₹1 लाख करोड़ से ₹80 लाख करोड़ तक, Indian Mutual Fund इंडस्ट्री की ऐतिहासिक छलांग

Edited By Updated: 15 Dec, 2025 11:14 AM

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भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने बीते 25 सालों में निवेश की दुनिया की तस्वीर ही बदल दी है। साल 2000 में करीब ₹1 लाख करोड़ के सीमित दायरे में सिमटी यह इंडस्ट्री 2025 तक बढ़कर ₹80 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। कभी UTI के वर्चस्व वाला यह...

बिजनेस डेस्कः भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने बीते 25 सालों में निवेश की दुनिया की तस्वीर ही बदल दी है। साल 2000 में करीब ₹1 लाख करोड़ के सीमित दायरे में सिमटी यह इंडस्ट्री 2025 तक बढ़कर ₹80 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। कभी UTI के वर्चस्व वाला यह बाजार आज SIP और करोड़ों आम निवेशकों की भागीदारी से संचालित हो रहा है, जिसने म्यूचुअल फंड को भारत की सबसे बड़ी वित्तीय सफलता की कहानी बना दिया है।

एक दौर था जब शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड को जोखिम भरा माना जाता था लेकिन आज यह हर मध्यमवर्गीय परिवार की वित्तीय योजना का अहम हिस्सा बन चुका है।

ताजा आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) के मामले में नया रिकॉर्ड कायम किया है। नवंबर 2025 तक इंडस्ट्री का AUM बढ़कर ₹80.80 ट्रिलियन (करीब ₹80.80 लाख करोड़) पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि महज पांच साल पहले, यानी 2020 में यह आंकड़ा करीब ₹30 लाख करोड़ था।

25 साल में कई गुना बढ़ी निवेशकों की पूंजी

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की रफ्तार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2000 में कुल AUM सिर्फ ₹1,03,452 करोड़ था। उस समय यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (UTI) का दबदबा था, जिसकी हिस्सेदारी करीब 66% यानी लगभग ₹68,524 करोड़ थी।

वहीं 2020 से 2025 के बीच यानी सिर्फ पांच सालों में इंडस्ट्री ने लगभग तीन गुना छलांग लगाई। कोरोना काल के बाद बाजारों में आई मजबूती और निवेशकों के बढ़ते भरोसे ने म्यूचुअल फंड सेक्टर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। इससे साफ है कि भारतीय पूंजी बाजार अब पहले से कहीं ज्यादा गहरा, मजबूत और परिपक्व हो चुका है।

SIP बना करोड़ों निवेशकों की पहली पसंद

इस ऐतिहासिक वृद्धि के पीछे सबसे बड़ा योगदान आम भारतीय निवेशक और सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) का रहा है। निवेश अब सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे शहरों और कस्बों से भी बड़ी संख्या में निवेशक बाजार से जुड़ रहे हैं।

निवेशकों के खातों यानी फोलियो की संख्या इस बदलाव की सबसे बड़ी गवाही देती है। मई 2021 में म्यूचुअल फंड फोलियो की संख्या करीब 10 करोड़ थी, जो नवंबर 2025 तक बढ़कर 25.86 करोड़ हो गई है। इनमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी इक्विटी और हाइब्रिड योजनाओं की है, जो बताती है कि निवेशक अब लंबी अवधि के लिए इक्विटी में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं। SIP ने निवेश को एक आदत में बदल दिया है, जिससे हर महीने बाजार में स्थिर निवेश आ रहा है और बाजार को मजबूती मिल रही है।

निवेशकों का भरोसा क्यों बढ़ा?

म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की इस तेज ग्रोथ के पीछे कई मजबूत कारण हैं। डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिए निवेश प्रक्रिया आसान होने से वित्तीय समावेशन बढ़ा है। अब गांव और छोटे शहरों के निवेशक भी बिना किसी बाधा के बाजार से जुड़ पा रहे हैं।

इसके अलावा, भारतीय शेयर बाजारों का लंबी अवधि में मजबूत प्रदर्शन निवेशकों के आत्मविश्वास को बढ़ा रहा है। निवेशक अब बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराने के बजाय अपने दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कुल मिलाकर, पिछले 25 सालों में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री भारतीय निवेशकों की भरोसेमंद साथी बनकर उभरी है और आने वाले वर्षों में इसके और मजबूत होने की उम्मीद जताई जा रही है।
 

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