Edited By Prachi Sharma,Updated: 23 Jan, 2024 07:49 AM
मवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में भगवान रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा को मुख्य यजमान के रूप में पूरे विधि-विधान
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मवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर में भगवान रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा को मुख्य यजमान के रूप में पूरे विधि-विधान से संपन्न कराया। उसके सभी आमंत्रित गणमान्यों ने मंदिर के दर्शन किए। अब यह मंदिर सभी श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खुल रहा है। हम इस ग्राफ से आपको एक विहंगम दृष्टि से मंदिर और इसके आसपास की जानकारी दे रहे हैं…
किलोग्राम वजन इसके ध्वज स्तम्भ का है। यह कांसे से बना है और इसकी ऊंचाई 44 फीट। यह मंदिर के मुख्य शिखर पर रहेगा।
Know the design डिजाइन को जानें
पहले तल पर गर्भगृह चबूतरा और पांच मंडप हैं। दूसरे तल पर राम दरबार है। तीसरे तल की योजना अभी अंतिमरूप नहीं ले पाई है।
Ram Part परकोटा
मंदिर के चारों ओर एक आयताकार परिक्रमा मार्ग है, जिसे परकोटा कहा जाता है। परकोटा के भीतर चार मंदिर हैं। ये मंदिर देवी भगवती, भगवान शिव, सूर्य और गणेशजी के हैं। इसके अलावा दक्षिण की ओर हनुमानजी और उत्तर में मां अन्नपूर्णा का मंदिर है।
निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं
राम मंदिर को बनाने में लोहे और स्टील का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया है, क्योंकि लोहे की उम्र सिर्फ 80-90 साल होती है।
मंदिर को नमी से बचाने के लिए 21 फीट ऊंचा मार्बल का चबूतरा बनाया गया है।
34 सीढ़ियां चढ़कर श्रद्धालु मंदिर में पहुंचेंगे।
बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए रैम्प तथा लिफ्ट हैं।
मंदिर का 71 एकड़ क्षेत्र हरियाली के लिए छोड़ा।
390 स्तम्भ हैं और हर स्तम्भ पर देवी-देवताओं के चित्रों की नक्काशी की गई है।
मुख्य गर्भगृह के चबूतरे पर रामलला की प्रतिमा स्थापित की गई है। तीन मंजिला मंदिर पारंपरिक नागर शैली में बन रहा है। मिर्जापुर के बंसी पहाड़पुर से गुलाबी बलुआ पत्थर लाया गया है।
Surya Tilak सूर्य तिलक
हर रामनवमी को दोपहर 12 बजे रामलला की प्रतिमा का सूर्य तिलक होगा। इसके लिए लैंस और शीशे खास।
Architecture वास्तुशिल्प
रामलला की प्रतिमा मैसूर के शिल्पकार अरुण योगीराज ने तैयार की है। उन्होंने कहा कि वह खुद को पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति मानते है ।
पूरे विश्व से आए हैं रामलला के लिए उपहार
2400 किलो की अष्टधातु का घंटा यूपी के एटा से आया है..
108 फुट की अगरबत्ती वडोदरा से आई, वजन 3610 किग्रा है।
300 से ज्यादा उपहार नेपाल के विभिन्न हिस्सों से आए हैं।
300 किलोग्राम चावल छत्तीसगढ़ से आए हैं, जो मां कौशल्या की जन्मस्थली है।
श्रीलंका के अशोक वाटिका में जहां सीता जी को रखा, वहां से शिला आई है।