Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Oct, 2025 12:46 PM

सूचीबद्ध कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 में कर्मचारियों को कुल 14,900 करोड़ रुपए के कर्मचारी स्टॉक विकल्प (ESOP) दिए, जो पिछले साल 11,461 करोड़ रुपए थे। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में इम्प्लॉयी...
बिजनेस डेस्कः सूचीबद्ध कंपनियों ने वित्त वर्ष 2025 में कर्मचारियों को कुल 14,900 करोड़ रुपए के कर्मचारी स्टॉक विकल्प (ESOP) दिए, जो पिछले साल 11,461 करोड़ रुपए थे। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में इम्प्लॉयी स्टॉक विकल्प योजना (ईसॉप) के तहत खर्च की गई कुल राशि 30 फीसदी बढ़ी है जबकि इससे पिछले साल इसमें 19 फीसदी की वृद्धि हुई थी। ईसॉप के माध्यम से कंपनियां अपने कर्मचारियों को कंपनी में हिस्सेदारी देकर उन्हें बनाए रखती हैं और मुआवजा देती हैं।
इस दौरान गैर-वित्तीय कंपनियों ने ईसॉप पर 9,326 करोड़ रुपए खर्च किए, जबकि वित्तीय कंपनियों ने 5,573 करोड़ रुपए का भुगतान किया। सितंबर 2025 में सेबी ने ईसॉप मानदंडों में ढील दी थी, जिससे स्टार्टअप संस्थापकों को अपनी कंपनियों को सूचीबद्ध करने से एक साल पहले अवंटित ईसॉप बनाए रखने की अनुमति मिली।
विशेषज्ञों के अनुसार, पहले ईसॉप केवल शीर्ष प्रबंधन को दिए जाते थे लेकिन अब यह मध्य स्तर के कर्मचारियों तक भी पहुंच गए हैं। स्टार्टअप कंपनियों ने ईसॉप का व्यापक इस्तेमाल किया, जबकि पारंपरिक कंपनियां भी अब इस माध्यम का इस्तेमाल बढ़ा रही हैं। इस दिशा में स्विगी, इटर्नल (जोमैटो), महिंद्रा एंड महिंद्रा, विप्रो और एचडीएफसी बैंक जैसी कंपनियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विश्लेषकों का कहना है कि कई मामलों में ईसॉप का रूपांतरण मूल्य बाजार मूल्य से कम होता है, जिससे व्यय आंकड़ा बढ़ सकता है। पहले यह प्रथा केवल IT और बैंकिंग सेक्टर तक सीमित थी लेकिन अब सभी प्रमुख उद्योगों में ईसॉप का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है।