Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Jul, 2025 05:38 PM
बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के सी वार्ष्णेय ने सोमवार को कहा कि ‘जुर्माना' शब्द के साथ जुड़े ‘बदनामी' के अहसास को देखते हुए सेबी गलत काम करने वाले ब्रोकर के खिलाफ कार्रवाई की स्थिति में इसका इस्तेमाल न करने पर विचार कर रहा है। वार्ष्णेय ने...
मुंबईः बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के सी वार्ष्णेय ने सोमवार को कहा कि ‘जुर्माना' शब्द के साथ जुड़े ‘बदनामी' के अहसास को देखते हुए सेबी गलत काम करने वाले ब्रोकर के खिलाफ कार्रवाई की स्थिति में इसका इस्तेमाल न करने पर विचार कर रहा है। वार्ष्णेय ने निवेशक ऐप में इलेक्ट्रॉनिक मतदान प्रणाली पर प्रॉक्सी सलाहकार सुविधा की पेशकश के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) जुर्माने को तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया में भी है।
उन्होंने कहा, ‘‘आप जानते हैं कि इनमें से कई जुर्माना असल में दंड नहीं हैं और जब इसे लगाया जाता है तो यह अनावश्यक रूप से ब्रोकर बदनाम हो जाता है। क्या हमारे पास इससे बेहतर नाम हो सकता है?'' उन्होंने कहा कि उद्योग मानक मंच (आईएसएफ) ने पिछले पांच महीनों में ब्रोकिंग उद्योग से जुड़े मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया है, जिसका उद्देश्य कारोबारी सुगमता के उपाय करना है। वार्ष्णेय ने कहा कि पिछले शनिवार को राष्ट्रीय राजधानी में ब्रोकर, एनएसई और सेबी अधिकारियों के बीच हुई बैठक में कुछ विवादित मुद्दों पर आम सहमति बनी है और जल्द ही इसकी घोषणा की जाएगी।
उन्होंने कहा, ‘‘हममें से हर कोई संतुष्ट है कि अब हम आगे बढ़ सकते हैं और कम-से-कम इसे तर्कसंगत बनाने का पहला चरण बहुत जल्द पूरा हो जाना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि जुर्माने के नामकरण में बदलाव और उन्हें युक्तिसंगत बनाने के अलावा सेबी जुर्माना लगाने के लिए एक एक्सचेंज को नोडल प्राधिकरण बनाने पर भी विचार कर रहा है। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य ने कहा कि एक ऐसी प्रणाली शुरू करने की भी योजना है, जिसमें ब्रोकर अपना डेटा एक ही पोर्टल पर साझा करेंगे।
उन्होंने कहा कि एक ऐसा पोर्टल बनाने पर भी विचार किया जा रहा है, जहां ब्रोकर पंजीकरण के बाद कुछ मंजूरी के लिए आवेदन कर सकें। उन्होंने कहा कि नियामक ब्रोकिंग उद्योग के लिए कारोबारी सुगमता के अन्य पहलुओं पर भी वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा कर रहा है। वार्ष्णेय ने सीडीएसएल और एनएसडीएल दोनों पर शुरू की जा रही नई सुविधा का स्वागत करते हुए कहा कि निवेशक अब प्रॉक्सी सलाहकार कंपनियों की हर राय को पढ़ने और उसके हिसाब से मत देने का विकल्प चुन सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह कॉरपोरेट क्षेत्र के प्रशासन के लिए एक बड़ा कदम है। वार्ष्णेय ने कहा कि सेबी के चेयरमैन तुहिन कांत पांडेय ने मार्च में पदभार संभालने के बाद कर्मचारियों को अनुकूलतम नियमन सुनिश्चित करने की सलाह दी थी।