Edited By Niyati Bhandari,Updated: 27 Oct, 2025 07:00 AM

Amla Navami 2025 Date: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। इसी माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी कहा जाता है। यह दिन अक्षय पुण्य प्राप्ति और आंवले के पूजन के लिए शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले के...
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Amla Navami 2025 Date: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। इसी माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी कहा जाता है। यह दिन अक्षय पुण्य प्राप्ति और आंवले के पूजन के लिए शुभ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और जीवन में सुख, समृद्धि तथा स्वास्थ्य की वृद्धि होती है।
Amla Navami 2025 Date and Muhurat आंवला नवमी 2025 तिथि और मुहूर्त
पर्व का दिन: शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025
नवमी तिथि प्रारंभ: 30 अक्टूबर 2025, प्रातः 10:06 बजे
नवमी तिथि समाप्त: 31 अक्टूबर 2025, प्रातः 10:03 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त: प्रातः 06:36 बजे से 10:03 बजे तक
इस अवधि में आंवले के वृक्ष की पूजा, व्रत, कथा श्रवण और दान-पुण्य करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

Amla Navami Significance आंवला नवमी का धार्मिक महत्व
आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन किए गए पुण्य कर्म अक्षय अर्थात कभी समाप्त नहीं होते। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है। आंवला स्वयं दिव्य औषधि वृक्ष है, जो स्वास्थ्य और दीर्घायु का प्रतीक माना गया है।
इस दिन महिलाएं अपने परिवार और संतान की लंबी उम्र व सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। वहीं श्रद्धालु मथुरा-वृंदावन में परिक्रमा कर अक्षय पुण्य अर्जित करते हैं।

Amla Navami Puja Vidhi 2025 आंवला नवमी पूजा विधि
स्नान और संकल्प:
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और आंवले के वृक्ष के नीचे आसन बिछाएं।
व्रत का संकल्प लें, “मैं आंवला नवमी के व्रत का पालन कर विष्णु-लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करूंगी।”
पूजन प्रक्रिया:
आंवले के वृक्ष के तने को जल, गंगा जल और दूध से स्नान कराएं। इसके बाद रोली, चावल, हल्दी, सिंदूर और पुष्प अर्पित करें। वृक्ष की परिक्रमा 7 बार करें और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें।
भोजन का नियम:
इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाना और वहीं बैठकर ग्रहण करना अत्यंत शुभ माना जाता है। भोजन में विशेष रूप से पूड़ी, चने की दाल और मिठाई बनाई जाती है।
व्रत कथा सुनना:
आंवला नवमी की कथा अवश्य सुनें या सुनाएं। कथा के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और परिवारजनों को प्रसाद वितरित करें।

Amla Navami Vrat Katha आंवला नवमी व्रत कथा
पुराणों में वर्णन है कि एक बार माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से पूछा, “हे प्रभु, ऐसा कौन-सा वृक्ष है जिसकी पूजा करने से अक्षय फल प्राप्त होता है?”
तब भगवान विष्णु बोले, “हे देवी, आंवला वृक्ष मेरी ही शक्ति से उत्पन्न हुआ है। जो भक्त इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करता है, उसे अखंड सौभाग्य, स्वास्थ्य और धन की प्राप्ति होती है।”
इसी कारण इस दिन को अक्षय नवमी कहा जाता है।
