पेट्रोल डीजल के दामों को लेकर आया बड़ा अपडेट, जानें कब से होगी तेल की कीमतों में कटौती

Edited By Updated: 08 Jun, 2023 09:00 PM

big on petrol diesel prices know from when oil prices will be cut

कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी आने से पेट्रोल और डीजल पर मार्जिन बढ़ने के बावजूद इनकी खुदरा कीमतों में बदलाव तभी होगा जब सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां पिछले साल हुए घाटे की भरपाई कर लेंगी

बिजनेस डेस्कः कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में नरमी आने से पेट्रोल और डीजल पर मार्जिन बढ़ने के बावजूद इनकी खुदरा कीमतों में बदलाव तभी होगा जब सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां पिछले साल हुए घाटे की भरपाई कर लेंगी। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। सार्वजनिक क्षेत्र की तीनों पेट्रोलियम कंपनियों ने पेट्रोल, डीजल की कीमतों में दैनिक बदलाव करने पर पिछले साल से ही रोक लगाई हुई है। उन्होंने अपनी लागत के अनुरूप कीमतों में संशोधन भी नहीं किया है।

दरअसल ये कंपनियां कच्चे तेल की कीमतें खुदरा बिक्री कीमतों से ज्यादा होने पर पिछले साल हुए भारी घाटे की भरपाई अब लागत घटने पर कर रही हैं। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) देश में पेट्रोल, डीजल की खुदरा बिक्री करती हैं।

अधिकारियों ने कहा कि तीनों कंपनियों ने वित्त वर्ष 2022-23 की तीसरी तिमाही से ही पेट्रोल पर सकारात्मक मार्जिन कमाया है लेकिन डीजल बिक्री पर उन्हें उस समय भी घाटा हो रहा था। हालांकि पिछले महीने डीजल पर भी पेट्रोलियम कंपनियों का मार्जिन 50 पैसे प्रति लीटर के लाभ के साथ सकारात्मक हो गया। लेकिन पिछले साल हुए भारी घाटे की भरपाई के लिए यह पर्याप्त नहीं है।

कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद मार्च, 2022 में 139 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थीं। हालांकि अब ये कीमतें 75-76 डॉलर तक आ चुकी हैं। कच्चे तेल के दाम ऊंचे स्तर पर होने की स्थिति में तेल कंपनियों को पेट्रोल पर 17.4 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 27.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा हुआ। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में कीमतें कुछ नरम होने पर तेल कंपनियों ने पेट्रोल पर 10 रुपये प्रति लीटर का मार्जिन कमाया लेकिन डीजल पर उन्हें 6.5 रुपये प्रति लीटर का घाटा हुआ था।

इसके बाद जनवरी-मार्च 2023 की तिमाही में पेट्रोल पर उनका मार्जिन कम होकर 6.8 रुपये प्रति लीटर हो गया। लेकिन उन्हें डीजल पर मार्जिन 0.5 रुपये प्रति लीटर का सकारात्मक हुआ। अधिकारियों ने कहा कि पिछले घाटों की भरपाई करने के अलावा सार्वजनिक तेल कंपनियां इस पहलू पर भी नजर रखे हुए हैं कि कच्चे तेल की कम कीमतें लंबे समय तक कायम रहेंगी या नहीं। एक अधिकारी ने कहा, "मुझे लगता है कि तेल कंपनियां कम-से-कम एक और तिमाही तक कच्चे तेल की कीमतों पर नजर रखने के बाद ही पेट्रोल, डीजल की खुदरा कीमतों में संशोधन पर कोई फैसला करेंगी।"

 

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