट शामिल हैं। 

यहां यह उल्लेख किया जाना जरूरी है कि 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की प्रभावशाली विजय के लिए सचिन पायलट ने कड़ी मेहनत की थी। प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष के तौर पर कांग्रेस की सफलता हेतु कड़ी मेहनत करने के बाद इन्हें आशा थी कि वह मुख्यमंत्री का पद हासिल कर लेंगे। मगर सोनिया गांधी तथा प्रियंका ने मुख्यमंत्री के तौर पर गहलोत का समर्थन किया। सचिन को उप मुख्यमंत्री बनाया गया। अपनी पृष्ठभूमि के अनुसार गहलोत सचिन पायलट के पर कतरने में सफल रहे। 

मूल रूप से विनम्र, सचिन पायलट समय के साथ निराश होते गए। अब हम दोनों के बीच राजनीतिक-कानूनी लड़ाइयों से वाकिफ हैं। मैं नहीं चाहता ऐसा फिर दोहराया जाए। मुख्य प्रश्न यह है कि कौन किसको असफल कर रहा है और किस कीमत पर? ज्यादातर लोग जानते हैं कि कौन क्या है और क्या क्या है? मगर सत्ताधारियों द्वारा खेली जा रही गंदी चालों के सामने वे खुद को असहाय पाते हैं। निश्चित तौर पर राजनीति में जो नकारात्मकता हम देख रहे हैं वह काफी परेशान करने वाली है। अधिकतर नेताओं ने सत्ता के लिए चूहा दौड़ हेतु अपनी अंतर्रात्मा को या तो गिरवी रख दिया है अथवा मार दिया है। जरा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा अपने पूर्व युवा सहयोगी सचिन पायलट के खिलाफ इस्तेमाल की गई गंदी भाषा पर नजर डालें। उन्होंने सचिन को ‘निकम्मा’ तथा ‘नाकारा’ कहा है। ऐसी भाषा का इस्तेमाल करके गहलोत ने दिखा दिया है कि वह किस श्रेणी से संबंधित हैं।  कैसे एक मुख्यमंत्री ऐसे गंदे शब्दों का इस्तेमाल कर सकता है, चाहे पायलट के साथ उनके मतभेद कैसे भी हों? 

मुख्यमंत्री की टिप्पणियां उस दिन आईं जिस दिन राजस्थान हाईकोर्ट की एक खंडपीठ विद्रोही विधायकों की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिन्होंने पार्टी बैठक में हिस्सा न लेने के लिए स्पीकर सी.पी.जोशी द्वारा उनको दिए गए कारण बताओ नोटिसों पर प्रश्र उठाए थे। राजस्थान हाईकोर्ट अपना अंतिम निर्णय शुक्रवार (24 जुलाई) को सुनाएगा।  इस बीच स्पीकर ने अयोग्यता मुद्दे पर राजस्थान की अदालत के निर्णय के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट का रुख किया है। पायलट ने भी उन्हें सुनने के लिए  प्रतिवाद दाखिल किया है। इस कानूनी लड़ाई में सुप्रीमकोर्ट का निर्णय महत्वपूर्ण होगा। 

महत्वपूर्ण प्रश्र यह है कि कैसे स्पीकर पार्टी बैठक के लिए ऐसा नोटिस जारी कर सकता है? वह केवल विधानसभा सत्र के दौरान ही व्हिप जारी कर सकता है। और फिर इन दिनों जयपुर में जो कुछ हो रहा है वह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा खेली जा रही निम्र स्तर की राजनीतिक खेलें हैं। पूर्व मंत्री तथा दौसा से विधायक मुरारी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री द्वारा पायलट के खिलाफ इस्तेमाल की गई भाषा पर प्रश्र उठाया है। मीणा पायलट का समर्थन कर रहे 18 विधायकों में से हैं। वह (गहलोत) कैसे कह सकते हैं कि पायलट ने कुछ नहीं किया। जब पायलट ने प्रदेश कांग्रेस समिति का अध्यक्ष पद संभाला था कांग्रेस की विधानसभा में 21 सीटें थीं। इस परेशान करने वाले परिदृश्य के बीच कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसा आभास दिया जैसे वे सचिन के साथ सम्पर्क कर रहे हैं। मगर मुख्यमंत्री की भाषा गाली-गलौच जैसी थी। यह दिखाता है कि पायलट गत 18 महीनों के दौरान कैसी स्थिति से गुजर रहे थे। 

नि:संदेह, जिस राजनीतिक पतनों को हमने राजस्थान में देखा है उसे कांग्रेस की गहरी जड़ों वाली बीमार मानसिकता के बड़े परिदृश्य में देखने की जरूरत है। यह बताने के लिए बहुत अधिक समझ की जरूरत नहीं  कि उच्च कमान ने जिस तरह से महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दों से निपटा है उसमें मूल रूप से कुछ न कुछ गलत है। प्रतिभाशाली युवा कांग्रेसियों में सत्ता के लिए महत्वाकांक्षा में कुछ गलत नहीं है। मगर उनके साथ विनम्रतापूर्वक और देखभाल करते हुए व्यवहार किया जाना चाहिए। हालांकि कुछ राज्यों में ऐसा मामला नहीं है, जिनमें मणिपुर, हरियाणा, मध्यप्रदेश और अब राजस्थान शामिल हैं।

यह समझने की जरूरत है कि उच्च कमान का व्यवहार कांग्रेस के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है। इसे युवा कांग्रेसियों में स्वाभाविक नेतृत्व क्षमता को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। दरअसल लोकतांत्रिक राजनीति की गतिशीलता विचारों के मुक्त आदान-प्रदान तथा सभी स्तरों पर काम करने की स्वतंत्रता पर निर्भर करती है।  अतीत पर नजर डालें तो कांग्रेस में इंदिरा गांधी का उत्थान भी तत्कालीन कांग्रेस में स्थापित पार्टी की गुटबाजी के खिलाफ उनकी लडऩे की प्रवृत्ति को जाता है। निश्चित तौर पर इतिहास सफलता की बजाय असफलताओं के मामले में अधिक शिक्षाप्रद होता है। मगर अफसोस, ऐसा कभी नहीं देखा गया कि सत्ता में बैठे लोगों ने कभी अन्य लोगों के अनुभवों अथवा इतिहास से सीखा हो। यही समय है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अपने आधारभूत मूल्यों की परवाह करना शुरू करे और सचिन पायलट जैसे पार्टी के प्रतिभाशाली युवा नेताओं को उनका सही स्थान देने के लिए कार्य करे।-हरि जयसिंह
 

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!