5 साल नहीं, अब सिर्फ 1 साल में मिलेगी ग्रेच्युटी, सरकार ने लेबर नियमों में किया बदलाव

Edited By Updated: 22 Nov, 2025 03:57 PM

gratuity will now be available in just one year not five years

सरकार ने श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है, जिसके लागू होने के बाद सिर्फ एक साल नौकरी करने वाले कर्मचारियों को भी ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। फिलहाल यह सुविधा केवल उन लोगों को मिलती है जो कम से कम 5 साल तक एक ही कंपनी में लगातार काम...

बिजनेस डेस्कः सरकार ने श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है, जिसके लागू होने के बाद सिर्फ एक साल नौकरी करने वाले कर्मचारियों को भी ग्रेच्युटी का लाभ मिलेगा। फिलहाल यह सुविधा केवल उन लोगों को मिलती है जो कम से कम 5 साल तक एक ही कंपनी में लगातार काम करते हैं लेकिन अब नए लेबर कानूनों के तहत फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों के लिए यह समय घटाकर सिर्फ 1 साल कर दिया गया है। केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने पुष्टि की कि नया प्रावधान जल्द लागू किया जाएगा और इससे प्राइवेट सेक्टर के कॉन्ट्रैक्ट व फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों को भी बड़ा फायदा मिलेगा।

क्या होती है ग्रैच्युटी?

ग्रेच्युटी कर्मचारियों को कंपनी में लंबे समय तक सेवा देने पर एक तरह से इनाम के रूप में दी जाती है। यह कानून 1972 से लागू है लेकिन इसका कैलकुलेशन फिलहाल 5 साल की सर्विस पर आधारित है। सरकार ने संकेत दिया है कि एक साल में ग्रेच्युटी देने की प्रक्रिया और नया तरीका भी जल्द बताया जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि कानून में पहले से ही यह प्रावधान मौजूद है कि यदि किसी कर्मचारी की नौकरी के दौरान एक साल के भीतर मृत्यु हो जाती है या वह दिव्यांग हो जाता है, तो उसके परिवार को ग्रेच्युटी मिलती है।

ग्रेच्युटी उन्हीं संस्थानों में दी जाती है, जहां कम से कम 10 कर्मचारी काम करते हैं। सर्विस अवधि में ट्रेनिंग टाइम शामिल नहीं किया जाता। नए नियम लागू होने के बाद कर्मचारियों को ग्रेच्युटी पाने के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। सिर्फ एक साल की नौकरी के बाद भी वे इसके हकदार हो जाएंगे। हालांकि एक साल के आधार पर ग्रेच्युटी कैलकुलेशन का फॉर्मूला कैसा होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन अनुमान है कि मौजूदा फॉर्मूले में जरूरी बदलाव कर इसे लागू किया जाएगा।

कितनी मिलेगी ग्रैच्युटी?

वर्तमान फॉर्मूले के अनुसार ग्रेच्युटी अंतिम मासिक वेतन (बेसिक + डीए) को 15 से गुणा करने के बाद कुल सर्विस अवधि से गुणा करके और 26 से भाग देकर निकाली जाती है। जैसे किसी कर्मचारी की आखिरी सैलरी 1 लाख रुपये और सर्विस 5 साल है, तो उसकी ग्रेच्युटी करीब 2.88 लाख रुपये बनती है।

यद्यपि कानून में 5 साल की शर्त लिखी है, लेकिन व्यवहार में 4 साल 240 दिन (6 दिन काम वाली कंपनियों में) या 4 साल 190 दिन (5 दिन काम वाली कंपनियों में) काम करने वाले कर्मचारियों को भी ग्रेच्युटी का अधिकार मिल जाता है। इससे कम सर्विस अवधि पर लाभ नहीं मिलता।

इंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020 में पहले ही तय हो चुका है कि फिक्स्ड-टर्म कर्मचारी यदि एक साल या उससे अधिक काम करते हैं, तो उन्हें अनुपातिक ग्रेच्युटी मिलनी चाहिए। अब सरकार इसी प्रावधान को नए श्रम कानून में पूरी तरह लागू करने जा रही है। उम्मीद है कि यह बदलाव जल्द सामने आएगा और इससे लाखों नौकरीपेशा लोगों को मजबूत आर्थिक सुरक्षा मिलेगी।
 

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