क्या मोदी जीतेंगे 370 सीटें?

Edited By ,Updated: 01 Mar, 2024 05:25 AM

will modi win 370 seats

नरेंद्र मोदी अगले 5 साल के लिए प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इस बात से मैं आश्वस्त हूं। मुझे इस बात पर गंभीरता से संदेह है कि क्या उनकी भविष्यवाणी सत्य होगी कि उनकी पार्टी, भाजपा लोकसभा में 370 सीटें जीतेगी और एन.डी.ए. में उनके सहयोगी दल 30 और सीटें...

नरेंद्र मोदी अगले 5 साल के लिए प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। इस बात से मैं आश्वस्त हूं। मुझे इस बात पर गंभीरता से संदेह है कि क्या उनकी भविष्यवाणी सत्य होगी कि उनकी पार्टी, भाजपा लोकसभा में 370 सीटें जीतेगी और एन.डी.ए. में उनके सहयोगी दल 30 और सीटें जीतेंगे? 

महाराष्ट्र में, जो 48 सांसदों को निचले सदन में भेजता है वहां ऐसा लगता है कि कांग्रेस, शरद पवार के नेतृत्व वाली एन.सी.पी. और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिव सेना अपने-अपने प्रभाव क्षेत्र में कुछ सीटें जीतेंगी। भाजपा ने ग्रामीण निर्वाचन क्षेत्रों में बड़ी पैठ बनाई है। अपने नए सहयोगियों के साथ, शिवसेना का शिंदे गुट और अजित पवार के नेतृत्व वाली एन.सी.पी. यह विपक्ष की तुलना में कुछ अधिक सीटें जीतेगी, लेकिन निश्चित रूप से वह आंकड़ा सही नहीं जो वह उद्धृत करता है। किसानों का नया आंदोलन मुख्य रूप से पंजाब तक ही सीमित है। 

यह एक ऐसा राज्य है जहां भाजपा बहुत कम प्रभाव रखती है। चौधरी चरण सिंह को लोकसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले भारत रत्न देना एक बहुत ही चतुराई भरा कदम था। हालांकि जो बात चतुराई से कहीं अधिक थी वह थी चंडीगढ़ नगर निगम चुनावों के परिणामों के साथ छेड़छाड़ करने का प्रयास। इसके परिणामस्वरूप सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिटॄनग ऑफिसर के खिलाफ मुकद्दमा चलाने का आदेश दिया गया। 

चंडीगढ़ के घटनाक्रम में रिटर्निंग ऑफिसर का हश्र उन सरकारी अधिकारियों के लिए एक चेतावनी के रूप में होना चाहिए जो सत्ता के प्रति अपनी वफादारी साबित करना चाहते हैं। चुनावी बांड मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने कार्पोरेट्स की सत्ता में मौजूद पार्टी की आंख मूंदकर मदद करने की इच्छा पर ग्रहण लगा दिया है। उन्हें टाटा समूह और आदित्य बिड़ला समूह द्वारा सभी राजनीतिक दलों को उचित हिसाब-किताब के साथ रेखांकित चैक के माध्यम से दान देने की प्रणाली पर वापस लौटना चाहिए। चुनावी बांड का आविष्कार होने तक यह प्रणाली निर्बाध रूप से काम कर रही थी। 

यह सत्ता में रहने वाली पार्टी के लिए स्वाभाविक है, खासकर भाजपा जैसी लहर पर सवार पार्टी के लिए। वर्तमान में भाजपा कार्पोरेट्स द्वारा दिए गए दान का बड़ा हिस्सा प्राप्त करने के लिए ऐसा कर रही है। लेकिन किसी सत्तारूढ़ दल के लिए अपने नियंत्रण वाली सरकारी एजैंसियों के माध्यम से विपक्षी दलों की फंडिंग को रोकना सामान्य बात नहीं है। लोकसभा चुनाव से 2 महीने पहले आयकर अधिकारियों द्वारा कांग्रेस पार्टी के बैंक खातों को फ्रीज करना एक बहुत ही घिनौना और घटिया तरीका था। भाजपा और उसके समर्थकों ने भी इसकी सराहना नहीं की थी। आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण ने हस्तक्षेप किया और विवेक बहाल किया। 

व्यक्तिगत रूप से महायाजक की भूमिका संभालने और अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन करने के बाद नरेंद्र मोदी काफी उत्साहित थे। यहां तक कि भारत के बहुसंख्यक ङ्क्षहदुओं के धर्म के मामले में, सामान्य रूप से शांत रहने वाले धर्म के अनुयायी भी 22 जनवरी के समारोह से जुड़े तथा वैभव से सकारात्मक रूप से प्रभावित हुए थे। इससे मोदी लोकप्रियता चार्ट में कुछ पायदान ऊपर चढ़ गए। यह गौरवशाली क्षण कुछ दिनों बाद दोहराया गया जब वह संदिग्ध जासूसी के आरोप में मौत की सजा पाए 8 पूर्व नौसेना कर्मियों के जीवन की गुहार लगाने के लिए कतर गए। हमारे प्रधानमंत्री अपने मिशन में सफल हुए, इस प्रकार मध्य पूर्व की मुस्लिम दुनिया में देश की नरम शक्ति की ताकत प्रदर्शित हुई। 

दुर्भाग्य से, चंडीगढ़ नगर पालिका में लोगों के जनादेश को बदलने की कोशिश करने और आई.टी. द्वारा कांग्रेस पार्टी के फंड में कटौती करने की तुलनात्मक रूप से क्षुद्र मानसिकता वाले कृत्यों ने मोदी द्वारा अर्जित सभी लाभों को बेअसर कर दिया है। यह पार्टी के लिए अनिवार्य है, जिसे अब हिंदी भाषी राज्यों के उत्तरी गढ़ में बहुसंख्यक समुदाय का मजबूती से समर्थन प्राप्त है, ताकि विपक्ष को नीचा दिखाने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने की अपनी प्रवृत्ति को दबाया जा सके। शिक्षित मतदाताओं ने महसूस किया है कि उनकी पसंदीदा पार्टी अपने राजनीतिक विरोधियों को अनावश्यक रूप से परेशान कर रही है और ई.डी., सी.बी.आई और आयकर जैसी केंद्रीय एजैंसियों द्वारा जांच की धमकी देकर विपक्षी दिग्गजों को लुभाने के स्पष्ट प्रयास भी कर रही है। एक बार जब वे संकट से पार हो जाते हैं तो उनके पाप क्षमा कर दिए जाते हैं। उनमें से कुछ को राज्यसभा में मंत्री या सांसद भी बनाया जाता है! 

कोई भी निश्चित नहीं हो सकता कि मार्च में किसी समय चुनाव प्रचार शुरू होने के बाद ऐसी रणनीतियां रोक दी जाएंगी या नहीं। कांग्रेस और ‘इंडिया’ गठबंधन में उनके सहयोगियों को अपने नेताओं के संभावित भाग्य का एहसास हो गया हैै। दिल्ली, हरियाणा और अन्य राज्यों में जहां हिंदी भाषा है, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच सहमति बन गई है। दक्षिण, जिसमें 5 राज्य तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक शामिल हैं, भाजपा के पास नहीं आने वाले हैं। केरल और तमिलनाडु में भाजपा द्वारा एक रिक्त स्थान भरनेे की संभावना है। कर्नाटक भाजपा की झोली में  सबसे बड़ा योगदान देगा, लेकिन इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। पूर्व में पश्चिम बंगाल में अभी भी ममता बनर्जी का गढ़ है। इसमें 42 सीटें उपलब्ध हैं। भाजपा ने बंगाल में काफी बढ़त हासिल की है लेकिन इतनी नहीं कि ममता को हटा सके, खासकर अगर वह कांग्रेस के साथ सांझेदारी में चुनाव लड़ती हैं। 

उत्तर-पूर्व में क्षेत्रीय दल अपने अस्तित्व के लिए सत्तारूढ़ दल के साथ जाते हैं। लेकिन मणिपुर में संघ परिवार की गतिविधियों के बाद नागालैंड, मिजोरम, मेघालय और मणिपुर के पहाड़ी जिलों के बैपटिस्ट ईसाई इस मुद्दे पर दूसरे विचार कर रहे हैं। केवल ओडिशा और त्रिपुरा पर ही भाजपा का सांझीदार बनने का भरोसा किया जा सकता है। वैसे भी पूर्वोत्तर में सीटों की संख्या बेहद कम है। पंजाब और हिमाचल को छोड़कर उत्तर भारत पूरी तरह से भाजपा के साथ है। लेकिन ‘इंडिया’ गठबंधन  के होश में आने से यह संभव है कि भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव के बराबर भी नंबर नहीं मिलेगा।  मोदी द्वारा उद्धृत 370 का आंकड़ा बहुत अधिक आशावादी है।-जूलियो रिबैरो(पूर्व डी.जी.पी. पंजाब व पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी)
     

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!