राशन कार्ड जारी करने में देरी पड़ी महंगी, सेवा का अधिकार आयोग ने लगाया जुर्माना

Edited By Updated: 16 May, 2022 06:49 PM

comment was also sought from the department in related matters

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग की ओर से अधिसूचित सेवाओं का निर्धारित समय-सीमा के भीतर निïष्पादन सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे अपने प्रयासों के तहत पहली जुलाई, 2020 से 30 जून, 2021 की अवधि के दौरान राशन कार्ड जारी करने के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं...

चंडीगढ़,(बंसल): हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग की ओर से अधिसूचित सेवाओं का निर्धारित समय-सीमा के भीतर निïष्पादन सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे अपने प्रयासों के तहत पहली जुलाई, 2020 से 30 जून, 2021 की अवधि के दौरान राशन कार्ड जारी करने के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग से संबंधित मामलों में हुई देरी के संबंध में प्राप्त जवाब पर कार्रवाई करते हुए एक मामले में आयोग ने सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए मात्र 10,000 रुपए का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया जबकि 31 मामलों में हुई देरी के लिए 20,000 रुपए प्रति मामले की दर से 6.20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता था। इसके अतिरिक्त, आयोग ने कुछ अन्य मामलों में जुर्माना लगाने के आदेश जारी करने का निर्णय लेने और तकनीकी कारणों से हुई देरी से संबंधित मामलों में विभाग को अपनी टिप्पणी देने के लिए कहा है। 

 


3 कर्मचारी पाए गए जिम्मेदार
आयोग के एक प्रवक्ता ने बताया कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार पानीपत और पलवल में राशन कार्ड जारी करने के क्रमश: 56 व 39 मामलों में देरी के लिए 5 कर्मचारियों को और गुरुग्राम व यमुनानगर में दो-दो मामलों में देरी के लिए 3 कर्मचारियों को जिम्मेदार पाया गया था। इसके अतिरिक्त, विभाग द्वारा भेजी गई मासिक आर.टी.एस. प्रदर्शन रिपोर्ट के अनुसार विभाग की सेवाओं के लिए प्राप्त कुल 552 आवेदनों में से 523 का समय पर निपटान किया गया, चार आवेदनों का आर.टी.एस. से बाहर निपटान किया गया और 29 आवेदन प्रक्रियाधीन थे।

 


डी.एफ.एस.सी. यमुनानगर को नोटिस जारी
जिला करनाल, रेवाड़ी, हिसार और सोनीपत में राशन कार्ड सरैंडर करने के 4 मामलों में इंटरनैट कनैक्शन की खराबी को सरैंडर प्रमाण पत्र जारी करने में हुई देरी का कारण बताया गया, जिसके लिए इंटरनैट कनैक्शन की खराबी के संबंध में रिपोर्ट मांगी गई थी। ईंट भट्ठा शाखा के तहत सेवाओं के लिए कुल 23 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 20 आवेदनों का समय पर और दो आवेदनों का आर.टी.एस. समय सीमा के बाद निपटान किया गया। रिपोर्ट में बताया गया कि ए.एफ.एस.ओ. जगाधरी के बीमार होने और आवेदन पर कार्यवाही न करने के कारण इन दो मामलों में देरी हुई। अत: इस संबंध में स्वत: संज्ञान लेते हुए डी.एफ.एस.सी. यमुनानगर को नोटिस जारी किया गया। 

 


इन अधिकारियों व कर्मचारियों को जारी किए गए थे नोटिस
उन्होंने बताया कि 9 कर्मचारियों को अधिसूचित सेवाओं के समय पर निपटान में देरी का कारण बताने के लिए नोटिस दिए गए थे। पलवल के पांच मामलों में खाद्य, नागरिक आपूर्ति  एवं उपभोक्ता मामले विभाग के निरीक्षक  ब्रह्मï दत्त, आठ मामलों में उप-निरीक्षक  योगेश, अन्य आठ मामलों में निरीक्षक  बेद सिंह एवं 31 मामलों में उप-निरीक्षक रवि प्रकाश को, यमुनानगर के एक मामले में डी.एफ.एस.सी. कुशल पाल बुरा, अम्बाला के दो मामलों में उप-निरीक्षक बालक राम, गुरुग्राम के एक-एक मामले में निरीक्षक प्रेम पूर्ण सिंह एवं निरीक्षक अनु और पानीपत के 56 मामलों में निरीक्षक श्री भूपेन्द्र अहलावत को संज्ञान नोटिस जारी किया गया था और उन्हें 22 अप्रैल ,2022 तक जवाब भेजने और 26 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से या वी.सी. के माध्यम से आयोग के समक्ष पेश होने के आदेश दिए गए थे। ब्रह्मï दत्त को छोडकऱ शेष सभी से समय पर जवाब प्राप्त हुए और वे वी.सी. के माध्यम से आयोग के समक्ष प्रस्तुत हुए।

 


किसी ने जवाब नहीं दिया तो किसी का जवाब संतोषजनक नहीं था
 उन्होंने बताया कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के निरीक्षक ब्रह्मï दत्त से नोटिस का जवाब न मिलने पर आयोग ने विभाग को  ब्रह्मï दत्त से सहयोग न करने के लिए स्पष्टïीकरण देने और आयोग को उसकी नियुक्तियों की विस्तृत जानकारी देने के आदेश दिए हैं ताकि मामले में आगे कार्रवाई की जा सके। इसी प्रकार, आयोग उप-निरीक्षक योगेश के इस जवाब से संतुष्टï नहीं हुआ कि देरी के 8 मामलों मेें से चार मामले होडल ब्लॉक के हैं जबकि वह पलवल सर्कल में कार्य कर रहा था और चार आवेदन उनकी लॉग-इन पर दिखाई नहीं दे रहे जो संबंधित ए.एफ.एस.ओ. के पास लम्बित हो सकते हैं। इस संबंध में आयोग ने विभाग को होडल ब्लॉक के आवेदनों के संबंध में दिए गए जवाब पर उसकी टिप्पणी मांगी है। निरीक्षक बेद सिंह, निरीक्षक अनु और निरीक्षक  भूपेन्द्र अहलावत द्वारा अपने जवाब में आवेदनों पर समय पर कार्रवाई न होने के लिए तकनीकी कारणों को जिम्मेदार बताए जाने पर आयोग ने विभाग को तकनीकी मुद्दों साथ-साथ बिजली एवं इंटरनेट की कमी के संबंध में अपनी टिप्पणी देने और विभाग की कार्यवाही के सुचारू संचालन के लिए इनकी बेहतर आपूर्ति सुनिश्चित करने को कहा है।

 


उप निरीक्षक रवि कुमार ने कोविड महामारी व बेटे के बीमार होने का कारण बताया
उप-निरीक्षक रवि प्रकाश ने अपने जवाब में बताया कि कोविड महामारी के कारण उत्पन्न कनैक्टिविटी समस्या और उसके बेटे के बीमार होने के कारण वह अपनी डï्यूटी समय पर पूरी नहीं कर पाया। आयोग ने उसकी परिस्थितियों को सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए उसके कारण 31 मामलों में हुई देरी के लिए उस पर मात्र 10,000 रुपए का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया, जबकि 20,000 रुपए प्रति मामले की दर से उस पर 6.20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता था। यदि यह राशि समय पर जमा न कराई गई तो आयोग कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करेगा।

 


डी.एफ.एस.सी. ने देरी के लिए तहसीलदार व ए.एफ.एस.ओ. को ठहराया जिम्मेदार 
ईंट भट्ठा लाइसैंस जारी करने के संबंध में हुई देरी के लिए दिए गए अपने विस्तृत जवाब में डी.एफ.एस.सी. कुशल पाल बुरा ने तहसीलदार रादौर और जगाधरी के ए.एफ.एस.ओ.  विरेन्द्र कुमार को सेवा प्रदान करने में हुई इस देरी के जिम्मेदार ठहराया। आयोग उसके जवाब से संतुष्टï था और आयोग द्वारा तत्कालीन तहसीलदार रादौर और जगाधरी के ए.एफ.एस.ओ. वीरेन्द्र कुमार को आवेदन के निष्पादन में हुई देरी का कारण बताने के लिए स्वत: नोटिस जारी किया गया है। आयोग द्वारा  बालक राम और  प्रेम पूर्ण सिंह को 20 मई,2022 तक अपना जवाब प्रेषित करने का अवसर दिया गया है और ऐसा न करने पर आयोग द्वारा यह मान लिया जाएगा कि उन द्वारा दी गई मौखिक जानकारी गलत है और उन पर जुर्माना लगाने के आदेश जारी करेगा। 
 

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