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सेबी ने संदिग्ध मुखौटा कंपनियों से फारेंसिक आडिट में सहयोग करने को कहा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Oct, 2018 05:56 PM

sebi asks suspected shell cos to cooperate in forensic audits

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एक दर्जन से ज्यादा संदिग्ध मुखौटा कंपनियों से तय समयसीमा के भीतर खातों का फारेंसिक आडिट कराने में सहयोग देने के लिए कहा है।

नई दिल्लीः पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एक दर्जन से ज्यादा संदिग्ध मुखौटा कंपनियों से तय समयसीमा के भीतर खातों का फारेंसिक आडिट कराने में सहयोग देने के लिए कहा है। नियामक ने कहा है कि यदि ऐसा नहीं होता है तो इन कंपनियों के खिलाफ सख्त कारोबारी प्रतिबंध लगाये जा सकते हैं।

बंबई शेयर बाजार (बीएसई) की वेबसाइट पर सोमवार को जारी किए गए सर्कुलर में सेबी ने कम से कम 13 कंपनियों को सलाह दी है कि वह आडिट कंपनियों के साथ सहयोग करें ताकि फारेंसिक आडिट को तय समय सीमा के भीतर पूरा किया जा सके। इन कंपनियों में आधार वेंचर्स इंडिया, अल्का इंडिया, एलाइड कंप्यूटर्स इंटरनेशनल (एशिया) लिमिटेड, ब्ल्यू सर्कल सर्विसज, डेसिलियोन फाइनेंस, आईकेएफ टैक्नालाजीज, प्रभाव इंडस्ट्रीज, एस टी सर्विसज, सिंगुइने मीडिया, सिंटिल्ला कर्मिशयल एण्ड क्रेडिट, सिल्वर पांइट इंफ्राटेक, प्रीमियत कैपिटल मार्किअ एण्ड इन्वेस्टमेंट्स और विनी कर्मिशयल एण्ड फिसकल सर्विसज शामिल हैं।

कंपनियों का फारेंसिक आडिट स्वतंत्र लेखापरीक्षकों द्वारा किया जा रहा है। उनकी नियुक्ति सेबी के निर्देश पर शेयर बाजारों ने की है। इन कंपनियों की साख और उनकी वास्तविकता के सत्यापन के लिए कंपनियों के स्वतंत्र निदेशकों को उनका फारेंसिक आडिट कराने का अधिकार है।

मुखौटा कंपनियां मुख्यत: ऐसी कंपनियां हैं जिनका इस्तेमाल काले अवैध धन को सफेद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि कंपनी कानून के तहत ‘मुखौटा कंपनी’ जैसा कोई शब्द शामिल नहीं किया गया है। नियामक ने कहा है कि यदि कोई कंपनी सहयोग नहीं करती है तो उसके खलाफ कठोर कारवाई की शुरू की जाएगी। 

सेबी के मुताबिक इन कंपनियों को आडिट फर्मों को जरूरी दस्तावेज और जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कई मौके दिए जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद ये कंपनियां एक्सचेंज का अनुपालन करने में नाकाम रहीं हैं। सेबी के मुताबिक यदि ये कंपनियां दस दिन के भीतर आडिट कंपनियों को जरूरी जानकारी उपलब्ध नहीं कराती हैं और लगातार असहयोग जारी रखती हैं तो उसके बाद इन कंपनियों की प्रतिभूतियों को ‘छठे स्तर’ पर वापस ला दिया जाएगा जिसमें ग्रेडेड निगरानी उपाय शुरू हो जाएंगे। इन निगरानी उपायों के तहत कंपनी की प्रतिभूतियों में कारोबार पर माह में एक बार अतिरिक्त जमा के साथ प्रतिबंध लगाया जाता है।       

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