पुरानी पेंशन योजना को लेकर बड़ी खबर, वित्त मंत्री ने संसद में दिया बयान

Edited By Updated: 12 Aug, 2025 12:50 PM

government s clear stand on restoration of old pension scheme

सरकार ने सोमवार को संसद में स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत आने वाले केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में लिखित उत्तर...

बिजनेस डेस्कः सरकार ने सोमवार को संसद में स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत आने वाले केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (OPS) बहाल करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में लिखित उत्तर में कहा कि OPS से दूरी बनाने का कारण सरकारी खजाने पर अत्यधिक राजकोषीय बोझ था। NPS, एक अंशदान-आधारित योजना है, जिसे 1 जनवरी 2004 या उसके बाद सेवा में शामिल होने वाले केंद्र सरकार के कर्मचारियों (सशस्त्र बलों को छोड़कर) के लिए शुरू किया गया था।

UPS को NPS में एक विकल्प के रूप में पेश किया गया

पेंशन लाभों में सुधार के उद्देश्य से सरकार ने तत्कालीन वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। हितधारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद समिति ने एकीकृत पेंशन योजना (UPS) का सुझाव दिया, जिसे 24 जनवरी 2025 को अधिसूचना के माध्यम से NPS में एक विकल्प के रूप में शामिल किया गया। UPS का उद्देश्य NPS के दायरे में आने वाले कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित लाभ प्रदान करना है, साथ ही कोष की वित्तीय स्थिरता बनाए रखना है।

UPS की मुख्य विशेषताएं

UPS का डिज़ाइन इस तरह से किया गया है कि इसमें परिवार की परिभाषा भी शामिल है और भुगतान सुनिश्चित रहते हुए कोष स्थिर बना रहे। NPS के तहत UPS का विकल्प चुनने वाले कर्मचारी सेवा के दौरान मृत्यु या दिव्यांगता के आधार पर सेवा मुक्त होने की स्थिति में CCS (पेंशन) नियम, 2021 या CCS (असाधारण पेंशन) नियम, 2023 के तहत लाभ पाने के भी पात्र होंगे।

घरेलू वित्तीय स्थिति पर अपडेट

वित्त मंत्री ने बताया कि मार्च 2020 से मार्च 2024 के बीच घरेलू वित्तीय देनदारियों में लगभग 5.5 प्रतिशत अंकों की और घरेलू वित्तीय परिसंपत्तियों में 20.7 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई है। एनएसओ के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, शुद्ध घरेलू वित्तीय बचत 2022-23 में 13.3 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 2023-24 में 15.5 लाख करोड़ रुपए हो गई है। उन्होंने कहा कि यह भारतीय बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता के लिए कोई प्रणालीगत चिंता का विषय नहीं है।

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