Edited By Jyoti,Updated: 31 Jul, 2020 03:36 PM
01 अगस्त को बकरीद ईद का त्यौहार या ईद उल-अज़हा का त्यौहार मनाया जाता है। बता दें इसके अलावा इस ईद को ईद-उल-जुहा, बकरा ईद आदि के नाम से जाना जाता है।
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01 अगस्त को बकरीद ईद का त्यौहार या ईद उल-अज़हा का त्यौहार मनाया जाता है। बता दें इसके अलावा इस ईद को ईद-उल-जुहा, बकरा ईद आदि के नाम से जाना जाता है। इस्लामिल कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष बकरीद ईद का पर्व 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है, जो रमज़न माह के खत्म होने के करीबन 70 दिनों बाद पड़ता है। इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार बकरीद ईद पर कुर्बानी देने की प्रथा है, इस दिन को इस्लाम मज़हब का सबसे प्रमुख दिनों तथा त्यौहारों में से एक माना जाता है। इस दिन से और मान्यताएं क्या हैं, इसका महत्व क्या है तथा इससे पीछे का इतिहास क्या है। आइए विस्तारपूर्वक जानते हैं।
कैसे मनाई जाती है बकरीद-
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक ईंद की तरह इस दिन भी लोग साफ-पाक होकर नए कपड़े पहनते हैं और नमाज़ अदा करते हैं। नमाज़ में अपने साथ-साथ अपने रिश्तेदारों तथा अपने लोगों की सलामती की दुआ करते हैं। इसके बाद कुर्बानी दी जाती है, जिस मौके पर लोग अपने रिश्तेदारों और करीबियों को गले लगाकर ईद की मुबारकबादद देते हैं। इसके अलावा एक-दूसरे से गले मिलकर मुस्लिम भाई भाईचारे और शांति का संदेश देते हैं। बाजारों में भी इस दिन काफी रौनक दिखाई देती है। हालांकि इस बार कोरोना के कारण ऐसी रौनक कम ही देखने को मिलेगी।
क्या है बकरीद का इतिहास
बकरीद ईद से जुड़ी इस्लाम मज़हब की मान्यताओं के मुताबिक इस दिन अल्लाह ने हजरत इब्राहिम से सपने में उनकी सबसे प्रिय चीज़ की कुर्बानी के लिए मांगी थी। हजरत इब्राहिम जो अपने बेटे से सबसे अधिक प्यार करते थे, उन्हें वह हज से ज्यादा प्यारा था। लिहाज़ा उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने का फैसला कर लिया था। परंतु कहा जाता है कि अल्लाह के हुक्म की फरमानी करते हुए हजरत इब्राहिम ने जैसे ही अपने बेटे की कुर्बानी देनी चाही तो अल्लाह ने एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। ऐसा किंवदंतियां प्रचलित है कि इसके बाद से ही बकरीद ईद का त्योहार मनाया जाने आरंभ हुआ। और ईद-उल-अजहा यानि बकरीद ईद का त्यौहार हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है।
किसकी दी जाती है कुर्बानी
कहा जाता है बकरीद का पर्व इस्लाम के पांचवें सिद्धांत हज को भी मान्यता देता है। इस दिन मुस्लिम बकरा, भेड़, ऊंट जैसे किसी जानवर की कुर्बानी दी जाती है। बता दें इस दौरान ऐसे किसी जानवर की कुर्बानी दी जाती है जिसका कोई अंग टूटा हो, भैंगापन हो या जानवर बीमार हो। बकरीद के दिन कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक खुद के लिए, दूसरा सगे-संबंधियों के लिए और तीसरे हिस्से को गरीब लोगों में बांटे जाने का चलन प्रचलित है।