पैकटबंद, लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर GST लगाने से व्यापारियों की परेशानी बढ़ेगी: कैट

Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jul, 2022 04:26 PM

imposition of gst on packaged labeled food items will increase

पैक किए गए और लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर पांच प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने से खाद्यान्न व्यापारियों को नुकसान होगा, अनुपालन का बोझ बढ़ेगा और रोजमर्रा के इस्तेमाल का जरूरी सामान महंगा होगा। व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया...

नई दिल्लीः पैक किए गए और लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर पांच प्रतिशत माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने से खाद्यान्न व्यापारियों को नुकसान होगा, अनुपालन का बोझ बढ़ेगा और रोजमर्रा के इस्तेमाल का जरूरी सामान महंगा होगा। व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सोमवार को यह बात की। 

कैट ने यह भी कहा कि संगठन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों से मिलकर इस फैसले पर फिर से विचार करने को कहेगा। जीएसटी परिषद ने पिछले दिनों अपनी बैठक में डिब्बा या पैकेट बंद और लेबल युक्त (फ्रोजन को छोड़कर) मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगाने का फैसला किया था। कर दर में बदलाव 18 जुलाई से प्रभाव में आएंगे। 

कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि पैक किए अथवा लेबल लगाए गए सभी प्रकार के खाद्य पदार्थों एवं कुछ अन्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश पर देश के खाद्यान्न व्यापारियों में बेहद रोष एवं आक्रोश है। व्यापारी संगठन ने इस कदम को छोटे विनिर्माताओं एवं व्यापारियों के हितों के खिलाफ करार दिया गया और कहा कि इस फैसले से ब्रांडेड सामान को फायदा पहुंचेगा। 

खंडेलवाल ने कहा कि इस मुद्दे पर देश के सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को ज्ञापन देकर इस फैसले को वापिस लेने की मांग की जाएगी। इस मौके पर मौजूद दिल्ली खाद्यान्न व्यापार संघ के अध्यक्ष नरेश गुप्ता और दाल मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप जिंदल ने बताया कि इस संबंध में देशभर के अनाज व्यापार संगठनों से लगातार संपर्क किया जा रहा है और सभी संगठन इस निर्णय से बेहद नाराज हैं। 

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