Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Aug, 2025 11:00 AM

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 3,000 करोड़ रुपए के कथित लोन फ्रॉड मामले में कारोबारी अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है। इसके तहत अब वे जांच अधिकारी की अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ सकते। अगर वे विदेश यात्रा की कोशिश करते हैं, तो...
बिजनेस डेस्कः प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 3,000 करोड़ रुपए के कथित लोन फ्रॉड मामले में कारोबारी अनिल अंबानी के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (LOC) जारी किया है। इसके तहत अब वे जांच अधिकारी की अनुमति के बिना भारत नहीं छोड़ सकते। अगर वे विदेश यात्रा की कोशिश करते हैं, तो उन्हें हवाई अड्डों या बंदरगाहों पर रोका जा सकता है।
5 अगस्त को ED के सामने पेशी का समन
ED ने अंबानी को 5 अगस्त 2025 को पूछताछ के लिए तलब किया है। यह मामला रिलायंस ग्रुप की कंपनियों द्वारा कथित बैंक लोन की गड़बड़ियों और धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) से जुड़ा है। एजेंसी उनके बयान को PMLA (Prevention of Money Laundering Act) के तहत दर्ज करेगी।
50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों पर छापेमारी
ED की यह कार्रवाई 24 जुलाई से तीन दिन तक चली जांच के बाद सामने आई है, जिसमें 35 ठिकानों पर छापे मारे गए। जांच में सामने आया कि रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (R Infra) ने इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट्स के माध्यम से फंड्स को अपनी अन्य कंपनियों को गैरकानूनी रूप से डायवर्ट किया।
सेबी की रिपोर्ट में पाया गया कि R Infra ने CLE नामक कंपनी को ‘रिलेटेड पार्टी’ के रूप में घोषित नहीं किया, जिससे जरूरी शेयरधारक और ऑडिट मंजूरी भी नहीं ली गई।
येस बैंक लोन और रिश्वत के आरोप
ED यह भी जांच कर रही है कि 2017 से 2019 के बीच येस बैंक ने किस तरह समूह की कंपनियों को 3,000 करोड़ रुपए के कथित गैरकानूनी लोन दिए। आरोप है कि लोन स्वीकृति से पहले येस बैंक के प्रमोटर्स को धन हस्तांतरित किया गया, जिसे रिश्वत की श्रेणी में माना जा रहा है। बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए कई लोन बिना उचित दस्तावेज और जोखिम मूल्यांकन के दिए गए।
SBI ने RCom को 'फ्रॉड' श्रेणी में डाला
सरकारी बयान के अनुसार, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCOM) और अनिल अंबानी को "फ्रॉड" श्रेणी में डाल दिया है। मामले की जांच के लिए CBI को शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है।
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का पक्ष
रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर ने सफाई देते हुए कहा है कि अनिल अंबानी मार्च 2022 से बोर्ड का हिस्सा नहीं हैं। कंपनी ने यह मामला फरवरी 2025 में पहले ही सार्वजनिक किया था और बताया कि इससे कंपनी को लगभग 6,500 करोड़ रुपए का वित्तीय जोखिम है, जो मीडिया में बताई गई 10,000 करोड़ की राशि से कम है।
कई एजेंसियों की जांच जारी
इस मामले में CBI की दो FIR, साथ ही सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, NFRA और बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्टों को भी ED ने जांच में शामिल किया है।