किस देवी को है पसंद कौन सा वाहन, जानने के लिए जरूर करें क्लिक

Edited By Updated: 18 Dec, 2021 05:58 PM

33 devi devta vehicles

हिंदू धर्म ही एक ऐसा धर्म है जहां 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। शास्त्रों में हर एक देवी-देवता के स्वरूप का अलग-अलग वर्णन किया गया है। साथ ही धार्मिक ग्रंथों में सप्ताह का हर एक दिन

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हिंदू धर्म ही एक ऐसा धर्म है जहां 33 कोटि देवी-देवताओं की पूजा की जाती है। शास्त्रों में हर एक देवी-देवता के स्वरूप का अलग-अलग वर्णन किया गया है। साथ ही धार्मिक ग्रंथों में सप्ताह का हर एक दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित किया गया है। लेकिन क्या आप में से कोई जानता है कि जितनी भूमिका हमारे जीवन में देवी- देवताओं की है ठीक उसी तरह उनके वाहन भी हमें किसी न किसी तरह से प्ररित करते हैं। तो आइए आपको बताते हैं कि कौन-सा वाहन किस चीज की प्रेरणा देता है। 

सबसे पहली जानते हैं कौन से भगवान का कौन सा वाहन है और इनकी हमारी लाइफ में महत्वता क्या है। सबसे पहले बात करते हैं मूषक यानि चूहे की जो कि गणपति का वाहन है। चूहे का स्वभाव है कि वह हर वस्तु, चाहे वह काम की हो या बेकार सबको कुतरकर नुक्सान पहुंचाता है। इसी प्रकार कुछ कुतर्की लोग भी होते हैं जो हर कार्य में बाधा डालते हैं। श्री गणेश ज्ञान एवं बुद्धि के देवता हैं तथा कुतर्क चूहा है, जिसे गणेश जीने अपनी सवारी बनाकर अपने नीचे दबाकर रखते है। इस बात से हमें ये सन्देश मिलता है कि हमें बुरे लोगों की अर्थहीन बातों को हटाकर उनका दमन कर अपने विवेक से काम लेना चाहिए।

आगे हम बात करें शिव जी के वाहन नंदी की तो आमतौर पर देखा जाता है बैल एक बहुत ही खामोश रहने वाला और समर्पण भाव वाला होता है। इसे बल और शक्ति के प्रतीक भी माना जाता है। साथ ही भोलेनाथ के वाहन नंदी को मोह-माया और भौतिक इच्छाओं से परे रहने वाला प्राणी माना जाता है। लेकिन ये सीधा-साधा प्राणी जब क्रोधित होता है तो शेर से भी भिड़ जाता है। तो शिव की सवारी बैल से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि शक्तिशाली होने पर भी शांत और सहज रहना चाहिए साथ ही परिश्रम द्वारा जीवन में सदैव धर्म के मार्ग पर चलते रहना चाहिए।

मां दुर्गा की सवारी सिंह की, जो कि वन में सपरिवार रहने वाला प्राणी माना जाता है। ये वन का सबसे शक्तिशाली प्राणी और जंगल का राजा कहलाया जाता है। इसके बाबजूद भी अपनी शक्ति को व्यर्थ में खर्च नहीं करता है। आवश्यकता पड़ने पर ही इसका उपयोग करता है। तो देवी का वाहन शेर ये संदेश देता है कि घर के मुखिया को अपने परिवार को जोड़कर रखना चाहिए और बेकार के कार्यों में अपनी शक्ति को न लगाकर घर को सुखी बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए।

उल्लू की जो कि देवी लक्ष्मी का वाहन है। इसे क्रियाशील पक्षी माना जाता है। वह अपना पेट भरने के लिए भोजन की तलाश में निरंतर कार्य करता रहता है। मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू से हमें मेहनत की कमाई खाने की सीख देता है। इसलिए जो व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है, मां लक्ष्मी की उन पर सदैव कृपा बनी रहती है।

भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ का, ये एक ऐसा पक्षी है, जो आकाश में बहुत ऊंचाई पर उड़कर भी पृथ्वी के छोटे-छोटे जीवों पर नज़र रख सकता है। गरुड़ सांपों का शत्रु होता है। इस कारण कहा जाता है कि यह विष को ख़त्म करने वाला पक्षी है। ऐसे ही परम शक्तिशाली भगवान विष्णु सबका पालन करने वाले हैं। उनकी नज़र प्रत्येक जीव पर होती है। विष्णु जी का वाहन हमें हमेशा जागरूक रहने की प्रेरणा देता है।

बात करें हमारी सृष्टि के प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य देव की तो जिनके रथ में सात घोड़े होते हैं, जिन्हे शक्ति एवं स्फूर्ति का प्रतीक माना जाता है। भगवान सूर्य का रथ यह प्रेरणा देता है कि हमें अच्छे कार्य करते हुए सदैव आगे बढ़ते रहना चाहिए, तभी जीवन में सफलता मिलती है। 

मगरमच्छ पानी में रहकर इकोसिस्टम को संतुलित बनाए रखता है। इनको मारना यानि प्रकृति से छेड़छाड़ करना है, जिसके परिणाम बहुत भयानक होते हैं। इसलिए मां गंगा के वाहन से हमें ये संदेश मिलता है कि जलीय जीव-जंतुओं को मारना नहीं चाहिए।

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