Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Dec, 2025 12:57 PM

Tomato Prices देशभर में टमाटर की कीमतें एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह सर्दियों का जल्दी आना है, जिससे टमाटर की मांग बढ़ी है। वहीं अक्टूबर में हुई भारी बारिश ने कई राज्यों में फसलों को नुकसान...
बिजनेस डेस्कः Tomato Prices देशभर में टमाटर की कीमतें एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बढ़ोतरी की सबसे बड़ी वजह सर्दियों का जल्दी आना है, जिससे टमाटर की मांग बढ़ी है। वहीं अक्टूबर में हुई भारी बारिश ने कई राज्यों में फसलों को नुकसान पहुंचाया, जिससे आपूर्ति कम हो गई। उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार, सोमवार को टमाटर का औसत खुदरा भाव महीनेभर पहले की तुलना में 26% बढ़कर 48.23 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया।
आज़ादपुर मंडी के टमाटर एसोसिएशन से जुड़े व्यापारी अशोक कौशिक ने बताया कि तीन हफ्तों में थोक कीमतें 40–45 रुपए से गिरकर 28–30 रुपए प्रति किलो पर आ गई हैं। हालांकि रिटेल मार्केट में अभी भी बढ़ोतरी जारी है। प्रमुख शहरों में प्रीमियम क्वालिटी का टमाटर 60–70 रुपए प्रति किलो बिक रहा है।
कौशिक के अनुसार, “अभी कुछ हफ्तों तक कीमतें ऊंचे स्तर पर बनी रहेंगी। ठंड में मांग मजबूत है जबकि उत्पादन सीमित है।”
पिछले साल के मुकाबले अभी भी कीमतें कम
दिलचस्प बात यह है कि मौजूदा खुदरा कीमतें पिछले साल से करीब 4% कम हैं। मई 2025 से टमाटर की कीमतें लगातार नकारात्मक वार्षिक वृद्धि दर में रहीं। अक्टूबर में तो कीमतें साल-दर-साल 54% तक नीचे गई थीं, क्योंकि उस समय आपूर्ति ज्यादा थी।
अत्यधिक बारिश से उत्पादन पर असर
अक्टूबर में कई राज्यों में समय से अधिक हुई बारिश का सीधा प्रभाव टमाटर की फसल पर पड़ा। दो हफ्ते पहले आंध्र प्रदेश के मदनपल्ले बाजार—जो एशिया के सबसे बड़े टमाटर व्यापार केंद्रों में से एक है—में थोक कीमतें 40 रुपए से बढ़कर 61 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गईं। इसका कारण बारिश से हुआ नुकसान, कम आवक और परिवहन लागत में बढ़ोतरी रहा।
व्यापारियों के मुताबिक, पिछले एक महीने से लगातार महंगाई का रुझान बना हुआ है और आने वाले महीनों में भी मांग बढ़ने के कारण कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है।
उत्पादन में कमी
2024–25 के फसल वर्ष में टमाटर उत्पादन 19.46 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो 2023–24 के 21.32 मिलियन टन से काफी कम है। भारत में करीब 18 राज्य टमाटर उत्पादन में योगदान देते हैं, जिनमें मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और तेलंगाना प्रमुख हैं। डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के अनुसार, टमाटर की कीमतों में मौसमी उतार-चढ़ाव का कारण देशभर में बुवाई और कटाई के अलग-अलग चक्र हैं। जून–अगस्त और अक्टूबर–नवंबर को आमतौर पर कम उत्पादन वाले महीने माना जाता है, जिसमें कीमतें बढ़ जाती हैं।
प्याज-आलू की कीमतों में भी बदलाव
- प्याज की खुदरा कीमतें पिछले महीने की तुलना में थोड़ी घटकर 26.38 रुपए प्रति किलो हुई हैं, क्योंकि उत्पादन ज्यादा है।
- आलू की कीमतें 3% बढ़कर 26.17 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई हैं।
- हालांकि साल-दर-साल आधार पर प्याज 49% और आलू 29% सस्ते हैं।