शुर हो रहा है अधिक मास, जानें क्या है इसकी विशेषता

Edited By Jyoti,Updated: 16 Sep, 2020 06:11 PM

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सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार साल में आने वाले हर मास का अपना अधिक महत्व है। इन्हीं में से एक है अधिक मास। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अधिक मास को मलमास तथा पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस मास में भी विभिन्न प्रकार के शुभ कार्य करने...

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सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार साल में आने वाले हर मास का अपना अधिक महत्व है। इन्हीं में से एक है अधिक मास। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अधिक मास को मलमास तथा पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। इस मास में भी विभिन्न प्रकार के शुभ कार्य करने वर्जित होते हैं। लेकिन क्यों अधिक मास को शुभ नहीं माना जाता? तथा क्यों इस दौरान शुभ कार्य नहीं किए जाते? इस संदर्भ में जानकारी बहुत कम लोग जानते हैं। तो चलिए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी पौराणिक कथा क्या है, इस दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, साथ ही साथ जानेंगे कि अशुभ कहा जाने वाले इस मास में कौन से ऐसे शुभ मुहूर्त आएंगे जिस दौरान आप शुभ कार्य कर पाएंगे। 
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सबसे पहले बता दें कि इस मास में भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस दौरान स्नान, पूजन, अनुष्ठान और दान आदि करने से जातक के जीवन में से हर प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। इससे जुड़ी कथाओं की बात करें तो, कहा जाता है कि अधिक मास को जब मलमास पुकारा जाने लगा तो अधिक मास इस बात से नाराज होकर भगवान विष्णु की शरण में चले गए, "कहने लगे अधिक मास का कोई स्वामी नहीं है जिस कारण इसे मलमास कहा जाने लगा, जिससे मैं अधिक दुखी व परेशान हूं।"

कथाओं के अनुसार अधिक मास की ये परेशानी सुनने के बाद श्री हरि स्वयं उनके स्वामी बन गए, इतना ही नहीं इसें अपना पुरुषोत्तम मास भी प्रदान किया। साथ ही साथ वरदान दिया, "जो भी जातक इस विशेष मास में मेरी उपासना-आराधना करेगा, उस पर मेरी कृपा अवश्य बरसेगी। बताया जाता है इसके बाद से ही अधिक मास को पुरुषोत्तम मास कहा जाने लगा।" 

बता दें 18 सितंबर से वैभव देने वाला अश्विन अधिक मास शुरू हो रहा है, जो कि 16 अक्टूबर तक रहेगा। पूरे महीने में कई शुभ योग और मुहूर्त ऐसे बन रहे हैं, जब कोई खरीदी या विशेष कार्य किए जा सकते हैं। अधिक मास में विवाह, यज्ञोपवित, सकाम यज्ञ, देव प्रष्ठिादि शुभ कर्म निषेध है। लेकिन इस माह में कोई भी सुख सुविधा वाली वस्तु खरीदने की कोई मनाही नहीं है। इस माह में विवाह तय करना, सगाई करना, कोई जमीन, मकान, भूमि, भवन आदि को खरीदने के लिए अनुबंध किया जा सकता है या। यहां तक कि व्यापार के लिए भविष्य का कोई सौदा करना हो तो वह भी कर सकते हैं।

इसके बावजूद भी अगर किसी को नया सामान खरीदने में शंका है तो इन शुभ मुहूर्त पर बेझिझक खरीद सकते हैं-
ध्रुव स्थिर मुहूर्त -18, 26 सितंबर, 7, 15 अक्टूबर और सभी रविवार को शिक्षा संबंधी खरीदारी या इंवेस्टमेंट, सगाई-रोका से जुड़े काम और नए कपड़े या ज्वेलरी का निर्माण। शपथ ग्रहण और पदभार ग्रहण के लिए ये दिन शुभ रहेंगे-

चर-चल मुहूर्त - 20, 27, 28, 29 सितंबर और 10 अक्टूबर और महीने के सारे सोमवार को कार, बाइक सहित अन्य वाहन खरीदने या बुक करने के लिए शुभ हैं।

उग्र क्रूर मुहूर्त - 25, 30 सितंबर और 5, 13, 14 अक्टूबर और सारे मंगलवारों को शस्त्र खरीदने की बुकिंग की जा सकती है।

मिश्र-साधारण मुहूर्त - 21 सितंबर, 6 अक्टूबर एवं सभी बुधवारों को मांगलिक कार्य हेतु गार्डन, धर्मशाला की बुकिंग एवं नए व्यापारिक सौदे किए जा सकते हैं।
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क्षिप्र लघु मुहूर्त -19 सितंबर, 4, 11 अक्टूबर एवं समस्त गुरुवार को वाहन खरीदने की बुकिंग की जा सकती है।

मृदु मैत्र मुहूर्त - 19, 22 सितंबर, 2, 3, 8 अक्टूबर को नए रिश्ते किए जा सकते है, नए कपड़े, आभूषण रत्न लिए जा सकते है।

चलिए अब आपको अधिक मास में आने वाले शुभ योगों के बारे में बताते हैं, जिनमें खरीदारी की जा सकती है।-

सर्वार्थसिद्धि योग - ये योग सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला और हर काम में सफलता देने वाला होता है। अधिक मास में 9 दिन ये 26 सितंबर और 1, 4, 6, 7, 9, 11, 17 अक्टूबर 2020 को ये योग रहेगा।

द्विपुष्कर योग - द्विपुष्कर योग ज्योतिष में बहुत खास माना जाता है। इस योग में किए गए किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है। 19 और 27 सितंबर को द्विपुष्कर योग रहेगा।

अमृतसिद्धि योग - अमृतसिद्धि योग के बारे में ज्योतिष ग्रंथों की मान्यता है कि इस योग में किए गए कामों का शुभ फल दीर्घकालीन होता है। 2 अक्टूबर 2020 को अमृत सिद्धि योग रहेगा।

पुष्य नक्षत्र - अधिक मास में दो दिन पुष्य नक्षत्र भी पड़ रहा है। 10 अक्टूबर को रवि पुष्य और 11 अक्टूबर को सोम पुष्य नक्षत्र रहेगा।  यह ऐसी तारीखें होंगी जब कोई भी आवश्यक शुभ काम किया जा सकता है। 
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