Ashadha Amavasya: नकारात्मक कर्मों की राख उड़ाने का दिन है आषाढ़ अमावस्या, 6 माह के भीतर पूरे होंगे सभी काम

Edited By Updated: 24 Jun, 2025 08:38 AM

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Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या शास्त्रीय, तांत्रिक और रहस्यमयी दृष्टि से पितृ पूजन, जलदान या व्रत का दिन माना जाता है। वास्तव में यह दिन ऊर्जा-स्थानांतरण का अत्यंत गूढ़ अवसर है। आषाढ़ अमावस्या ब्रह्मांडीय मौन की गूढ़तम रात्रि है।

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Ashadha Amavasya 2025: आषाढ़ अमावस्या शास्त्रीय, तांत्रिक और रहस्यमयी दृष्टि से पितृ पूजन, जलदान या व्रत का दिन माना जाता है। वास्तव में यह दिन ऊर्जा-स्थानांतरण का अत्यंत गूढ़ अवसर है। आषाढ़ अमावस्या ब्रह्मांडीय मौन की गूढ़तम रात्रि है। तंत्रसार के अनुसार इस दिन चंद्रमा अस्त हो जाता है और ब्रह्मांड में एक सूक्ष्म मौन उत्पन्न होता है। यह मौन साधक के मन में संपूर्ण शून्यता की स्थिति को आमंत्रित करता है। जहां ईश्वर की सबसे स्पष्ट अनुभूति हो सकती है। आषाढ़ अमावस्या विशेष इसलिए है क्योंकि यह बरसात की पहली अमावस्या होती है। यह जल-तत्व की ऊर्जा से जुड़ी है। जल का गहराई से संबंध अवचेतन मन से होता है। इस दिन ध्यान या साधना करने से मन के पुराने घाव, अनजाने भय, आत्म-संदेह स्वतः पिघलते हैं।

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गुप्त मन्त्र-सिद्धि और तंत्र-साधना का प्रबल काल है आषाढ़ अमावस्या
तांत्रिक परंपरा में आषाढ़ अमावस्या को छाया तंत्र या वाम मार्ग तिथि कहा गया है। इस दिन किया गया कोई भी मंत्र सिद्धि, यंत्र अभिषेक, तिलक दीक्षा बहुत शीघ्र फलदायी होता है। तांत्रिक परंपराओं में यह तिथि भैरवी प्रसन्नता काल मानी गई है अर्थात देवी की ऊर्जा बिना कहे आपकी साधना स्वीकार कर सकती है। मान्यता है की यदि कोई व्यक्ति इस दिन मौन व्रत रखकर ध्यान करे, तो उसे भविष्य में अपने अंदर से मार्गदर्शन प्राप्त होने लगता है।

आषाढ़ अमावस्या की रात को सारस्वत निशा कहा गया है। यदि इस रात आप सिर्फ मौन रहें, बिना मोबाइल, टीवी, या किसी से बात किए तो आपकी बुद्धि, वाणी और स्मृति में नया तेज उत्पन्न होता है। यह विद्यार्थी, लेखक या साधकों के लिए अमूल्य रात्रि है।

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108 बार ॐ नमः शिवाय का जाप करें

आषाढ़ अमावस्या केवल पितृ-तर्पण या एक शास्त्रीय कर्म नहीं है। यह दिन है अवचेतन के द्वार खोल कर पुरानी बाधाओं की राख बनाने का गहन साधना और मौन के भीतर उतरने का सुनहरी अवसर है।

नकारात्मक कर्मों की राख उड़ाने का दिन है आषाढ़ अमावस्या
यदि आप इस दिन किसी पुराने अपराध, पछतावे, रिश्ते या भय को छोड़ना चाहते हैं तो एक छोटा सा अग्नि यज्ञ या दीपक में कपूर रखकर क्षमा का भाव प्रकट करें। यह एक गुप्त शुद्धि क्रिया है।

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धन और वंश वृद्धि का बीज बोने का सूक्ष्म समय है आषाढ़ अमावस्या
कई तांत्रिक सूत्रों के अनुसार, आषाढ़ अमावस्या को घर के उत्तर-पूर्व कोने में तांबे के पात्र में चावल, हल्दी और 1 ताजा पीपल का पत्ता रख देने से अगले 6 माह तक घर में धन, संतान और सौभाग्य का बीज स्वयं उगता है।

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