भृगु संहिता: कुडंली के लग्न के आधार पर जानें कब होगा आपका भाग्योदय

Edited By Updated: 24 Feb, 2018 09:06 AM

according to bhrigu samhita when will your luck will be shine

भृगु संहिता के अनुसार व्यक्ति के जीवन पर उसके भाग्य या किस्मत का बहुत गहरा प्रभाव माना जाता है। व्यक्ति के सुख-दुख, सफलता-विफलता अमीरी-गरीबी आदि सबका संबंध उसके भाग्य के साथ होता है।

भृगु संहिता के अनुसार व्यक्ति के जीवन पर उसके भाग्य या किस्मत का बहुत गहरा प्रभाव माना जाता है। व्यक्ति के सुख-दुख, सफलता-विफलता अमीरी-गरीबी आदि सबका संबंध उसके भाग्य के साथ होता है। शास्त्रओं के अनुसार व्यक्ति को जो कुछ मिलता या जो भी उसके पास होता है वो उसे उसके भाग्य के कारण ही प्राप्त होता है।  परंतु यदि व्यक्ति पुरुषार्ष करे तो उसके द्वारा उसका भाग्य बदला भी जा सकता है। हिंदू ज्योतिष शास्त्र भृगु संहिता एक एेसा ग्रंथ है जिसमें व्यक्ति के भाग्योदय से संबंधित कई बातें बताई गई है। तो आईए जानें इसमें बताई गई कुछ महत्वपूर्ण बातें। 


क्योंकि भृगु संहिता में ज्योतिष से संबंधित समस्त जानकारियां दी गई है, इसलिए इसमें कुंडली के लग्न के आधार पर बताया गया है कि व्यक्ति का भाग्योदय कब हो सकता है। भृगु संहिता के रचयिता ऋषि भृगु की ख्याति एक ऐसे कालातीत भविष्यवक्ता के रूप में है जो भूत, भविष्य और वर्तमान पर समान दृष्टि रखते थे। वह समय की मोटी दीवार के आर-पार ऐसे देख सकते थे जैसे किसी पारदर्शी कांच में से देख रहे हों। उन्होंने प्रमाणित किया है कि कुंडली के लग्न को देखकर मालूम किया जा सकता है कि किस संभावित उम्र में व्यक्ति को भाग्य का साथ और धन का सुख मिल सकता है।

भृगु संहिता के हिसाब से जानें आपका भाग्य होगा किस उम्र में उदय 

मेष लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय सामान्यत: 16, 22, 28, 32 और 36 वर्ष की आयु में, वृष लग्न की कुंडली का भाग्योदय 25, 28, 36 और 42 वर्ष की आयु में, मिथुन लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 22, 32, 35, 36, 42 वर्ष की आयु में, कर्क लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 16, 22, 24, 25, 28 या 32 वर्ष की आयु में और  सिंह लग्न की कुंडली का भाग्योदय 16, 22, 24, 26, 28 या 32 वर्ष की आयु में हो सकता है। जबकि कन्या लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 16, 22, 25, 32, 33, 34 एवं 36 आयु वर्ष में और जिनकी कुंडली तुला लग्न की है, उनका भाग्योदय 24, 25, 32, 33, 35 वर्ष की आयु में हो सकता है।


वृश्चिक लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 22, 24, 28 और 32 वर्ष की आयु में तो धनु  लग्न की कुंडली का भाग्योदय 16, 22 या 32 वर्ष की आयु में हो सकता है। इसी तरह मकर लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 25, 33, 35 या 36 वर्ष की आयु में, कुंभ लग्न की कुंडली का भाग्योदय 25, 28, 36 या 42 वर्ष की आयु में और मीन लग्न की कुंडली वालों का भाग्योदय 16, 22, 28 या 33 वर्ष की आयु में हो सकता है। 

 

वर्तमान में भृगु संहिता की जो भी प्रतियां उपलब्ध हैं वे अपूर्ण हैं। इस शास्त्र से प्रत्येक व्यक्ति की तीन जन्मों की जन्मपत्री बनाई जा सकती है। प्रत्येक जन्म का विवरण इस ग्रंथ में दिया गया है। यहां तक कि अजन्मे शिशु का भविष्य बताने में भी यह ग्रंथ सक्षम माना गया है। भृगु संहिता ज्योतिष का एक विशाल ग्रंथ है। इसकी कुछ मूल प्रतियां आज भी सुरक्षित हैं।

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