Edited By Supreet Kaur,Updated: 07 Dec, 2019 03:33 PM
दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल की बैलेंस शीट बाजार में उसकी पुरानी प्रतिस्पर्धी कंपनी वोडाफोन आइडिया की तुलना में बेहतर है। यदि इन दोनों कंपनियों की समीक्षा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो जाती हैं और उन्हें लाइसेंस शुल्क जैसे पुराने सांविधिक...
नई दिल्लीः दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल की बैलेंस शीट बाजार में उसकी पुरानी प्रतिस्पर्धी कंपनी वोडाफोन आइडिया की तुलना में बेहतर है। यदि इन दोनों कंपनियों की समीक्षा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो जाती हैं और उन्हें लाइसेंस शुल्क जैसे पुराने सांविधिक बकायों का पूरा भुगतान करना पड़ता है तो उस स्थिति में वोडाफोन आइडिया की कमजोरी का फायदा भारती एयरटेल को मिल सकता है।
निवेश और बिचौलिया सेवा कंपनी मॉर्गन स्टानली की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘देनदारियां काफी अधिक हैं। एयरटेल पर 4.8 अरब डॉलर तथा वोडाफोन आइडिया पार पांच अरब डॉलर का बकाया है। यदि सुप्रीम कोर्ट दोनों कंपनियों की समीक्षा याचिकाएं खारिज कर देता है तो उन्हें पूरा बकाया भुगतान करना होगा। यह एयरटेल के लिए भी नुकसादेह होगा लेकिन वोडाफोन आइडिया के लिए स्थिति अधिक गंभीर जाएगी क्योंकि 24 जनवरी 2020 से पहले इस भुगतान के लिए पैसे जुटाने में उन्हें मुश्किलें होंगी।''
रिपोर्ट में कहा गया कि यह दूरसंचार उद्योग में बाजार हिस्सेदारी पर असर डाल सकता है और भारती एयरटेल की स्थिति मजबूत हो सकती है। दोनों कंपनियों ने अलग-अलग याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट से 24 अक्टूबर के आदेश की समीक्षा की अपील की है। सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर के आदेश में कहा है कि दूरंसचार कंपनियों को तीन महीने के भीतर सालाना समायोजित समग्र राजस्व पर सांविधिक बकाए का भुगतान करना होगा। दूरसंचार कंपनियों को इसके तहत 1.47 लाख करोड़ रुपए का भुगतान करना है।