ऐतिहासिक घटना: संसार का पहला दिव्य अस्त्र किसने चलाया और क्यों?

Edited By Updated: 11 Jun, 2015 10:52 AM

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शास्त्रानुसार ब्रह्मास्त्र एक प्रकार क दिव्यास्त्र है। ब्रह्मास्त्र का अर्थ होता है ईश्वर का अस्त्र। यह एक परमाणु हथियार है। माना जाता है कि यह अचूक और सबसे भयंकर अस्त्र है।

शास्त्रानुसार ब्रह्मास्त्र एक प्रकार क दिव्यास्त्र है। ब्रह्मास्त्र का अर्थ होता है ईश्वर का अस्त्र। यह एक परमाणु हथियार है। माना जाता है कि यह अचूक और सबसे भयंकर अस्त्र है। ब्रह्मास्त्र कई प्रकार के होते थे। छोटे-बड़े और व्यापक रूप से संहारक। इच्छित, रासायनिक, दिव्य तथा मांत्रिक-अस्त्र आदि। माना जाता है कि दो ब्रह्मास्त्रों के आपस में टकराने से प्रलय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इससे समस्त पृथ्वी के समाप्त होने का भय रहता है।

महाभारत में सौप्तिक पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के परिणाम दिए गए हैं। पुराणों में वर्णन मिलता है जगतपिता ब्रह्मा ने दैत्यों के नाश हेतु ब्रह्मास्त्र की उत्पति की थी। वेदव्यास जी के अनुसार, 'जहां ब्रह्मास्त्र छोड़ा जाता है वहां 12 वर्षों तक जीव-जंतु, पेड़-पौधे आदि की उत्पत्ति नहीं हो पाती।'

महाभारत में उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मास्त्र के कारण गांव में रहने वाली स्त्रियों के गर्भ मारे गए थे।

रामायण और महाभारतकाल में ब्रह्मास्त्र गिने-चुने योद्धाओं के पास हुआ करते थे। रामायणकाल में जहां यह विभीषण व लक्ष्मण के पास यह अस्त्र था वहीं महाभारतकाल में यह द्रोणाचार्य, अश्वत्थामा, कृष्ण, कुवलाश्व, युधिष्ठिर, कर्ण, प्रद्युम्न और अर्जुन के पास था।

महाभारत के अनुसार पांडवो के धनुर्धर अर्जुन ने इसे गुरु द्रोणाचार्य से पाया था। द्रोणाचार्य को इसकी प्राप्ति ऋषि राम-जामदग्नेय से हुई थी। रामायण में भी मेघनाद से युद्ध हेतु लक्ष्मण ने जब ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना चाहा था तब श्रीराम ने उन्हें यह कहकर रोक दिया क‍ि अभी इसका प्रयोग उचित नहीं क्योंकि इससे पूरी लंका साफ हो जाएगी। लक्ष्मण द्वारा इसके उपयोग से रावण और उसके कुटुंब के साथ-साथ विश्व के बहुत बड़े भाग का विनाश हो जाता है।

महाभारत काल में महासंहारक अस्त्र-शस्त्र के साथ एटम बम से युद्ध का उल्लेख मिलता है। महाभारत युद्ध में दो ब्रह्मास्त्रों के टकराने की स्थिति तब आई थी जब वेदव्यासजी के आश्रम में अश्वत्थामा व अर्जुन ने अपने-अपने ब्रह्मास्त्र चला दिए थे। तब वेदव्यासजी ने अश्वत्थामा व अर्जुन को समझाया कि ब्रह्मास्त्र के कारण पूरे क्षेत्र में 12 वर्षों तक अकाल पड़ेगा। दोनों ब्रह्मास्त्र के आपस में टकराने पर प्रलय जैसी स्तिथि आएगी। तब वेदव्यासजी ने उस टकराव को टाला और अपने-अपने ब्रह्मास्त्रों को लौटा लेने को कहा। अर्जुन को तो ब्रह्मास्त्र लौटाना आता था, लेकिन अश्वत्थामा ये नहीं जानता था और तब उस ब्रह्मास्त्र के कारण परीक्षित, उत्तरा के गर्भ से मृत पैदा हुआ। जो इस अस्त्र को छोड़ता था वह इसे वापस लेने की क्षमता भी रखता था परंतु अश्वत्थामा को वापस लेने का विधि ज्ञात नहीं थी जिसके फलस्वरूप लाखों लोग मारे गए।

आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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