‘आत्मनिर्भर भारत’ को लेकर राजन ने चेताया, कहा- दूसरे देशों के सामान पर भारी टैक्स लगाना ठीक नहींं

Edited By Updated: 22 Oct, 2020 11:57 AM

raghuram rajan warned the modi government about self reliant india

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देने को लेकर सावधान किया। उन्होंने कहा कि देश में इससे पहले भी इस तरह की कोशिशें की जा चुकी हैं, लेकिन यह सफल नहीं हो पाईं।

मुंबई: रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने बुधवार को सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के तहत आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देने को लेकर सावधान किया। उन्होंने कहा कि देश में इससे पहले भी इस तरह की कोशिशें की जा चुकी हैं, लेकिन यह सफल नहीं हो पाईं। पूर्व गर्वनर ने कहा कि, 'अगर इसमें (आत्मनिर्भर भारत पहल) इस बात पर जोर है कि शुल्कों को लगाकर आयात का प्रतिस्थापन तैयार किया जाएगा तो मेरा मानना है कि यह वह रास्ता है जिसे हम पहले भी अपना चुके हैं और यह असफल रहा है। मैं इस रास्ते पर आगे बढ़ने को लेकर अलर्ट करना चाहूंगा।'

पूर्व गर्वनर राजन भारतीय विद्या भवन के एसपी जैन इंस्टिट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च (एसपी जेआईएमआर) के सेंटर फार फाइनेंसियल स्टडीज द्वारा आयोजित वेबिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश के निर्यातकों को अपने निर्यात को सस्ता रखने के लिये आयात करने की जरूरत होती है ताकि उस आयातित माल का इस्तेमाल निर्यात में किया जा सके।

चीन एक निर्यात ताकत के तौर पर उभरा
वेबिनार को संबोधित करते हुए आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने चीन का उदाहरण दिया। उन्होंने साफ किया कि चीन एक निर्यात ताकत के तौर पर ऐसे ही उभरा है। वह बाहर से विभिन्न सामानों को आयात करता है उनकी एसेम्बली करता है और फिर आगे निर्यात करता है। ‘निर्यात के लिये आपको आयात करना होगा। ऊंचा शुल्क मत लगाइये बल्कि भारत में उत्पादन के लिये बेहतर परिवेश तैयार कीजिये।

लक्षित खर्च दीर्घकाल में फलदायी
राजन ने कहा कि सरकार द्वारा लक्षित खर्च दीर्घकाल में फलदायी हो सकता है। ‘मेरा मानना है कि समूचे खर्च पर नजर रखनी चाहिये और सावधान रहना चाहिये। यह खुली चेक बुक जारी करने का समय नहीं है। लेकिन ऐसे में किसी लक्ष्य को लेकर किया जाने वाला खर्च यदि बुद्धिमानी और सावधानी के साथ किया जाता है तो यह आपको बेहतर नतीजे दे सकता है।’

सभी पक्षों की सहमति की जरूरत
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने कहा कि वास्तविक समस्या की पहचान कर सुधारों को आगे बढ़ाना सही है लेकिन इस प्रक्रिया में सभी पक्षों की सहमति की जरूरत है। ‘लोगों, आलोचकों, विपक्षी दलों के पास कुछ बेहतर सुझाव हो सकते हैं आप यदि उनमें अधिक सहमति बनायेंगे तो आपके सुधार अधिक प्रभावी ढंग से लागू हो सकेंगे। मैं यह नहीं कर रहा हूं कि मुद्दों पर लंबे समय तक चर्चा होते रहनी चाहिये। लेकिन लोकतंत्र में यह महतवपूर्ण है कि आम सहमति बनाई जाये।’

बड़ी रुकावट भूमि अधिग्रहण की
राजन ने कहा कि ढांचागत सुविधाओं के विकास में एक सबसे बड़ी रुकावट भूमि अधिग्रहण की है, इसमें कुछ तकनीकी बदलावों की आवश्यकता है। भूमि का बेहतर रिकार्ड और स्पष्ट स्वामित्व होना चाहिये। ‘‘कुछ राज्यों ने इस दिशा में पहल की लेकिन हमें पूरे देश में यह करने की जरूरत है।’’

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